बिलासपुर—पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव के आदेश पर जिला पंचायत सीईओ ने बिल्हा सीईओ के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। कमीशनखोरी की जांच चार सदस्यीय टीम करेगी। टीम का भी गठन कर दिया गया है। फिलहाल जांच के बिन्दु क्या होंगे इसकी जानकारी नहीं है।
उल्लेखनीय है कि जिला पंचायत सामान्य सभा मे सभापति ने बिल्हा जनपद पंचायत पर 15 वें वित्त योजना की राशि वितरण के समय चार प्रतिशत कमीशनखोरी का आरोप लगाय था। मामले में जांच की मांग भी किया। लेकिन सामान्य सभा की बैठक के दो दिन बाद जिला पंचायत सीईओ हरीश एस ने ऐसे किसी सवाल या जांच से इंकार किया।
121 सचिवों का काम 6 सचिवों से जबकि मामले में जिला पंचायत सभापति अंकित गौरहा ने प्रमाण पेश कर बताया कि सीईओ के इशारे पर कमीशनखोरी को अँजाम 6 ग्राम पंचायत सचिव मिलकर कर रहे हैं। मामले में अंकित गौरहा ने यह भी बताया कि बिल्हा में कुल 127 सचिव है। लेकिन सभी क्षेत्रों में कराए गए काम का भुगतान सिर्फ 6 सचिव ही करते हैं। खुद सीईओ ने 6 सचिवों वाली क्लस्टर कमेटी को भंग करने का आदेश दिया है। सवाल उठता है कि कमेटी कब और किसके आदेश पर बनाया गया। शायद इसका आदेश भी होगा। अंकित ने यह भी बताया कि उनके पास क्षेत्र के तमाम सरपंच और सचिवों की लिखित शिकायत है। शिकायत को सामान्य सभा की बैठक में भी उठाया है।
ढाई करोड़ से अधिक घोटाला सूत्रों की मानें तो 6 सचिवों ने मिलकर बीआर वर्मा के इशारे पर करीब ढाई करोड़ से अधिक राशि की कमीशनखोरी किया है। खबर मिलने के बाद प्ंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने जांच का आदेश दिया है। जिला पंचायत सीईओ ने जांच के लिए चार सदस्यीय टीम का गठन किया है।
जांच समिति में शामिल अधिकारी कमीशनखोरी की जानकारी के बाद पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने तत्काल जिला प्रशासन को जरूरी निर्देश दिया। साथ ही जांच के बाद रिपोर्ट पेश करने को कहा। जिला प्रशा्सन के निर्देश पर जिला पंचायत सीईओ हरीश एस. ने चार सदस्यीय टीम का गठन किया है। टीम का प्रमुख परियोजना अधिकारी रिमन सिंह को बनाया गया है। रिमन सिंह के अलावा टीम में शिवानी सिंह उप संचालक पंचायत,3) अशोक कुमार धीरही प्रभारी जिला अंकेक्षक, नरेन्द्र जायसवाल जिला समन्वयक आरजीएसए को शामिल किया गया है।
डोंगल सीज करने का अधिकार नहीं शासन के नियमानुसार बिल्हा या किसी भी जनपद पंचायत सीईओ को सरपंच या सचिव के डोंगल बन्द करने का अधिकारी नहीं है। प्रशिक्षण के लिए क्लस्टर का भी गठन नहीं कर सकता है। ना ही चुनिंदा सचिव प्रशिक्षण ही दे सकता है। मामले में सारा आदेश जिला पंचायत स्तर पर होता है। सचिवों का प्रशिक्षण देने का काम डीपीएम करता है।