नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने आरएसएस विचारक के एन गोविंदाचार्य की उस अर्जी को खारिज कर दिया है जिसमे उन्होंने अयोध्या मामले की की सुनवाई को नोट करने की मांग की थी ।
अयोध्या मामले दायर याचिकाकर्ता यह भी कह रहे हैं कि मूल संविधान में भगवान राम के चित्र हैं इसलिए अयोध्या मामले की लाइव स्ट्रीमिंग “संवैधानिक देशभक्ति” को पूरा करेगी। “.. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि संविधान की मूल प्रतियां ही भगवान राम के चित्रों का विस्तार करती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस अर्जी को भी ठुकरा दिया है जिसमें यह कहा गया था कि रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग संभव ना हो तो इसका लिखित रिकॉर्ड रखा जा सकता है और हर सुनवाई के बाद उसे दिया जा सकता है।
अनुरोध किया गया खारिज दरअसल याचिकाकर्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व विचारक के. एन. गोविंदाचार्य की ओर से CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ से यह अनुरोध किया गया कि 2 अधिकारी नियुक्त किए जाएं जो पूरी सुनवाई को नोट करें और हर सुनवाई के बाद इसे रिलीज किया जाए। लेकिन CJI गोगोई ने कहा कि ये अनुरोध खारिज किया जाता है। इससे पहले सोमवार को याचिकाकर्ता की ओर से सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग की गई। यह कहा गया था कि फिलहाल सुनवाई की रिकॉर्डिंग कराई जा सकती है। लेकिन जस्टिस एस. ए. बोबड़े ने कहा था कि ये संस्थानिक फैसला है और इसके लिए CJI से बात करनी होगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व विचारक के. एन गोविंदाचार्य ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की दिन-प्रतिदिन की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस एफ. एम. आई. कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाले पैनल ने गुरुवार को अयोध्या विवाद को सुलझाने में मध्यस्थता कार्यवाही की विफलता के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी और इसके बाद 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने शुक्रवार को 6 अगस्त से दिन-प्रतिदिन की शुरुआत करने का फैसला किया है। “लाइव स्ट्रीमिंग के साधन मौजूद” वकील विराग गुप्ता के माध्यम से दायर की गई याचिका में शीर्ष अदालत के सितंबर 2018 के फैसले का उल्लेख किया गया है जिसमें यह कहा गया था कि अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग होनी चाहिए। याचिकाकर्ता के वकील सोमवार को तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेख कर सकते हैं। याचिका के अनुसार लगभग 1 साल बीतने के बावजूद अभी तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया जा सका है। याचिका में कहा गया है कि देश के पास अयोध्या मामले की लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था करने के साधन मौजूद हैं।