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November 24, 2024 9:11 am

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जिले के एक स्टील एंड पावर लिमिटेड और एक सीमेंट कंपनी की प्रस्तावित जन सुनवाई पर रोक लगाने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र,पर्यावरण विभाग की भूमिका संदिग्ध

बिलासपुर ।जिले मे अवैधानिक पर्यावरणीय जन सुनवाई की प्रक्रिया में रोक लगाने बावत् छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र सौंपा गया है ।पत्र में उल्लेख किया गया है कि बिलासपुर जिले में प्रस्तावित दो कंपनियों की अवैधानिक पर्यावरणीय जन सुनवाई दिनांक 28.10.2022 मेसर्स सीपीसीबीएल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड ग्राम नेवरा तहसील तखतपुर जिला बिलासपुर एवं दिनांक 03.11.2022 को मेसर्स क्लिंकर सीमेंट ग्राम मल्हार (गोदाजी) तहसील मस्तुरी जिला बिलासपुर के जन सुनवाई को निरस्त करने की कृपा की जाए

रायगढ़ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम शर्मा ने कहा है कि आपको सादर अवगत कराना है कि जिले में प्रस्तावित उल्लेखित दोनो ही कंपनियों की पर्यावरणीय जन सुनवाई भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना दिनांक 14 सितंबर 2006 के प्रावधानों के विपरीत है जो कि निम्नांकित बिन्दुओं पर है

  1. यह कि प्रस्तावित उद्योग प्रबंधन द्वारा राज्य पर्यावरण संरक्षण मंडल को जन सुनवाई के लिये जो आवेदन किया जाता है उक्त तिथि के 45 दिनों के अंदर राज्य पर्यावरण संरक्षण मंडल की जन सुनवाई पूरा कराये जाने का प्रावधान है। जबकि मेसर्स सीपीसीबीएल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड कंपनी द्वारा दिनांक 02.08.2022 को वह मेसर्स क्लिकर सीमेंट द्वारा 11 मई 2022 को जन सुनवाई हेतु राज्य पर्यावरण संरक्षण मंडल को पत्र प्रेषित किया गया था उक्त दोनों ही जन सुनवाईयों का आयोजन 45 दिनों के अंदर राज्य पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा कराये जाने में विफल रहे हैं। प्रावधानों के अनुरूप परिषिष्ठ 4 के पैरा कमांक 7.1 के प्रावधानों के विपरीत है। तथा उपरोक्त जनसुनवाई की अधिकारिता वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली द्वारा कराये जाना प्रावधानिक है।
  1. यह कि प्रस्तावित परियोजना स्थल के 10 किमी वायु सीमा की परिधि में आने वाले सभी ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर निगम, जिला परिषद को प्रस्तावति परियोजना के ईआइए (पर्यावरण प्रभाव मुल्यांकन प्रतिवेदन) रिपोर्ट को आम जनता के अवलोकन के लिए जिला पर्यावरण संरक्षण मंडल को प्रेषित किया जाना अनिवार्य था। दोनो ही प्रस्तावित परियोजनाओं के 10 किमी. वायु सीमा की परिधि में आधे से अधिक ग्राम पंचायतों को ईआइए रिपोर्ट जनता के अवलोकन हेतु प्रेषित नहीं किया गया है और नाही उपरोक्त प्रभावित क्षेत्र में प्रचार प्रसार हेतु मुनादि इत्यादि नही कराया गया है जिससे उपरोक्त क्षेत्र की जनता जनसुनवाई के संदर्भ में अनभिज्ञ है। जो कि वन पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्रावधानित अधिसूचना के परिषिष्ठ कमांक के पैरा 4 कमांक 2.4 की प्रावधानों के विपरीत है।
  2. यह कि ईआइए रिपोर्ट तैयार करने वाली कंसलटेंट कंपनी द्वारा प्रभावित (अध्ययन क्षेत्र) का जमीनी अवलोकन के आधार पर ईआइए रिपोर्ट तैयार करना होता है उपरोक्त ईआइए रिपोर्ट में प्रभावित क्षेत्र में कृषि भूमि, वन भूमि ऐतिहासिक पुरातात्विक स्थल, जल स्त्रोत, पशु पक्षी, विद्यालय क्षेत्र के कृषि उपज की जानकारी क्षेत्र में संचालित उद्योग को दर्शाना होता है। जो
    कि दोनो ही कंपनी द्वारा तैयार ईआइए रिपोर्ट में जानकारीयों को जानबुझकर छुपाया गया है तथा फर्जी जानकारियों के आधार पर ईआइए रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया है जो प्रावधानों के विपरीत है।
  3. यह कि प्रस्तावित दोनों ही कंपनीयों की जनसुनवाई प्रस्तावित परियोजना स्थल से दूर के गांव में प्रस्तावित है जिसमे मेसर्स सीपीसीबीएल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड ग्राम पंचायत नेवरा में प्रस्तावित है जिसकी जन सुनवाई 3 किमी. अनयत्र ग्राम पंचायत गनियारी में एवं मेसर्स क्लिंकर सीमेंट ग्राम गोदाडीह में प्रस्तावति है जिसकी जनसुनवाई ग्राम पंचायत मल्हार जिसकी दूरी लगभग 7-8 किमी. है। इन परिस्थितियों में दूरस्थ स्थल पर अति प्रभावित जन समुदाय जन सुनवाई में सम्मिलित नहीं हो पायेंगें इससे जन सुनवाई के उददेश्य की पूर्ति नहीं होगी।
  4. यह कि प्रस्तावित दोनो ही कंपनियों द्वारा पर्यावरणीय जन सुनवाई के लिए परियोजना स्थल के निकटस्थ ग्राम पंचायत से ग्राम सभा को अनुमोदन / अनापत्ति प्राप्त करना आवश्यक है। उपरोक्त दोनों कंपनीयो द्वारा संबंधित ग्राम पंचायत से ग्राम सभा का अनुमोदन अप्राप्त है अगर उपरोक्त ग्राम सभा से अनुमोदन लिया गया होता तो उसे ईआइए रिपोर्ट में सम्मिलित किया गया। होता जो कि नही है। यह पंयायती राज्य अधिनियम के प्रावधानों के विरूद्ध है।
  5. यह कि जन सुनवाई के प्रावधानों के अनुसार प्रस्तावित परियोजना के अध्ययन क्षेत्र में दूसरे राज्य या दूसरा जिला सम्मिलित होने की स्थिति में परियोजना की जनसुनवाई की उद्घोषणा उक्त प्रभावित राज्य / जिले में अलग-अलग तिथियों में राज्य पर्यावरण संरक्षण द्वारा मंडल द्वारा एक साथ उद्घोषणा करनी होती है। मेसर्स क्लिंकर सीमेंट की 10 किमी की वायु सीमा में जिला जांजगीर व जिला बलौदाबाजार समाहित है। उपरोक्त दोनों जिला में जनसुनवाई नहीं कराया जाना वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना के परिषिष्ठ 4 पैरा कमांक 2.0 व 2.1 के प्रावधानों के विपरीत है।
  6. यह कि प्रभावित अध्ययन क्षेत्र में ईआइए रिपोर्ट तैयार करने के लिए क्षेत्र की जल, मिट्टी, ध्वनि, वायु के नमूने दोनो ही कंपनियों द्वारा किन स्थलों से लिया गया संबंधित ग्राम के रहवासियों का पंचनामा रिपोर्ट ईआइए रिपोर्ट में संलग्न नहीं किया गया है इसलिये परीक्षण के जो भी परिणाम है वह पूर्णतया फर्जी व मनगढ़न है।

अतः सादर प्रार्थना है कि इस पत्र को सज्ञान में लेकर उपरोक्त दोनों कंपनी मेसर्स सीपीसीबीएल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड नेवरा तहसील तखतपुर जिला बिलासपुर व मेसर्स क्लिंकर सीमेंट मल्हार (गोदाडीह) तहसील मस्तुरी जिला बिलासपुर द्वारा प्रस्तावित जनसुनवाई पूर्णतः आवैधानिक व वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना दिनांक 14 सितंबर 2006 के प्रावधानों के विपरीत है। प्रस्तावित दोनों ही कंपनी की जनसुनवाई को आवैधानिक घोषित करते हुए जनसुनवाई पर रोक लगाने हेतु आदेश पारित करते हुए जिला कलेक्टर जिला बिलासपुर, क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण संरक्षण मंडल बिलासपुर, अध्यक्ष राज्य पर्यावरण संरक्षण मंडल रायपुर तथा उल्लेखित दोनो ही कंपनियों के प्रबंध निदेशक व ईआइए रिपोर्ट तैयार करने वाली कंसलटेंट कंपनी के प्रबंध निदेशक के ऊपर सुनियोजित षडयंत्र करने फर्जी दस्तावेज तैयार करने, उसका उपयोग करने, आम जनता व शासन प्रशासन को गुमराह करने के साथ ही धोखाधड़ी करने का आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने हेतु भी आदेश पारित करें।

नियम कानून का जानकार द्वारा जानकर किया जाना और

अपराध की श्रेणी में है।

अतः महोदय से प्रार्थना है कानून व सविधान के परिचालन दोनों ही जन सुनवाई पर

अतिशीघ्र रोक लगाने हेतु आदेश पारित करना विधि व कानून सम्मत होगा।

यह कि उपरोक्त प्रस्तावित दोनो ही जनसुनवाईया निष्पादित हो जाती है तो उल्लेखित दोनों ही कंपनियां अनाधिकृत लाभ लेने में सफल हो जायेंगे। आवेदक को सुनवाई का अवसर प्रदान करने की कृपा करें ।

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