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November 21, 2024 6:44 pm

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रेडी टू इट का काम देने “समूहों”के ग्रेडिंड में होने लगा खेला , डी पी ओ की मनमर्जी के आगे कांग्रेसी नेताओं की सारी कोशिशें बेकार ,महिला कांग्रेस नेत्री ने कहा डी पी ओ हमारी कहां सुनता है ?

बिलासपुर । महिला एवं बाल विकास विभाग में है रेडी टू इट का काम देने के लिए स्वसहायता समूहों का ग्रेडिंग करने का खेला अब शुरू हो गया है। वैसे तो सेक्टर वाइस दो दो पर्यवेक्षक को यह जिम्मेदारी दी गई है लेकिन यह सब दिखाने के लिए हैं ।असली खेल जिला कार्यालय में होता है जहां समूहों को सेवा के मुताबिक ग्रेडिंग किया जा रहा है ।पुराने समूहों को जो पिछले 20 वर्षो से रेडी टू इट का काम लेकर मिलजुल कर मलाई खाते रहे है अब भी उनका ही बोलबाला है।भाजपा नेताओं द्वारा बनाए गए समूहों को पुराना और अनुभवी मानते हुए तथा व्यापक गड़बड़ी मे साझा भागीदारी होने के कारण ग्रेडिंग में इन्ही समूहों को लाभ मिलने वाला है ।नए समूहों को ग्रेडिंग में ज्यादा नंबर दिए जाएं इसकी कोई गुंजाइश नहीं दिख रही ।सवाल यह है कि महिला एवम बाल विकास विभाग के जिला कार्यालय और पदस्थ डीपीओ ही सब कुछ कर लेंगे तो सरकार और सत्तारूढ़ दल के नेता और कार्यकर्ता क्या घास छीलते रहेंगे ?आश्चर्य तो यह है कि रेडी टू इट का काम पार्टी कार्यकर्ताओं को देके उन्हे उपकृत करने के बजाय कांग्रेस के नेता ,कांग्रेस संगठन के पदाधिकारी डी पी ओ के सामने असहाय नजर आ रहे है ।यह अलग बात है कि डी पी ओ को सत्तारूढ़ दल के प्रभावी नेताओ का ही सरंक्षण मिला हुआ है ।महिला कांग्रेस की एक प्रमुख नेत्री तो यहाँ तक कह दिया कि डी पी ओ तो उनकी सुनते तक नही । यह नेत्री अभी हाल ही में एक मंडल के बनाये गए चेयरमैन की खास समर्थक है ।

महिला एवम बाल विकास विभाग का बिलासपुर जिला मुख्यालय वैसे तो कई मामले में पूरे प्रदेश में चर्चित हो गया है लेकिन रेडी टू इट के मामले में तो और भी मशहूर होने जा रहा है।रेडी टू इट का काम स्व सहायता समूहों को दिया जाता है चूंकि 15 साल प्रदेश में भाजपा का राज रहा है इसलिए अनेक भाजपा नेताओं ने कामकाजी महिलाओं के नाम पर स्व सहायता समूह बनाकर रेडी टू इट का काम लेते रहे और समूह की महिलाओं को रेडी टू इट बनाने का पैसा देकर काम करवाते रहे ।समूह के नाम पर जारी होने वाली राशि को नेता ही लेते रहे ।अब सरकार कांग्रेस की बनी तो कांग्रेस के नेता /कार्यकर्ता भी महिलाओं का समूह बना उसका पंजीयन करा डाले लेकिन पंजीयन मात्र से ही रेडी टू इट का काम मिलने से रहा क्योंकि समूहों का ग्रेडिंग उनके आड़े आ गया ।वैसे भी डीपीओ नए समूहों को भला काम क्यों दें क्योंकि 15 साल में जो समूह और समूह के नेताओ ने सेवाभाव दिखा मिलजुल कर जो काम किए है और शासन को जो पलीता लगाए है वह नए समूह नही कर सकते ।

आश्चर्य यह है कि जब रेडी टू इट का काम किसे किसे देना है यह पूरा डीपीओ ही तय कर लेगा तो सरकार ,विभाग और पार्टी के नेता क्या करेंगे ?दरअसल पंजीकृत स्व सहायता समूहों के काम उनकी लगातार बैठक ,लिए गए निर्णय ,समूह के बैंक खाते का ट्रांजेक्शन और लगातार सक्रियता तथा बेहतर रिजल्ट का मूल्यांकन कर अंक दिए जाने का प्रावधान रखा गया है और सर्वाधिक अंक पाने वाली समूह को ही रेडी टू इट का काम दिए जाने का प्रावधान है लेकिन यह सब कहने और बताने में ही अच्छा लगता है क्योंकि सर्वाधिक अंक पाने वाली समूह को सिर्फ उसी आधार पर रेडी टू इट का काम मिल जाए यह संभव नहीं है उसके लिए गांधी जी का फोटो लगा कागज भी जरूरी है । इसी तरह 15 सालों से काम कर रहे समूह को कम अंक मिलने के बाद भी रेडी टू इट का काम मिल सकता है बशर्ते समूह चलाने वाले नेता का संबंध मधुर हो और डी पी ओ की इच्छा हो ।

आवेदित समूहों का ग्रेडिंग करने के लिए प्रत्येक सेक्टर वार 2 पर्यवेक्षक रखे गए है ।नियम यह है पर्यवेक्षक आवेदित समूह में जाकर पूरा परीक्षण कर ग्रेडिंग करेगा और रिपोर्ट जिला कार्यालय में देगा लेकिन यह सब दिखावा है क्योंकि नंबर देने का काम तो डी पी ओ ही कर रहे है ऐसे में पारदर्शिता की गुंजाइश कहां है ?कांग्रेस के नेता कार्यकर्ता पदाधिकारी सब असहाय दिख रहे है। जबकि कांग्रेस को सत्ता में लाने मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं के हाथ ढाई साल बाद भी खाली है ।नेता उन्हे कोई काम दिलाने से रहे जबकि उन्हें उपकृत किए जाने की जरूरत है लेकिन जब कोई महिला नेत्री यह कहे कि डीपीओ उनकी नही सुनते तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालत कितनी गंभीर है ।

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