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May 20, 2025 12:28 pm

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मेयर चुनाव ; काँग्रेस में नोटिस -नोटिस का खेल तो भाजपा में बड़ा सवाल -सत्ता से वंचित होने के बाद भी क्या अब भी “अमर ” की ही चलेगी ?

हारे हुए और कभी चुनाव नही लड़े लोग भी कर रहे दावेदारी

धरम ,रजनीश , डॉ बांधी और हर्षिता पांडेय की पसंद को भाजपा में तवज्जो मिलेगी ?

बिलासपुर । महापौर चुनाव को लेकर दावेदारी शुरू हो गई है । आरक्षण में अनारक्षित घोषित हो जाने के तुरंत बाद दावेदारों का नाम आना शुरू हो गया है । कांग्रेस भाजपा दोनो में परेशानी इस बात की है कि पूर्व के चुनाव तथा विधानसभा के चुनाव तक हार चुके लोगो के साथ ही वे लोग भी दावेदारी करने लगे है जिन्होंने कभी चुनाव ही नही लड़ा है । महापौर पद सामान्य होते ही दर्जनों दावेदारों के नाम सुनियोजित ढंग से सामने आने लगे है मगर काँग्रेस में जहां नोटिस का खेल शुरू हो गया है वही भाजपा में बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या अबकी बार भी अमर अग्रवाल की ही चलेगी ।

नगर निगम की सीमा में वृद्धि क्या की गई आसपास के गावों से भी महापौर के दावेदार तैयार होने शुरू हो गया है ।विधानसभा का चुनाव हार चुके प्रत्याशी , पूर्व में नगर पंचायत अध्यक्ष और जनपद उपाध्यक्ष रह चुके नेता भी महापौर का टिकट मांगने में आगे है ।पार्षद चुनाव हार चुके नेताओ की भी मेयर का चुनाव लड़ने इच्छा हिलोरे मारने लगी है । इस तरहकी दावेदारी से प्रत्याशी चयन के समय कांग्रेस भाजपा दोनो को भारी परेशानी होगी ।

दावेदारी की बात करें तो कांग्रेस में अभी से आवाज दबाने की कोशिश शुरू हो गई है । ताजा उदाहरण काँग्रेस के पार्षद दल प्रवक्ता का है । वे पार्षद के बाद महापौर की टिकट का दावा करने वाले कांग्र्रेस् पार्षद शैलेन्द्र जायसवाल को शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने नोटिस भेज दिया है यानी शहर काँग्रेस को शैलेन्द्र जायसवाल की दावेदारी पसन्द नही है । वैसे भी शैलेन्द्र जायसवाल विधायक शैलेश पांडेय के नजदीकी हैं इस कारण उन्हें संगठन से नोटिस दिया जाना कोई आश्चर्य वाली बात नही है ।
काँग्रेस संगठन यदि इसी तरह मामूली बातों में उलझी रही तो महापौर चुनाव कैसे लड़ पाएगी यह यक्ष प्रश्न है । आश्चर्य तो यह है कि नगर निगम में सीमा वृद्धि का विरोध करने वाले कांग्रेस विधायक और पार्टी के प्रदेश सचिव के खिलाफ कोई कार्रवाई जिला व शहर कांग्रेस कमेटी ने नही की जबकि वे विरोध करते हुए सार्वजनिक तौर पर कलेक्टर से मिले मगर एक छोटे से बयान को लेकर पार्षद को नोटिस जारी करने के नियत को हर कोई समझ रहा है कि यह सब किसके इशारों पर हो रहा है ।
महापौर के लिए प्रत्याशी का चयन प्रदेश कांग्रेस कमेटी और मुख्यमंत्री करेंगे मगर यहां तो झगड़ा अभी से शुरू हो गया है यानि प्रत्याशी जो भी बने उसके लिए मुसीबत रहेगी । कांग्रेस में जो नजारा दिख रहा है वह नया नही है । सत्ता प्राप्ति के बाद भी कांग्रेस नेताओं का नजरिया नही बदल पाया है । भाजपा इसी का फायदा उठाते आई है और उसे आगे भी ऐसा ही रहने की उम्मीद है ।
भाजपा में इस बार भी ” अमर”का ही प्रत्याशी होगा ?

महापौर उम्मीदवार के चयन को लेकर यदि भाजपा की बात करें तो अभी तक अमर अग्रवाल की ही चलती रही है । अमर अग्रवाल भले ही विधान सभा चुनाव हार गए है मगर पार्टी ने उन्हें नगरीय निकाय चुनाव का प्रभारी बना दिया है इस लिहाज से महापौर के एक टिकट पर तो उनका अधिकार बनता है मगर बिलासपुर नगर निगम अब पुराना नगर निगम नही रह गया ।

। सीमावृद्धि में भाजपा विधायकों नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक , मस्तूरी विधायक डॉ कृष्णमूर्ति बांधी और बेलतरा विधायक रजनीश सिंह समेत तखतपुर की भाजपा प्रत्याशी हर्षिता पांडेय के निर्वाचन क्षेत्र के कई गांवों को बिलासपुर नगर निगम में शामिल किया गया है इस लिहाज से भाजपा के ये सभी विधायक और पराजित प्रत्याशी भी भाजपा संगठन से चाहेंगे कि महापौर प्रतयाशी उनके क्षेत्र से और उनकी पसंद का हो । सम्भवतया ये भाजपा विधायक पार्टी संगठन के सामने अपनी बात को मजबूती देने यह भी कह सकते है कि इसके पहले उन्होंने बिलासपुर नगर निगम की राजनीति में कभी हस्तक्षेप नही किया क्योकि बिलासपुर उनका कार्यक्षेत्र नही था और अमर अग्रवाल मंत्री तथा विधायक रहते हुए अपनी पसंद के व समर्थक को महापौर का चुनाव लड़वाया हमने उनकी पसंद पर कभी आपत्ति नही की मगर अब चूंकि हमारे निर्वाचन क्षेत्र के 18 गांवों को नगर निगम में शामिल कर लिया गया है इसलिए अब पार्टी उनकी भी पसन्द नापसन्द पर विचार करे । भाजपा के सारे नेता यदि संयुक्त रूप से एक ही दावेदार के नाम पर सहमति हो जाएं और अमर अग्रवाल की पसंद कोई दूसरा हो ऐसी स्थिति में पार्टी संगठन को निर्णय लेने में दिक्कत नही होगी यह कैसे सम्भव है ।
यह भी शायद सम्भव न हो कि अमर अग्रवाल की पसंद को पार्टी के ये विधायक एक ही बार मे स्वीकार करके चुनाव प्रचार में लग जाएंगे । यानि भाजपा में भी प्रत्याशी चयन को लेकर शुरुवाती दौर में दुविधा की स्थिति रहेगी क्योकि मंत्री रहते हुए अमर अग्रवाल के सारे निर्णय को मानने भाजपा के नेताओं की विवशता थी मगर अब वो विवशता शायद नही हो ।

दो ही दिन में आये इतने नाम

महापौर के लिए हालांकि अधिकृत प्रताशियो के नामो की घोषणा जब होगी तब होगी लेकिन दावेदारों के नाम अभी से आने शुरू हो गए है । कई तो यह जानते हुए भी उनके नाम पर पार्टी विचार ही नही करेगी फिर भी सुर्खियों में बने रहने के लिए दावेदारी कर रहे है ।
कांग्रेस के दावेदार – विजय केशरवानी , शैलेन्द्र जायसवाल ,प्रमोद नायक ,बसन्त शर्मा , सीमा सोनी , अभय नारायण राय ,सतनाम सिंह खनूजा , राजेन्द्र शुक्ला , आशा सिंह

भाजपा में ये नाम हैं- डॉ अभिराम शर्मा , रामदेव कुमावत ,वर्तमान महापौर किशोर राय , प्रवीण दुबे , सुरेन्द गुम्बर , मनीष अग्रवाल , अशोक विधानी ,पूजा विधानी ,गुलशन ऋषि , राजेश मिश्रा ,व्ही रामाराव ,हर्षिता पांडेय ,शैलेन्द्र यादव , शुशांत शुक्ला ,संजय मुरारका ,दीपक ठाकुर ,

कांग्रेस में इनका भी है नाम – विजय पांडेय ,राजेश पांडेय , विवेक बाजपेयी ,शेख नजीरुद्दीन , तैयब हुसैन ,शिवा मिश्रा ,महेश दुबे , रविन्द्र सिंह तथा पूर्व महापौर श्रीमती वाणी राव ।

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