कोलकाता ।पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी टी एम सी को रिकार्ड बहुमत क्या मिला वहां चुनाव के बाद भी राजनैतिक उथल पुथल जारी है । इस समय भाजपा में सबसे ज्यादा खलबली मची हुई है क्योंकि टीएमसी से भाजपा में आए ज्यादातर नेता विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की जबरदस्त जीत के बाद लौटने की इच्छा जता चुके हैं, हालांकि तृणमूल ने इसे लेकर अब तक कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में एकतरफा तरीके से जीत हासिल कर के तृणमूल कांग्रेस ने एक बार फिर अपनी ताकत साबित की है। इसका असर यह हुआ है कि जहां लेफ्ट और कांग्रेस के पास राज्य में एक भी विधायक नहीं बचा, वहीं भाजपा के पास टीएमसी के मुकाबले एक-तिहाई विधायक ही हैं। इन स्थितियों के बीच भी विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए कई नेता वापस ममता बनर्जी के पास जाने पर विचार कर रहे हैं। जहां कुछ नेता तो पहले ही पार्टी छोड़ने के संकेत दे चुके हैं, वहीं कुछ को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है।
*मुकुल रॉय की चुप्पी से परेशान भाजपा: गौरतलब है कि भाजपा को इस वक्त सबसे ज्यादा परेशान पूर्व में टीएमसी के नंबर-दो नेता और अब भाजपा के उपाध्यक्ष बन चुके मुकुल रॉय की चुप्पी कर रही है। दरअसल, रॉय ने 2 मई को चुनावी नतीजे आने के बाद भी कोई बयान नहीं दिया है। एक ट्वीट में उन्होंने भाजपा के प्रति अपनी वफादारी दोहराई थी।
हालांकि, बुधवार को जब कोलकाता के अस्पताल में टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी मुकुल रॉय की कोरोना संक्रमित पत्नी से मिलने पहुंचे, तो भाजपा के धड़े में फिर हलचल मच गई। इसका असर यह हुआ कि बंगाल भाजपा के प्रमुख दिलीप घोष अस्पताल पहुंचे और फिर पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद फोन कर घर में आइसोलेशन में रह रहे रॉय से हालचाल जाना। वे मई के मध्य में संक्रमित आए थे।
अकेले रॉय ही ऐसे नेता नहीं हैं, जिन्होंने भाजपा या टीएमसी को लेकर कोई बात नहीं की है। इससे पहले भी कुछ नेता सोशल मीडिया के जरिए ममता को छोड़ने और भाजपा को जॉइन करने के दर्द का इजहार कर चुके हैं। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने इनमें से ज्यादातर नेताओं की अपील का जवाब नहीं दिया है। पार्टी का कहना है कि अभी पुराने नेताओं को पार्टी में शामिल करना उनके एजेंडे में नहीं है, क्योंकि ममता सरकार फिलहाल कोरोना और यास चक्रवात के प्रभाव से लड़ने में जुटी है।
*कौन से नेता दे चुके हैं वापस लौटने के संकेत?: चुनाव के नतीजे घोषित होने वाले दिन ही टीएमसी के पूर्व मंत्री और भाजपा के टिकट पर हावड़ा के दोमजुर से चुनाव लड़ रहे राजीव बनर्जी ने कहा था कि बंगाल के लोगों ने अपनी पसंद साफ कर दी है। बंगाल में कोरोना के बीच राजनीति मंजूर नहीं होगी। इसके बाद 8 मई को मुकुल रॉय ने विधानसभा में भाजपा की एक बैठक में हिस्सा नहीं लिया और बंगाल में टीएमसी के अध्यक्ष सुब्रत बख्शी का अभिवादन करते दिखे। हालांकि, अगले ही दिन उन्होंने भाजपा से वफादार रहने का ट्वीट किया था।
उधर सोशल मीडिया के जरिए भाजपा से पलटी मारने वाले नेताओं में सतगाछिया की पूर्व विधायक और एक समय ममता की करीबी रहीं सोनाली गुहा भी शामिल रहीं। उन्होंने टीएमसी से टिकट न मिलने पर भाजपा जॉइन की थी। पर भाजपा के राज्य में हारने के बाद उन्होंने ट्वीट के जरिए कहा था कि जैसे एक मछली पानी के बिना नहीं रह सकती, वैसे ही मैं भी आपके बिना नहीं रह सकती। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि भाजपा ने उन्हें कोई अहमियत नहीं दी। इसलिए उन्होंने अपना अपराध मान लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि टीएमसी में उनकी वापसी सिर्फ कुछ दिनों की बात है
उधर बसीरहाट दक्षिण से पूर्व विधायक और फुटबॉलर दीपेंदु बिस्वास ने सीबीआई द्वारा नारदा स्टिंग केस में पकड़े गए टीएमसी नेताओं के बहाने भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस घटना ने उन्हें भाजपा छोड़ने पर मजबूर किया। उन्होंने कहा कि जब हम कोरोना से लड़ रहे हैं, तब सीबीआई फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी जैसे नेताओं को गिरफ्तार कर रही है।
इसके अलावा उत्तर बंगाल के कई नेता, जिन्होंने चुनाव से पहले भाजपा जॉइन कर ली थी, वे भी टीएमसी में लौटने की इच्छा जता चुके हैं। इनमें सरला मुर्मू, पूर्व विधायक अमल आचार्य शामिल हैं। हालांकि, पहले टीएमसी छोड़कर भाजपा में आए नेताओं के वापस ममता के पास लौटने के लेकर बंगाल भाजपा के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि बंगाल के लोग सबकुछ देखते हैं। वे (दलबदलू नेता) रोते हुए भाजपा में शामिल हुए थे और अब वे हंसते हुए टीएमसी लौटना चाहते हैं।उधर राज्य के मुख्य सचिव द्वारा त्यागपत्र देकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सलाहकार बन जाने को लेकर भीं राज्य सरकार और केंद्र के बीच जबर्दस्त तनातनी है । केंद्र सरकार इस पर कड़ा निर्णय लेने और मुख्य सचिव के खिलाफ कारवाई करने लगता है मन बना लिया है ताकि ममता बनर्जी को सबक सिखाया जा सके ।