बिलासपुर ।महिला एवं बाल विकास विभाग के मंत्रालय स्तर पर बैठे उच्च पदस्थ अधिकारियों की उदासीनता के चलते बिलासपुर में बैठे जिला कार्यक्रम अधिकारी अपनी ही मनमानी चला रहे हैं तथा अपने चहेतों को मनमाफिक स्थानों पर स्थापना के साथ ही जो कर्मचारी उनकी कार्यशैली को नापसंद करते हैं उन्हें पदस्थापना नहीं होने के बाद भी अनियंत्रित स्थानों पर ड्यूटी के लिए भेज कर प्रताड़ित करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक सरकंडा परियोजना में पदस्थ पर्यवेक्षक संजीव तिवारी का तबादला होने के बाद उन्हें स्थगन नही मिला है ।उनका एक तरफा भार मुक्त का आदेश होने के बाद भी उन्हें रिलीव नहीं किया गया ।इसी तरह जिला कार्यालय में पदस्थ लिपिक मंजू दीक्षित को भी तबादले के बाद रिलीव नहीं किया गया इसके विपरीत सीपत परियोजना में पदस्थ ग्रेड 3 जगदीश शुक्ला को बिलासपुर में बुलाकर जिला कार्यालय में उनसे ग्रेड वन का काम लिया जा रहा है ।
यह बताया जा रहा है कि जगदीश शुक्ला समूहों के साथ बेहतर संबंध और मैसेंजर का काम करने में दक्ष हैं इसी तरह हाईकोर्ट में प्रकरणों के प्रबंधन के उद्देश्य से बिलासपुर में उन्हें रखा गया है जबकि बिलासपुर में ग्रेड वन कर्मचारी श्रीमती अर्चना को जानबूझकर सीपत भेज दिया गया है और उन्हें ग्रेड 3 का काम सौंपा गया है श्रीमती अर्चना रोज सीपत आना-जाना करती है जबकि बिलासपुर कार्यालय में अधीक्षक का पद रिक्त है उस पद पर ग्रेड वन कर्मचारी श्रीमती अर्चना को दायित्व सौंपा जा सकता था क्योंकि अधीक्षक और ग्रेड वन का पद लगभग समकक्ष माना जाता है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी के इस तरह के मनमाने रवैया की जानकारी या तो महिला एवं बाल विकास विभाग के डायरेक्टर एवं सचिव तक सूचना नहीं पहुंच पाती या फिर विभाग के उच्च पदाधिकारियों की जानकारी में रहने के बाद भी जिला कार्यक्रम अधिकारी को मनमानी करने की छूट मिली हुई है ।इस तरह के रवैये से और विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारियों की जानकारी में रहने के बाद भी कार्यवाही नहीं होने से बिलासपुर जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग के अनेक पर्यवेक्षक एवं परियोजना अधिकारी सहित अनेक कर्मचारी आए दिन प्रताड़ित हो रहे हैं।