बिलासपुर। जैसा कि तय था आखिरकार मुंगेली जिला पंचायत के सीईओ को कथित रूप से मारने के लिए चप्पल लेकर दौड़ाने वाली जिला पंचायत सदस्य लैला ननकू भिखारी के खिलाफ जुर्म दर्ज कर लिया गया है। उनके खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा डालने, प्रशासनिक अधिकारी को चप्पल से मारने के लिए दौड़ाने और झूठे मामले में फंसाने का आरोप लगाया गया है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिला पंचायत सीईओ और सभापति जो बसपा की है के बीच सी ई ओ के चेंबर में आखिर ऐसा क्या हुआ कि जिला पंचायत सदस्य सीईओ को चप्पल मारने को उतारू हो गई और फिर पुलिस भी त्वरित कार्रवाई करने के लिए कैसे तैयार हो गई क्योंकि बहुत सारे ऐसे मामले हैं जो जांच के लिए पेंडिंग है ।कानून सबके लिए बराबर होते हैं तो फिर आईएएस लावी के लिए इतनी जल्दबाजी और प्राथमिकता क्यों ?
उल्लेखनीय है कि बिलासपुर में स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव के करीबी पंकज सिंह के खिलाफ सिम्स के कर्मी द्वारा पुलिस में दर्ज कराए गए प्रथम रिपोर्ट में जातिगत प्रताड़ना जैसी कोई आरोप नही थे फिर भी पुलिस ने पंकज सिंह के खिलाफ एक्ट्रो सिटी का मामला दर्ज किया तो दूसरी तरफ मुंगेली की अजा की महिला जिला पंचायत सदस्य ने सीईओ के खिलाफ जब रिपोर्ट दर्ज कराई तो उसकी रिपोर्ट पर कोई मामला दर्ज नहीं किया गया बल्कि सीईओ की रिपोर्ट पर जिला पंचायत सदस्य के खिलाफ पुलिस ने अपराध दर्ज करने में कोई देरी नहीं की इससे पता चलता है कि पुलिस जब चाहे जिसके भी खिलाफ मामला दर्ज कर सकती है और नहीं भी कर सकती।
त्रिस्तरीय पंचायती राज में इससे बड़ा दुखद पहलू और कुछ नहीं हो सकता कि नौकरशाह और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के बीच विकास कार्यों को लेकर सामंजस्य के बजाय तकरार की नौबत आ जाए यहां मामला सी ई ओ पर चप्पल उठाने का नहीं है बल्कि ऐसी नौबत आई ही क्यों और इसके लिए कौन जिम्मेदार है ?क्या इसकी जांच जिला प्रशासन या संबंधित विभाग करने की जहमत उठाएगा एक आईएएस अधिकारी के पक्ष में पूरा आईएएस लाबी खड़ा हो गया और निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधि के खिलाफ अपराध भी दर्ज हो गया लेकिन उस महिला की रिपोर्ट पर आगे शायद कुछ ना हो ।पूरे घटनाक्रम में अभी तक ऐसा एक भी वीडियो सामने नहीं आया है जिसमें जिला पंचायत सदस्य चप्पल उठा कर मारने के लिए दौड़ती हुई दिखी हो ।हो सकता है किसी के पास ऐसा वीडियो हो भी ।घटना तिथि को यह प्रकाश में आया था कि जिला पंचायत सीईओ किसी घटनाक्रम की अंदेशा में और चेंबर में सीसी कैमरा नहीं लगे होने को देखते हुए तुरंत बाहर निकल गए लेकिन उनके द्वारा अपने पक्ष में सीसीटीवी फुटेज पुलिस को उपलब्ध कराने की भी खबर है जिसके आधार पर पुलिस ने आनन-फानन में महिला जिला पंचायत सदस्य के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया उसके बाद महिला जिला पंचायत सदस्य अलग-थलग पड़ गई है क्योंकि उनका साथ देने प्रत्यक्ष तौर पर सामने कोई नहीं आ रहा। जिला पंचायत सीईओ के कक्ष में जो कुछ भी हुआ उसकी भी सच्चाई सामने आनी चाहिए ताकि यह तो पता लग सके कि महिला जिला पंचायत सदस्य को आखिर चप्पल उठा कर क्यों दौड़ना पड़ा यह बात अभी तक रहस्यमय बना हुआ है। अनुसूचित जाति की इस महिला जिला पंचायत सदस्य द्वारा यह आरोप कि उसे सीईओ ने जातिगत रूप से प्रताड़ित किया इस आरोप को थोड़ी देर के लिए यदि यह मान भी लिया जाए कि आरोप अतिरंजित पूर्ण हो सकता है तब भी मामला यहीं समाप्त नहीं हो जाता क्योंकि सी ई ओ के चेंबर की सच्चाई सामने आना जरूरी है।
इस पूरे घटनाक्रम में यह भी पता लगता है कि मामला अप्रत्याशित नहीं है बल्कि नौकरशाह और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल और सामंजस्य का अभाव के चलते ऐसी स्थिति निर्मित हुई ।यह तो जगजाहिर है कि ज्यादातर आईएएस का जनप्रतिनिधियों के साथ व्यवहार बेहतर नहीं होता यही नहीं ऐसे आईएएस न तो जनप्रतिनिधियों के साथ बेहतर संबंध रखना चाहते हैं और नहीं उनका फोन कॉल रिसीव करते हैं लेकिन बहुत आईएएस ऐसे भी होते हैं जो समझदारी के साथ काम करते हुए निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की न केवल बात सुनते हैं बल्कि उन्हें सम्मान भी देते हैं भले ही जनप्रतिनिधियों का वे काम ना करें क्योंकि ज्यादातर जनप्रतिनिधि ऐसी भी काम करना चाहते हैं जो संभव नहीं होता मगर समझदार आईएएस ऐसे काम करते भी नहीं और संबंध को भी मेंटेन करके रखते हैं । जिला पंचायत सी ई ओ के बारे में बात ही कुछ अलग है। दरअसल पूरा मुंगेली जिला सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के लिए जनप्रतिनिधि विहीन होकर रह गया है। विधायक से लेकर सांसद तक प्रमुख विपक्षी दल भाजपा से निर्वाचित हुए हैं इस कारण मुंगेली जिले में अधिकांश अधिकारी सरकारी नियंत्रण से बाहर हो गए हैं और अपनी मर्जी के मालिक हो गए हैं । अगर वे विपक्षी दल के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का काम नहीं भी करेंगे तो उन पर कोई आंच नहीं आने वाली है क्योंकि सरकार का संरक्षण प्राप्त है। काम नहीं करते हैं तो यह एक सामान्य बात है लेकिन किसी अधिकारी की जनप्रतिनिधियों के साथ विवादों का नाता हो जाए तो जिले में विकास कार्य अवरुद्ध हो जाते हैं ।चूंकि जिला पंचायत की निर्वाचित महिला सदस्य अनुसूचित जाति की है इसलिए यह मामला इतना जल्दी शांत नहीं होने वाला है बल्कि आने वाले दिनों में इस विवाद का दूसरा रूप भी देखने को मिल सकता है। जिला प्रशासन अगर चाहता तो इस मामले को दोनों पक्षों को आपस में बिठाकर विवाद को शांत कर सकता था लेकिन यह संभव नहीं हो सका ।वही विवाद दिनांक को जिले के प्रभारी मंत्री भी जो अनुसूचित जाति वर्ग से ही आते हैं मुंगेली में थे मगर उन्होंने भी इस विवाद को ना तो टालने का प्रयास किया और ना ही इसके तह में जाने की कोशिश की। इस पूरे विवाद में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के लोगों का अलग रहना भी राजनीति का एक हिस्सा है यह सवाल अभी बना हुआ है की अनुसूचित जाति की एक निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधि आखिर ऐसा कदम कैसे उठा सकती है उसके पीछे उसकी क्या मजबूरी थी उसके क्या कारण थे ?यह सच्चाई सामने आना जरूरी है भले ही जिला पंचायत के सीईओ को पुलिस और जिला प्रशासन क्लीन चिट ही क्यों न दे दे ।राज्य शासन को भी पूरे घटनाक्रम की सच्चाई के तह तक जाना चाहिए आखिर यह एक निर्वाचित वह भी अजा महिला का मामला है ।इस मामले में मुंगेली से लगातार निर्वाचित विधायक पुन्नू लाल मोहले जो स्वयं अजा वर्ग से आते है को भी संज्ञान में लेना चाहिए भले ही जिला पंचायत की महिला सदस्य भाजपा की नही है ।
गौरतलब है कि दो दिन पहले जिला पंचायत कार्यालय मुंगेली में लैला ननकू भिखारी ने काम रोकने का आरोप लगाते हुए पहले तो सी ई ओ से विवाद किया, विवाद बढ़ने पर चप्पल से मारने के लिए दौड़ाई थी। इसके बाद पूरे प्रदेश में बवाल मच गया। बहुजन समाज पार्टी की लैला ननकू भिखारी को शुरू में तो कांग्रेस का समर्थन मिला, लेकिन जब मामला तूल पकड़ने लगा और आईएएस लॉबी सहित शासकीय कर्मचारी भी लामबंद हुए तो फिर कांग्रेस ने पल्ला झाड़ लिया। घटना के बाद इस मामले में लैला ननकू भिखारी ने सी ई ओ के खिलाफ एफ आई आर कराने का प्रयास किया था लेकिन अब उनके ही खिलाफ जरहागांव थाने में एफआईआर दर्ज किया गया है। शासकीय कार्य में बाधा डालने, प्रशासनिक अधिकारी को चप्पल से मारने और झूठे मामले में फंसाने की कोशिश में लैला ननकू भिखारी जिला पंचायत सदस्य के खिलाफ धारा 186, 353 और 34 के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया है। इस मामले में सीईओ रोहित व्यास के वाहन चालक दीपक साहू द्वारा किये गए मोबाइल रिकॉर्डिंग को भी साक्ष्य के तौर पर पेश किया गया है। जिसमें लैला ननकू भिखारी की कारगुजारी उजागर हो रही है। बताया जा रहा है कि इस मामले को लेकर मुंगेली के कलेक्टर और नगर पंचायत के सीईओ रायपुर में है, जिन्हें आईएएस लॉबी का समर्थन मिला है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के साथ चर्चा के बाद ही जिला पंचायत सदस्य के खिलाफ एफ आई आर के निर्देश दिए गए हैं। 1 दिन पहले जिला पंचायत कर्मचारियों, अधिकारियों ने लैला ननकू भिखारी के खिलाफ कार्यवाही ना होने पर काम बंद करने की चेतावनी दी थी, वहीं लैला नानकु भिखारी के समर्थन में भी कुछ सजातीय संगठन आंदोलन की बात कह रहे थे।