
बिलासपुर ।नौ दिन पहले मस्तूरी डकैती कांड का पुलिस ने खुलासा कर दिया है कुछ आरोपी पकड़ लिए गए और कुछ फरार है ।नौ दिन से डकैती को लेकर तरह तरह के आरोप लगाए गए ।पुरानी दुश्मनी भुनाने की कोशिश की गई आई जी और एस एस पी के दफ्तर का चक्कर लगा निष्पक्ष जांच की मांग की जाती रही ।पुलिस के सामने दूहरी चुनौती थी ।पुलिस डकैती करने वालो को पकड़े कि राजनैतिक आरोपो की जांच करे मगर पुलिस जो खुलासा किया उससे सारे आरोप औंधे मुंह गिर गया पुलिस को झूठे आरोप लगाकर भटकाने वालों पर भी कार्रवाई करनी चाहिए ।पुलिस के खुलासे को सही माना जाए तो कांग्रेस प्रवक्ता पर लगाए गए आरोप पूरी तरह झूठे थे।यही नहीं बल्कि पुराने हिस्ट्रीसिटर रंजन गर्ग ने जो आशंकाएं जताई थी वह भी पूरी तरह कपोल कल्पित निकला लेकिन सिर्फ इतना मन लेने से बात खत्म नहीं हो जाती बल्कि आरोप और जान का खतरा बता सुरक्षा की मांग करने की भी जांच होनी चाहिए ।
कांग्रेस नेता टाकेश्वर पाटले के घर हुई सशस्त्र डकैती के मामले में पुलिस ने सफलता अर्जित करने का दावा किया है। इस मामले में पुलिस ने चार डकैतों को गिरफ्तार किया है, जबकि छह डकैत अब भी फरार है। पुलिस को सूचित कर बताया गया कि 13 जनवरी की सुबह दर्रीघाट में रहने वाले कांग्रेस जिला सचिव टाकेश्वर पाटले के घर में 7 सशस्त्र डकैत घुस आए थे, जिन्होंने हथियारों की नोक पर महिलाओं और बच्चों को बंधक बनाते हुए पूरे घर में आतंक फैला दिया। डकैत एक-एक कमरे की तलाशी लेते हुए करीब ढाई लाख रुपए नगद, सोने- चांदी के जेवर लूटकर फरार हो गए थे। पुलिस ने शुरुआती जांच और पूछताछ में स्वयं कांग्रेस नेता को ही संदेह के घेरे में लिया था और बाद में पीड़ित टाकेश्व्रर पाटले ने तो अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अभय नारायण राय पर ही संदेह जता दिया, जिससे पूरा मामला हाई प्रोफाइल बन गया।
इसीलिए पुलिस की अलग-अलग टीम ने बिलासपुर, जांजगीर, रायगढ़ और ओडिशा के 1000 से अधिक सीसीटीवी फुटेज का मुआयना कर अपराधियों की तलाश शुरू की। इसके लिए पुलिस की 10 टीम बनाई गई। पुलिस का कहना है कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप लगाकर जांच की दिशा भटकाने का भी प्रयास किया गया, लेकिन पुलिस ने इस से परे हटकर अपराधियों की तलाश जारी रखी। सीसीटीवी फुटेज से पुलिस को डकैती के बाद अपराधी किस रास्ते से गुजरे हैं इसकी जानकारी मिल गई। इस सनसनीखेज डकैती में शामिल अपराधियों की पहचान के लिए पुलिस की टीम में प्रदीप आर्य, पारस पटेल, फैजुल शाह जैसे थाना प्रभारी भी शामिल थे। डकैतों के भागने के रास्ते की पहचान के लिए रास्ते में पड़ने वाले सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई। 7 आरोपियों में से तीन मोटरसाइकिल में सवार होकर भागते नजर भी आए। पुलिस की टीम ने 100 से अधिक गांव के साथ अलग-अलग हाईवे और राजकीय मार्गो में लगे सीसीटीवी फुटेज का भी सहारा लिया।
दूसरी टीम ने पीड़ित परिवार के सदस्यों से पूछताछ कर जानकारी हासिल की। डकैत आपस में किस भाषा में क्या बातचीत कर रहे थे इससे अहम सुराग मिले । तीसरी टीम ने इलाके के पूर्व अपराधियों के संबंध में जानकारियां जुटाना शुरू की। गतौरा ग्राम के डकैतों से भी पूछताछ की गई। साइबर एक्सपर्ट ग्रुप ने अपने स्तर पर काम शुरू किया। चार टीम अन्य राज्यों में जाकर डकैतों की तलाश करती रही। डकैती के बाद डकैत तीन मोटरसाइकिल में सवार होकर भागे थे। भागते हुए डकैतों ने एक महिला से रायगढ़ जाने का रास्ता पूछा था। पुलिस को यह जानकारी भी मिली कि इनमें से एक ग्राम चिल्हाटी की तरफ शाम को लौटा था और अपने मकान में न रहकर गांव के बाहर एक दूसरे मकान में रह रहा था। इसके बाद पुलिस आरोपियों तक जा पहुंची। यह पता चला कि यह सुनियोजित योजना बदला लेने के इरादे से की गई थी। ग्राम चिल्हाटी में रहने वाला रमजान कुछ दिन पहले हत्या के आरोप में जेल से छूटा था घटना के दिन उसे उसके सहयोगी अयूब खान और अन्य कुछ लोगों के साथ चिल्हाटी में देखा गया था। यह जानकारी पुलिस के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई। ग्राम चिल्हाटी के रमजान और अयूब खान को पहचान लेने के बाद पुलिस ने इनकी तलाश शुरू की, लेकिन इसी बीच कुछ समाचार पत्रों और पोर्टल में इस तरह की खबरें प्रकाशित हो जाने से सचेत होकर दोनों ही आरोपी भाग खड़े हुए, जिससे पुलिस की मुश्किलें और बढ़ गई।
इतना ही नहीं गिरोह के जो सदस्य अन्य राज्य में भाग गए थे वे भी इससे सचेत हो गए, जिससे पुलिस की मुश्किलें बढ़ गई । पुलिस बार-बार डकैतों के ठिकाने पर पहुंचती थी लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही वे अपना ठिकाना बदल लेते थे। लेकिन बकरे की मा कब तक खैर मनाती। आखिरकार उड़ीसा की ओर गई टीम ने डकैती में शामिल सुंदरगढ़ के छोटू सिंह तथा आनंद टोप्पो को धर दबोचा। पकड़े गए दोनों डकैतों ने महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लावर मस्तूरी निवासी अजय ध्रुव 2017 में एक प्रकरण में अपने माता पिता के साथ जेल में बंद था । उसे जानकारी मिली थी कि उसके जेल जाने के पीछे टाकेश्वर पाटले की भूमिका है इसलिए अजय ध्रुव टाकेश्वर पाटले से रंजिश रखने लगा था और उससे बदला लेने का मौका तलाश रहा था । जेल में रहने के दौरान उसकी मुलाकात चिंगराजपारा में रहने वाले रमजान उर्फ बल्ला से हुई ।जिन्होंने मिलकर डकैती की योजना बनाई। जेल से बाहर आने के बाद इन लोगों ने अपने लोगों को जोड़ना शुरू किया इन लोगों ने चिल्हाटी में रहने वाले एक और रमजान को भी शामिल कर लिया। रमजान ने उड़ीसा के कुछ और डकैतों को भी इस वारदात में शामिल किया ।इसके बाद इन लोगों ने टकेश्वर पाटले के घर की रेकी की। रमजान ने गिरोह बनाते हुए उसमें 1-1 सदस्यों को शामिल करना शुरू किया। रमजान उर्फ बल्ला ने अपने घर के बगल में रहने वाले पुस्तक दुकान में काम करने वाले अयूब को शामिल किया।
जिन्होंने उड़ीसा के कुछ कुख्यात डकैतों को भी इस मामले में शामिल कर लिया। रायगढ़ में इन लोगों ने मिलकर योजना बनायी। 12 तारीख की रात को यह सभी चिल्हाटी पहुंचे, जहां बबलू के निवास पर सब रुके। 13 तारीख की सुबह योजना के अनुसार यह सभी तीन मोटरसाइकिल में सवार होकर चिल्हाटी से निकलकर दर्रीघाट पहुंचकर। इन्होंने घटना को अंजाम दिया और फिर दर्री घाट से कोटमीसोनार होते हुए वापस अलग-अलग स्थानों में भाग गए।
अजय ध्रुव ने उसे और उसके माता पिता को जेल भेजे जाने का बदला लेने के लिए इस पूरे मामले को अंजाम दिया था। इससे साबित हुआ कि कांग्रेस नेता अभय नारायण राय पर केवल राजनीति से प्रेरित आरोप लगाए गए थे। रमजान और अयूब को इस बात की जानकारी थी कि दर्री घाट में रहने वाले टाकेश्वर पाटले के पास ढेर सारा रुपया और जेवरात है। उसने रेकी कर बाकी जानकारियां भी जुटा ली थी। जिसके सहारे इन लोगों ने घटना को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था ।
पुलिस ने छोटू सिंह और आनंद टोप्पो की निशानदेही पर डकैती में शामिल अजय ध्रुव, दुर्गेश ध्रुव को भी गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में पुलिस अब तक सुंदरगढ़ निवासी आनंद टोप्पो, छोटू सिंह, मस्तूरी निवासी अजय ध्रुव और गणेश नगर नयापारा निवासी दुर्गेश ध्रुव को गिरफ्तार कर चुकी है। वही सरकंडा निवासी रमजान उर्फ बबलू, सुंदरगढ़ निवासी माइकल सिंह ,अनिल सहाय चिंगराजपारा बिलासपुर निवासी अयूब खान, पामगढ़ निवासी तुलसी और चिल्हाटी निवासी रमजान फरार है ।पकड़े गए डकैतों के पास से पुलिस ने 5 मोबाइल फोन , एक कट्टा, एक पिस्टल और नगद ₹5000 बरामद किए हैं। यानी अभी डकैती की अधिकांश संपत्ति फरार डकैतों के पास ही है। कांग्रेस नेता के घर डकैती होने की वजह से पुलिस ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया और सारे अधिकारियों को इसके पीछे झोंक दिया । यही वजह है कि पुलिस मामले का खुलासा कर पायी। बावजूद इसके अब तक आधे से अधिक डकैत पुलिस के हाथ नहीं आए हैं और ना हीं डकैती की रकम ही बरामद हो पाई है। संभव है इसमें और वक्त लगेगा लेकिन झूठे आरोप लगाकर पुलिस की जांच को भटकाने का जो काम किया गया उससे भी जांच प्रभावित होती रही ।