बिलासपुर ।इंसान अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक अपने पूरे कालचक्र में तरह-तरह के क्रियाकलाप करता है और जब वह अज्ञान होकर समाज के मुख्य आधार बिंदु से जोड़ता है तब अपनी आवश्यकता और सामाजिक गतिविधियों को परस्पर रूप से संचालन के लिए भाग दौड़ शुरू करता है और इसी आपाधापी और भागदौड़ भरे जीवन में शांति और वास्तविक खुशी का अर्थ भूल जाता है.. इसी अशांति को दूर करने के लिए जगह-जगह ओशो मेडिटेशन कैंप का आयोजन किया जा रहा है छत्तीसगढ़ के न्यायधानी बिलासपुर में भी आज मंगला चौक स्थित एक निजी होटल में मेडिटेशन कैंप का आयोजन किया गया जहां बड़ी संख्या में शहर के लोग पहुंचे और सुबह से लेकर शाम तक अलग-अलग क्रियाकलापों के जरिए शांति को महसूस किया..
बॉबी स्वामी की याद में कराया गया कार्यक्रम में ओशो द्वारा दिए गए तीन मूल उपदेशों को लोगो पहुंचाया गया.. 51 साल पहले आज ही के दिन 26 सितंबर को और ओशो ने 9 सन्यास की शुरुआत की थी.. उत्सव, प्रेम और ज्ञान के तीन मूल सिद्धांतों को लेकर उन्होंने जीवन की सत्यता को चरितार्थ करने की कोशिश की है और उनके अनुयायियों द्वारा इन तीनों सिद्धांतों पर ही लोगों को इस भागदौड़ भरी जिंदगी से पार पाने के रास्ते को समझाने की कोशिश की जाती है.. ध्यान ही एक ऐसा रास्ता है जिसमे आदमी मूल शांति को प्राप्त होता है और ध्यान के बाद उसे किसी और रास्ते की तलाश करने की जरूरत नहीं होती है अंतरात्मा की खुशी और शांति को ध्यान के जरिए ही पाया जा सकता है.. और ओशो द्वारा समग्र विषय पर जानकारी देते हुए इसी को सबसे महत्वपूर्ण योग बताया जिससे दुनिया की सारी समस्याओं का निवारण किया जा सकता है.. मेडिटेशन कार्यक्रम में सुबह से लेकर शाम तक लोगों ने इन तीनों ही मूल सिद्धांतों का प्रतिपादन का शांति खोजने की कोशिश की..
स्वामी आनन्द कान्त