लखनऊ । उत्तर प्रदेश में योगी सरकार और भाजपा को कड़ी टक्कर देने और सत्ता छीन लेने के प्रयासों में लगे समाजवादी पार्टी में पुराने लोगो की वापसी शुरू हो गई है इससे पार्टी को मजबूती मिल रही है । योगी सरकार पर सीधा हमला करने की रणनीति में काम कर रहे समाजवादी पार्टी में पूर्व सांसद और बाहुबली नेता रिजवान जहीर 17 साल तक पार्टी से बाहर रहने के बाद शुक्रवार घर वापसी करते हुए सपा में शामिल हो गए है 17 साल पहले समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ने वाले बाहुबली पूर्व सांसद रिजवान जहीर ने घर वापसी की है। उन्होंने शुक्रवार को दोबारा सपा का हाथ थाम लिया है।
रिजवान के साथ उनकी बेटी जेबा ने भी समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। 30 साल के राजनैतिक कैरियर में रिजवान ने कांग्रेस, सपा, बसपा और पीस पार्टी तक का दामन थामा। बता दें कि रिजवान तीन बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं।
उनकी पत्नी हुमा दो बार बतौर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी संभाल चुकी हैं। वहीं, रिजवान के वापस आने से जिले में हाशिये पर जा रही समाजवादी पार्टी को नई जान मिल गई है।
राजनीतिक सफर की शुरूआत करने से पहले भी रिवाजन की छवि एक दबंग व्यक्ति के तौर पर थी। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से तालीम लेने वाले जहीर बास्केटबॉल खिलाड़ी भी रह चुके हैं। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 1989 में तुलसीपुर विधानसभा क्षेत्र से पहला चुनाव जीता था। इसके बाद यह सिलसिला 2004 में जाकर थमा। 1993 में समाजवादी पार्टी से विधायक चुने गए। 1996 में रिजवान ने बसपा की सदस्यता ली और तीसरी बार विधायक बने। इसके बाद 1998 में रिजवान फिर समाजवादी पार्टी में लौट आए और बलरामपुर लोकसभा सीट से सांसद बने। 1999 में वो दोबारा समाजवादी पार्टी के ही टिकट पर सांसद चुने गए। लेकिन 2004 में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से संबंध बिगड़ने पर उन्होंने सपा छोड़ दी थी।
कई बार जेल जा चुके हैं रिजवान
वहीं, 26 अप्रैल 2021 को तीसरे चरण के पंचायत चुनाव में मतदान के बाद तुलसीपुर थाना क्षेत्र के बेली खुर्द गांव में आगजनी और बवाल के आरोप पर पुलिस ने पूर्व सांसद रिजवान जहीर को गिरफ्तार किया था। इससे पहले रिजवान साल 1993 में विधायक रहते हुए जेल गए थे। हर्रैया सतघरवा थाना क्षेत्र में घटित हुए हत्या के मामले में रिजवान जहीर को मुख्य अभियुक्तों में शामिल किया गया था। इससे पहले वह 90 के दशक में राजनीति में आने से पहले कई बार जेल जा चुके हैं। 1993 के बाद 2021 में यह दूसरा मामला है कि राजनीति में रहते हुए रिजवान को जेल जाना पड़ा।
बेटी हुई थी कांग्रेस में शामिल
रिजवान की पत्नी हुमा रिजवान 2005 और 2010 में जिला पंचायत की अध्यक्ष चुनी गईं। रिजवान ने 2009 में बसपा के टिकट पर और 2014 में पीस पार्टी के टिकट पर श्रावस्ती लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. साल 2017 के विधानसभा चुनावों के सामान्य निर्वाचन में उन्होंने अपनी बेटी जेबा रिजवान को कांग्रेस के टिकट पर तुलसीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़वाया। लेकिन मोदी लहर में जेबा जीत हासिल नहीं कर सकीं। इसके लिए रिजवान कांग्रेस पार्टी में भी शामिल हुए थे। उन्हे कांग्रेस में शामिल करने के लिए तात्कालिक प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर व गुलाम नबी आजाद उनके घर पर आए थे।
2019 के आम चुनावों में उन्होंने फिर बसपा का दामन थामा और खुद चुनाव ना लड़कर बसपा उम्मीदवार राम शिरोमणि वर्मा को सपोर्ट किया और चुनावी जीत दर्ज कराई।