बिलासपुर। प्रदेश में चुनावी वर्ष की शुरुआत हो चुकी है और ऐसे में सरकार को विपक्षी पार्टियों के हमले के साथ ही सरकारी अधिकारी कर्मचारी संघों के मांगों को लेकर एक के बाद एक हड़ताल और आंदोलन में चले जाने से प्रदेश सरकार को चारों तरफ से घेरने की कोशिश होने लगी है ।अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन में शामिल 90 संघो द्वारा कल से बेमियादी हड़ताल तो शुरू ही कर दी गई है अब प्रदेश भर के सरपंचों ने भी अपनी मांगों को लेकर काम बंद और कलम बंद का एलान कर दिया है इन सब परिस्थितियों को देखते हुए प्रश्न यही उठ रहा है कि हड़ताल पर जाने वाले और आंदोलन करने वाले विभिन्न संघों को आखिर कौन प्रेरित कर रहा है और किसका संरक्षण मिल रहा है ?कहीं यह भूपेश बघेल सरकार को अस्थिर और परेशान करने की साजिश तो नहीं हो रही हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हड तालियों को स्पष्ट तौर पर चेता दिया है।
शासकीय कर्मचारियों की तर्ज पर छत्तीसगढ़ प्रदेश सरपंच संघ ने भी अपनी मांगों को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ काम बंद कलम बंद आंदोलन का ऐलान कर दिया है।
सोमवार को संभाग मुख्यालय बिलासपुर में छत्तीसगढ़ प्रदेश सरपंच संघ की आपातकालीन बैठक बुलाई गई। इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष आदित्य उपाध्याय सहित प्रदेश के लगभग सभी जिलों से आए सरपंच एवं उनके प्रतिनिधियों ने भाग लिया। लगभग 3 घंटे चली बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया कि सरपंच संघ भी प्रदेश सरकार के खिलाफ कलम बंद काम बंद आंदोलन का रास्ता अख्तियार करते हुए सड़क पर उतर कर शासन के खिलाफ आंदोलन करेगा। छत्तीसगढ़ सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष आदित्य उपाध्याय ने बताया कि शुरू में दो बार राज्य शासन को अपनी मांगों से अवगत कराया जा चुका है जबकि एक बार राजधानी के बूढ़ा तालाब स्थित धरना आंदोलन स्थल में सरकार के खिलाफ संकेतिक धरना प्रदर्शन भी किया जा चुका है ।उन्होंने बताया कि सरपंच संघ की प्रमुख मांगों में सरपंचों का मानदेय बढ़ाकर ₹20000 प्रतिमाह करने, सरपंच निधि के रूप में प्रतिवर्ष 10 लाख रुपए दिए जाने सहित धारा 40 और अविश्वास प्रस्ताव जैसी प्रक्रिया का लगातार दुरुपयोग बढ़ रहा है, इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग शासन से की गई है ।छत्तीसगढ़ सरपंच संघ के प्रदेश प्रवक्ता लक्ष्मी कुमार जायसवाल ने कहा कि कोरोना काल में सभी सरपचों ने अपनी जान की बाजी लगाकर कार्य किया है l सरपचों का कार्यकाल 2 वर्ष बढ़ाया जाना चाहिए, सरपचों को भी पेंशन मिलना चाहिए l सरपंच संघ ने सोमवार से ही काम बंद कलम बंद हड़ताल का आगाज कर दिया है ।गौरतलब है कि शासकीय अधिकारी कर्मचारी संघ के हड़ताल पर चले जाने से वैसे ही सभी विभागों का कामकाज ठप पड़ गया है ऐसे में सरपंच संघ के भी प्रदेश स्तरीय आंदोलन पर चले जाने से ग्रामीण स्तर पर भी सरकार के सभी कामकाज पर इसका प्रभाव पड़ेगा ।अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार शासकीय अधिकारी कर्मचारी संघ के आंदोलन के बाद सरपंचों के इस महाआंदोलन से कैसे निपटती है।