
बिलासपुर।लालबहादुर शास्त्री मैदान में श्रीरामकथा के आठवें दिन लंका से युद्ध प्रसंग पेश करने से पहले संत प्रवर विजय कौशल ने उपस्थित जनसैलाब को महाशिवरात्रि की बधाई दी। विजय कौशल ने बताया कि भगवान ने सज्जनों की पीड़ा को हरने और नारी शक्ति को सम्मान दिलाने के लिए ही श्रीलंका के खिलाफ युद्ध का जयघोष किया। इसके पहले प्रभु श्रीराम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर अपने अराध्य भावनभभूत शंकर का वंदन किया। आशीर्वाद हासिल करने के बाद युद्ध का श्रीणेश किया। विजय कौशल महाराज ने श्रद्धालुों को हनुमान सीता संवाद, लंका दहन, अंगद संवाद सुनाकर झूमने को मजबूर भी किया।
युद्ध के बाद फूटती है संस्कार की कोपलें,
संत विजय कौशल ने बताया कि युद्ध हमेशा विनाश कारी होता है। युद्ध का दूसरा नाम जनसंहार है। लेकिन धर्मस्थापना यानि संस्कारित समाज को गढ़ना के लिए ना चाहकर भी युद्ध करनार पड़ता है। युद्ध के स्वरूप अलग अलग हो सकते हैं। क्योंकि इसके बाद ही नए सिरे से स्वच्छ समाज और संस्कार की कोपलें फूटती हैं। विजय कौशल महाराज जी ने कहा माता सीता जी राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक है, सवाल तो तत्समय राक्षसी संस्कृति के समापन का था जिससे देश की एकता ,अखंडत,समरसता सामाजिक सांस्कृतिक वैभव का नाश हों रहा था इसलिए भगवान को युद्ध करना पड़ा।
नागफाश का किया सम्मान
महाराज ने बताया कि अशोक वाटिका में माता सीता की आज्ञा से हनुमान ने विकराल रूप धारण किया। फल फूल खाया। उपवहन उजाड़ा और विरोध करने वाले राक्षसों का संहार भी किया। रावण पुत्र अक्षय कुमार को परमधाम पहुंचाया। मेघनाद के साथ भयंकर युद्ध कर भागने को मजबूर किया। बुध्दि के देवता हनुमान ने ब्रम्हास्त्र का सम्मान करते हुए मेघनाद करते हुए खुद को ना केवल नागफाश में बंधने को मजबूर किया। बल्कि मुर्छित होते समय भी मेघनाद की सेना का बहुत नुकसान पहुंचा। रावण के सामने पहुंचकर हनुमान ने समझाया कि राम सामान्य राजा नहीं..वह मानव रूप में भगवान के अवतार हैं। बावजूद इसके रावण की बुद्धि ने काम नहीं किया। और पूंछ में आग लगाने का आदेश कर लंका पतन का रास्ता तैयार किया।
लंका का दहन
संत प्रवर ने बताया कि दुनिया में पूंछ और मुछ की लड़ाई हमेशा से रही। जहां मूंछ से अहंकार का बोध होता है तो पूंछ से सम्मान का अहसास होता है। हनुमान की पूछ दुनिया के कोने कोने में है । उन पर भगवान राम की असीम कृपा थी और है। हनुमान ने रामकृपा पाकर लंका दहन करते समय एक एक घर को जलाया। लेकिन भगवान के भक्त विभिषण की कुटिया को आंच तक नहीं आने दिया। लंका दहन के बाद आज्ञाकारी हनुमान ने माता सीता से चूड़ामणि निशानी लिया। समुद्र को लांघ कर भगवान के पास पहुंचे। अशोका वाटिका की मार्मिक चित्रण कर राम को युद्ध के लिए मजबूर किया। हनुमान ने माता सीता का संदेश भी दिया कि यदि तीस दिन के भीतर राम नहीं लेकर गए तो प्राण छोड़ देंगी।
प्रभु राम ने किया युद्ध का जयघोष,
हनुमान से अशोक वाटिका की सारी बातें सुनने के बाद राम ने लंका पर चढ़ाई का जयघोष किया। नल नील के सहयोग से विशाल समुद्र के सीने पर पुल तैयार किया गया। लेकिन युद्ध से पहले श्रीराम ने शिवलिंग स्थापित भगवान शंकर का वंदन किया। आज्ञा लेने के बाद श्रीलंका पर चढ़ाई का आदेश दिया।
लक्ष्मण को शक्ति, मेघनाद कुम्भकर्ण का वध,
मेघनाद लक्ष्मण युद्द प्रसंग में महाराज ने बताया कि दुष्ट परेशान कर सकता है..लेकिन अंत दुष्ट का ही होगा। शक्ति लगने के बाद जब लक्ष्मण मुर्छित हुए तो हनुमान ने लंका से राजबैद्य सुषेण को घर समेत उठा लाया। आज्ञा मिलते ही रातो रात धौलागिरी से संजीवनी लाकर लक्ष्मण को बचाया। अन्त में लक्ष्मण ने मेघनाद का वध किया। भगवान राम ने कुम्भकर्ण का वध कर लंका को वीर हीन बनाया। और रावण की अमर यानि मंदार सेना को हनुमान ने अंतरिक्ष में हमेशा के लिए उछाल दिया। और रावण फिर युद्ध में अकेला पड़ गया।
राष्ट्रीय एकता,अनेकता का संदेश,
सेतुबंध प्रसंग के दौरान महाराज ने बताया कि रामेश्वरम तीर्थ देश की एकता और अखंडता का दिव्य सूत्र है। गंगोत्री से गंगा जल लाकर रामेश्वरम में अभिषेक करने वाले को भगवान श्री राम की प्राप्ति होती है। समाज को संस्कारित करने वाली जीवनशैली जरूरी है। महान संतों ने देश के चारों दिशाओंमें देवत्व स्थलों की स्थापना का वंदनीय कार्य किया है। हमारी जाति परिवार, भाषा अलग अलग हो सकती है। लेकिन भगवत प्राप्ति का रास्ता कर्मयोग से तैयार होता है। शास्त्र के अनुसार परंपराओं का पालन करना होगा। पुरुषार्थ साध्य नही साधन होते है। मनसा वाचा कर्मणा किए गए शुभ अशुभ कर्मों का परिणाम भोगना ही पड़ता है। विजय कौशल जी ने बताया कलयुग में हमें घर छोड़कर भटकने की जरूरत नहीं है। उन्होने दोहराया कि परिवार ही दुनिया का सबसे बड़ा तीर्थ है। घर की जिम्मेदारियों को राम नाम के साथ पूरे मनोयोग से करेंगे तो फिर भगवान भी दर्शन देने से अपने को रोक नहीं पाएंगे।
*कल होगा समापन प्रातः 10:00 बजे होगी कथा*
कल दिनांक 19 फरवरी रविवार को कथा के नवम दिवस प्रातः10 से 12 बजे तक पूर्ण होगी कल रविवार कथा का समापन दिवस है????
आज कथा पश्चात प्रसाद वितरण अग्रवाल समाज की ओर से किया गया,????
10 फरवरी कलश यात्रा 11 फरवरी से कथा प्रारंभ होकर कल 19 फरवरी को कथा का समापन दिवस आप सभी नगरवासी इस कथा में शामिल होकर राम नाम गुणगान कर धर्म और संस्कृति को बढ़ावा मिले इस हेतु सभी को प्रेरित करते रहें श्री राम कथा के मुख्य संरक्षक पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल एवं राम कथा आयोजन समिति ने कल समापन दिवस पर शरवासियो को सादर आमंत्रित करते हुए कहा है कि कथा में पधार कर श्री राम नाम श्री हनुमान नाम का पाठ करें।
Sun Feb 19 , 2023
रायपुर । छत्तीसगढ़ सक्रिय पत्रकार संघ का प्रादेशिक पत्रकार सम्मेलन/कार्यशाला एवं सम्मान समारोह-2023 का आयोजन 26 फरवरी रविवार को जांजगीर-चांपा जिले के हॉटल रंगमहल में आयोजित किया जा रहा है । यह कार्यक्रम दो सत्रों में होगा। इसकी तैयारी लगभग पूर्णता की ओर है। इस महत्वपूर्ण आयोजन में व्याख्यान हेतु […]