बिलासपुर l यात्री ट्रेनों के पटरी पर पूर्व की तरह परिचालन जब तक शुरू नहीं किया जाता तब तक कांग्रेस आंदोलन करेगी ।जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने उक्त जानकारी देते हुए कहा कि हमारी योग्यता ही हमारी समस्या है। हमने जोन आंदोलन लाठी खाने के लिए नहीं किया। हमने क्या सोचकर रेल आंदोलन किया और अब हमारे साथ क्या हो रहा है। रत्नगर्भा धरती के गरीब बेटे आज रेलवे और केन्द्र सरकार की मनमानी के चलते ठगा महसूस कर रहे हैं। पिछले एक साल में सात बार रेलवे प्रशासन ने दबाव के बाद रेल चलाना तो दूर एक सप्ताह के भीतर दबाव खत्म होते ही लोगों को नोटबन्दी की तरह संभाग की जनता को काउन्टर पर खड़ा कर दिया है। बिलासपुर समेत संभाग की जनता का कई बार टिकट कैन्सिलेशन के लिए घंटों लाइन में खड़े होने को मजबूर किया है ।
पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि पिछले एक साल में रेलवे प्रशासन ने आधा दर्जन से अधिक बार कम से सात बार दर्जनों यात्री गाड़ियों को बन्द किया है। जब भी जनता ने दबाव बनाया तो रेलवे प्रशासन ने कुछ एक दिन चुनिन्दा यात्री गाड़ियों का परिचालन तो किया लेकिन फिर अपग्रेडेशन समेत कई प्रकार का बहाना देकर चलाई गई ट्रेनों को बन्द कर दिया है। दरअसल ऐसा लगता है कि रेलवे प्रशासन केन्द्र सरकार के इशारे पर बिलासपुर समेत संभाग की जनता को परेशान करने का बीड़ा उठा लिया है। हमारी धरती रत्नगर्भा है। बेशक बिलासपुर देश का सबसे छोटा जोन हैl लेकिन एसईसीएल जोन को देश में सबसे कमाऊ पूत का दर्जा हासिल है। यही दर्जा आज हमारी समस्या है। अन्यथा देश के अन्य जोन की गाड़ियों का परिचालन इतने समय तक इतनी संख्या में कभी नहीं किया गया है।
कोरोना के बाद फरवरी में एक दर्जन से अधिक यात्री गाड़ियों के पहियों पर ब्रेक लगाया गया। बताया गया कि टीकारण के बाद जल्द ही गाड़ियों को शुरू किया जाएगा। गाड़ियों का चलना तो दूर 24 अप्रैल से एक महीने के लिए 40 गाड़ियों को स्टेशनों पर खड़ा कर दिया गया। फिर मई में 24 ट्रेनों के परिचालन पर रोक लगाया गया। जून में 36 ट्रेनों को अपग्रेडेशन का हवाला देकर रोका गया। जुलाई में 18 ट्रेन को मरम्मत का बहाना देकर बन्द किया गया। ठीक आजादी पर्व के एक दिन पहले 14 अगस्त को 68 ट्रेनों पर रोक लगाया गया ।
सरकार आम जनता के साथ अन्याय करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। अकेले कटनी लाइन में डेढ़ दर्जन
से अधिक स्टेशनों के स्टापेज को बन्द कर दिया गया। रायपुर और रायगढ़ लाइन में भी कमोवेश यही स्थिति है। सैकड़ो परम्परागत स्टेशनों पर एक्सप्रेस तो दूर अब पैसेंजर ट्रेनें भी नहीं रुकती है। जब इसका विरोध किया
गया तो प्रदर्शन करने वालों पर अपराध दर्ज कर दिया गया। कांग्रेस नेताओं समेत बिलासपुर की जनता ने जब
बिलासपुर दौरे पर बोर्ड चैयरमैन पर दबाव बनाया तो दर्ज मामलों को वापस लिए जाने के साथ ही यात्री गाड़ियों को दुबारा चलाने का आश्वासन मिला। केवल आश्वासन, आश्वासन के बाद कुछ ट्रेने चालू तो हुई, लेकिन बन्द भी बहुत जल्द हो गई है।
ढाई दशक बाद अब लगता है कि रेलवे जोन सिर्फ कोयला परिवहन करने के लिए ही खोला गया है। यहीं कारण है कि पिछले एक साल से पटरियों से यात्री ट्रेनें गायब है। सभी लाइन में मालगाड़ी ही दिखाई देती है। रिकार्ड तोड़ कोयला परिवहन से हमें नम्बर एक का दर्जा हासिल हो गया हैं। लेकिन यात्री सुविधा
के नाम पर सारे अधिकार को रेलवे प्रशासन ने बन्धक बना लिया है। समझ में नहीं आता कि हाइटेक दुनिया में अपग्रेडेशन का बहाना रेलवे प्रशासन कब तक
बनाएगा। कभी सिग्नल के नाम पर कभी मेन्टनेन्स के नाम पर तो कभी इन्टरलाकिंग के नाम पर यात्री ट्रेनों को बन्द कर दिया जाता है।
स्थानीय सांसद अरुण साव को प्रधानमंत्री चालिसा से फुरसत नहीं है। लोगों के प्रयास से जब यात्री ट्रेनें चलने लगती है तो उनका अखबारों में बयान आता है कि हमारे प्रयास से रेल मंत्री ने यात्री ट्रेनों का परिवहन शुरू किया है। कांग्रेस ने फैसला किया है कि जब तक यात्री गाड़ियां सुचारू रूप से नहीं चलने लगेंगी। तब तक हम बिलासपुर दौरा करने वाले केन्द्रीय नेताओं का विरोध करेंगे। हमने कुछ दिनों पहले केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते का विरोध किया था। अब हम केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को काला झण्डा दिखाएंगे।
Wed Nov 9 , 2022
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