बिलासपुर।आखिरकार सिम्स की लापरवाही के आगे वरिष्ठ कांग्रेस नेता जुगरू अवस्थी मौत की जंग हार गए ।कमीशन खोरी और अवैध वसूली के लिए बदनाम सिम्स के लापरवाह कर्मियों ने रविशंकर अवस्थी (जुगरु महराज)की जान ले ही ली ।सिटी स्कैन और सोनोग्राफी मशीन आखिर बार बार और महीनो तक सिम्स अस्पताल की ही खराब क्यों होती है जबकि सिम्स के बाहर मछली बाजार जैसे खोले गए निजी लैब वालों की मशीन एक मिनट के लिए भी खराब क्यों नहीं होती ?सिम्स अधिकारियों के कृपा पात्र ये निजी लैब वाले रोज मरीजो के असहाय परिजनों से हजारों रुपए वसूलते है आखिर सिम्स के जिम्मेदारों और निजी लैब वालों का यह रिश्ता क्या कहलाता है ?
सिम्स अस्पताल लगता है गुटीय राजनीति का शिकार हो गया है ।सरकार, स्वास्थ्य मंत्री को बदनाम करने का ठेका शायद सिम्स प्रबंधन ने ले लिया है । वरना 5 दिनो से भर्ती कांग्रेस नेता की मौत नही होती ।यदि समय पर कांग्रेस नेता का एम आर आई हो जाता तो शायद उसकी जान बच जाती और कथित मारपीट की घटना और उसके बाद राजनैतिक माहौल खराब नही हुआ होता मगर सिम्स प्रबंधन चाहते थे ऐसा हो ।इलाज के अभाव में कांग्रेस नेता की मौत ने सिम्स की पोल खोल दी है और बता दिया है कि ये सुधरने वाले नही है जांच का विषय है कि आखिर इनके पीछे कौन है?इस पूरे मामले में एक महत्वपूर्ण सच यह भी सामने आया है कि सिम्स में भर्ती मरीजों को निजी अस्पतालों में इलाज के लिए और निजी लैब में सिटी स्कैन और सोनो ग्राफी ,एक्सरे आदि के लिए जाने हेतु बाध्य कर दिया जाता है ।
यह उल्लेखनीय है कि पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व.बी आर यादव ,पूर्व विधायक स्व.बलराम सिंह ठाकुर समेत तमाम बड़े कांग्रेस नेताओ के नजदीकी रहे जुगरू अवस्थी 14 दिनों सिम्स और निजी अस्पताल में भर्ती रहने के बाद जिंदगी की जंग हार गए ।उनका एम आर आई सिम्स में 4 घंटे तक नही हो पाया और लाचार प्रबंधन जिन पर सरकार हर माह लाखो रुपए वेतन के रूप में खर्च करती है नकारा साबित हुए ।आम जनता के स्वास्थ्य के साथ ये कैसा खिलवाड़ करते है यह बात साबित हो गया है ऐसे जिम्मेदार लोगो को सरकार बाहर का रास्ता दिखाने के साथ ही इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे तब बात बने अन्यथा जनता का विश्वास सिम्स से उठ जाएगा । सिम्स में आमूलचूल परिवर्तन वक्त की मांग है ।गरीब परिवार आखिर कहां जाएं ?स्वास्थ्य मंत्री के करीबी को कांग्रेस नेता के इलाज के लिए झगड़ा करना पड़ जाए इससे बड़ी गंभीर बात और क्या हो सकती है ?करोड़ो रुपए की मशीन लगातार खराब हो रहे है इसमें संदेह हो रहा है कही ऐसा तो नहीं कि निजी लैब वालों को लाभ पहुंचाने जानबूझ कर मशीन खराब कर दी जाती हो या खराब होने का बहाना बना दिया जाता हो ।निजी लैब वालों के साथ बड़ी सेटिंग की जांच तो होनी ही चाहिए ।सवाल यह भी उठता है कि सिम्स में रात की ड्यूटी भी क्या मनमाने तौर पर लगती है ?टेक्निशियन को बुलाना और 4 घंटे तक इंतजार करना कई संदेह को जन्म देता है । आपातकालीन सेवाओं के लिए क्या किसी की ड्यूटी नही लगाई जाती ?विवादित टेक्निशियन को काल करके बुलाना साफ संकेत देता है कि आपातकालीन ड्यूटी के वक्त कोई नही था या किसी की ड्यूटी लगाई ही नही गई थी ।सिम्स के दो डाक्टरों ने जुगरु अवस्थी का एम आर आई जांच के लिए लिखा था लेकिन टेक्निशियन एम आर जांच के लिए क्यों देरी कर रहा था यह भी जांच का विषय है कही ऐसा तो नहीं कि जांच में जानबूझकर देरी से मरीज के परिजन मरीज को निजी अस्पताल या लैब में जांच के लिए ले जाने विवश हो जाए ऐसा सिम्स के कर्मचारियों ने ठान लिया हो । बड़ी संख्या में फर्जी सर्टिफिकेट के द्वारा अपने लोगो की भर्ती कर सुनियोजित ढंग से काली कमाई करने वालों का खुलासा आखिर क्यों नहीं हो रहा ।ये लोग लोगों की जान से खिलवाड़ करने में लग गए है। स्वास्थ्य मंत्री को अब तो सख्त कारवाई करने में देर नहीं करनी चाहिए ।