बिलासपुर । महाराष्ट्र की राजनीति में उबाल चरम सीमा पर पहुंच गया है । वहां क्या होगा इस बात का फैसला एक-दो दिन के भीतर हो जाएगा ।भाजपा के लोटस ऑपरेशन को यहां भी सफलता मिलती है कि नहीं और शिवसेना में दो फाड़ होता है कि नहीं यह भी स्पष्ट हो जाएगा ।अब तो ऑटो ड्राइवर से मंत्री बने एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पर ही अधिकार जता दिया है ।भाजपा अगर वहां शिवसेना और निर्दलीय विधायकों के सहयोग से सरकार बनाने में सफल होती है या यूं कहें की उद्धव ठाकरे को सत्ता से बेदखल करने में भाजपा हर बार की तरह अपने लोटस ऑपरेशन को अमलीजामा पहना पाती है या नहीं इसे लेकर पूरे देश में उत्सुकता का माहौल बना हुआ है ।भाजपा यदि उद्धव ठाकरे को सत्ता से अपदस्थ करने के लिए शिवसेना के ही किसी बागी को मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष बनाने के लिए आगे आती है तो भी आश्चर्यजनक नहीं होगा महाराष्ट्र में आगामी होने वाले बीएमसी चुनाव में इसका असर तो दिखेगा साथ ही उसके तत्काल बाद विधानसभा चुनाव में भी पहले टिकट वितरण में और उसके बाद चुनाव परिणाम पर भी नतीजा देखने को मिल जाएगा।
देश की जनता इतना परिपक्व हो चुकी है की वह एकाध अपवाद को छोड़ दे तो दलबदल करने वाले और जनता को धोखा देने तथा खरीद-फरोख्त के द्वारा बिके हुए नेताओ को बर्दाश्त नहीं करती ।इसका उदाहरण छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी द्वारा भाजपा के 11 विधायकों की खरीद-फरोख्त करने के बाद विधानसभा चुनाव में आए नतीजे से पता चलता है ।जिन भाजपा के 11 विधायकों ने स्वर्गीय अजीत जोगी के प्रभाव में आकर दलबदल करते हुए कांग्रेस में शामिल हो गए लेकिन रायगढ़ के विधायक शक्राजित नायक को छोड़कर सारे लोग चुनाव में बुरी तरह पराजित हुए इससे यह स्पष्ट हो गया कि मतदाता ऐसे दलबदल करने वाले लोभी और लालची विधायकों को बर्दाश्त नहीं कर सकते ।
इतना ही नहीं पटवारी से मरवाही के विधायक बने रामदयाल उनके ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के लिए उप चुनाव लड़ने भाजपा विधायक रहते हुए इस्तीफा दे दिया था उसके बाद पिछले चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस से इस्तीफा देकर तत्कालीन मुख्यमंत्री डा रमन सिंह के सामने भाजपा में शामिल हुए मगर विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने उन्हें पराजित कर दलबदल करने का बदला लिया। इस तरह यह बात पूरी तरह स्पष्ट है कि स्वार्थी और मूवी लोभी राजनेताओं जनता बर्दाश्त नहीं करती हालांकि यह मामला छत्तीसगढ़ का है लेकिन यह उदाहरण महाराष्ट्र के चुनाव में भी कहीं देखने को ना मिल जाए राष्ट्रीय राजनीति में गंभीर चिंता का विषय हो गया है कि राज्यों में जनता द्वारा सुने हुए विधायकों को खरीद-फरोख्त करने हजारों करोड़ों का पानी की तरह भाया जाने लगा है और निर्वाचित सरकारों को सत्ता से बेदखल करने का गंदा खेल खेला जाने लगा है पता नहीं इसका अंत कब होगा अभी तो महाराष्ट्र की राजनीति पर नजर रखने की है। पता नहीं और कितने उठापटक वहां होंगे ।यह कितनी गंभीर बात है कि सत्ता पक्ष के 35 से भी अधिक विधायक गुजरात में शिफ्ट हो गए और महाराष्ट्र के गृह विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी इस बात को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी नेता शरद पवार ने भी तीखी नाराजगी जाहिर की है ।सवाल यह भी उठता है कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों कोरोनावायरस से प पीड़ित है तब भी वहां सरकार बदलने या विधानसभा भंग किए जाने की तत्काल कार्यवाही संभव भी है ?