बिलासपुर ।खरीदे हुए जमीन/मकान का नामांतरण , फौती,खाता दुरुस्त कराने,दान में मिली जमीन का नामांतरण ,बंटवारा आदि के काम तहसील कार्यालय में लाक डाउन के चलते निश्चित ही प्रभावित हुआ है और लोग परेशान है लेकिन कर्मचारियों की कमी भी इसका प्रमुख कारण है मगर कुछ दलाल किस्म के लोग दबाव डालकर काम करवाने की कोशिश करते है ।कल ऐसा ही एक शख्स अतिरिक्त तहसीलदार शेषनारायण जायसवाल के चेंबर में घुसकर अपने अपने आपको सत्ताधारी दल का बताते हुए तहसीलदार को उनका तबादला करवा देने की धमकी देते हुए किसी अन्य के नामांतरण प्रकरण को तुरंत आदेशित करने कहा लेकिन इस शख्स को तहसीलदार को धमकी देना मंहगा पड़ गया ।तहसीलदार ने पुलिस को बुला लिया ।शाम तक थाने में बैठने के बाद इस शख्स का होश ठिकाने आ गया और कान पकड़कर माफी मांगने तथा भविष्य में ऐसी हरकत नही करने की शर्त पर थाने से मुक्ति मिल पाई ।
बिलासपुर तहसील कार्यालय में जमीन संबंधी काम कराने पूर्ववर्ती अधिकारियों के समय से दलालों का बोलबाला रहा है जिसे खत्म होने में निश्चित ही वक्त लगेगा लेकिन प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अनेक लोग अपने आपको सत्ताधारी दल का होना बताते हुए दूसरों के जमीन का काम करवाने का ठेका लेकर अधिकारियों कर्मचारियों पर काम जल्दी करने का दबाव बनाते है ।यही नहीं बल्कि कुछ टूट पूंजिए किस्म के दलाल काम जल्दी करवाने तबादला करवा देने की धमकी तक देने लगे है ऐसे लोगो पर रोक लगवाना जरूरी हो गया है क्योंकि ये लोग सरकार को बदनाम करवाने पर तुल गए है । लाक डाउन और कोरोना काल के कारण अवश्य ही जमीन संबंधी कामों में रुकावट आई है और लगातार पेशी तिथि बढ़ रही है इसके बाद भी अधिकारी ज्यादा से ज्यादा मामले की सुनवाई कर उसका निपटारा करने के पक्ष में है इसका उदाहरण अतिरिक्त तहसीलदार शेषनारायण जायसवाल के कोर्ट में गुरुवार को देखने को मिला ।उस दिन 176 प्रकरणों की सुनवाई की गई ।इसके बाद भी नामांतरण प्रकरणों की संख्या इतनी ज्यादा है कि 2 माह आगे की पेशी की तिथि देनी पड़ रही है ऐसे में कई दलाल किस्म के लोग प्रकरणों को तुरंत निपटारे के लिए दबाव और धमकी का सहारा लेते है संभव यह भी है कि ऐसे लोग पूर्ववर्ती अधिकारियों के समय संरक्षण पाकर उनके इशारे पर ही तंग करने के उद्देश्य से धमकी और दबाव का माहौल बना रहे हों ।
शुक्रवार को तो हद हो गई जब एक दलाल ने अतिरिक्त तहसीलदार शेष नारायण जायसवाल के चेंबर में पहुंचकर हंगामा करने लगा । तहसीलदार शेष नारायण जायसवाल के द्वारा इसका कारण पूछने पर उसने सीधे धमकी देते हुए कहा कि तुम्हारी शिकायत मैं ऊपर तक करूँगा ।तुम्हारा ट्रांसफर करवा दूंगा । हमारा काम नहीं कर रहे हो ।तहसीलदार ने उसका परिचय पूछते हुए कहा कि क्या काम है तो उसने कहा कि उसका नाम संदीप मसीह है और वह कांग्रेसी नेता है । वास्तविकता तो यह था कि उसका कोई मामला मामला तहसीलदार शेष नारायण जायसवाल के कोर्ट में है ही नहीं। संदीप मसीह ने दुष्यंत नाग vs रामकृष्ण वैश्य के मामले में जोर जोर से ऊंची आवाज में चिल्लाकर इस मामले में तहसीलदार को धमकाने लगा । तहसीलदार ने तत्काल इस मामले की सूचना थाना सिविल लाइन को दिया जिस पर सिविल लाइन पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची और संदीप मसीह को थाना ले गई ।उसे शाम तक थाने में बैठा कर रखा गया । घंटों थाने में बैठने के बाद उसका होश ठिकाने आ गया और उसने शाम को माफीनामा लिख कर दिया । पुलिस ने उसे हिदायत देते हुए कहा कि दुबारा ऐसी गलती नही होनी चाहिए ।उसके बाद संदीप मसीह को थाने से छोड़ दिया लेकिन इस पूरे मामले में यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि आखिर संदीप मसीह के कंधे पर बंदूक रखकर कौन चला रहा है ? वह तो एक मोहरा हैं।परदे के पीछे आखिर कौन है क्योंकि जिसे तहसील आफिस में अपना काम करवाना होता है वह इस इस तरह का बखेड़ा खड़ा नही करता ।। अब बात करें संदीप मसीह जिस प्रकरण को लेकर बखेड़ा खड़ा था उसका तो जानकारी के मुताबिक उस प्रकरण में पटवारी रिपोर्ट 6 अप्रैल को आया था ।मामले को सुना और देखा जाता उसके पहले 14 अप्रैल से लाक डाउन प्रभावशील हो गया और सारे कोर्ट बंद हो गए ।लाक डाउन शिथिल हुए कुछ ही दिन हुए और कोर्ट का काम नियमित रूप से ,सुचारू रूप से शुरू हो इसके पहले धमकी और दबाव से किसी तीसरे के मामले को निपटाने की कोशिश और उस पर हल्ला मचाने से दूसरों के मामले में सुनवाई में देर होना निश्चित है ।