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July 4, 2025 9:54 am

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नौकरी से बर्खास्त महिला को दी गई कई बार संविदा नियुकित, अभी भी तिथि खत्म होने के बाद भी पद पर काबिज , महिला एवं बाल विकास विभाग में सब कुछ है सम्भव

बिलासपुर। आबकारी विभाग में एक बड़े अधिकारी थे जिन्हें सेवानिवृति के बाद तत्कालीन भाजपा सरकार ने एक नही दो नही पूरे 7 बार संविदा नियुक्ति पर रखा आज वह बड़ा अधिकारी 5 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोपी है । महिला एवं बाल विकास विभाग में भी एक ऐसी महिला को कई बार संविदा पर रख लिया गया जो कुछ वर्ष पूर्व सेवा से बर्खास्त कर दी गई थी । आरोप कुछ नही सिर्फ नियमों के चलते मगर उसी महिला को विभाग में संविदा पर राजनैतिक सिफारिश के चलते रख लिया गया । इतना ही नही संविदा अवधि समाप्त हो जाने के बाद उसे पद से हटाने के बजाय नए संविदा आदेश के बिना ही फिर पद पर रख लिया गया है ।जिला बाल संरक्षण अधिकारी को हर उस बच्चे की देखभाल करनी है। जिसे किसी सरकारी, गैर सरकारी, अनुदान प्राप्त अथवा गैर अनुदान संस्था के संरक्षण में रखा गया है। बिलासपुर में इस पद पर पार्वती वर्मा नाम की महिला को बैठाया गया है और इसका कार्यकाल अक्टूबर 2018 में समाप्त हो चुका है। किंतु आज तारीख तक न तो उन्हें किसी प्रकार की रिन्यूअल आदेश है न हटाया गया है। शायद महिला बाल विकास के जिला कार्यक्रम अधिकारी को इस तरह की अव्यवस्था विशेष पसंद है जिसमें ऐसे लोग पद पर बैठे जो काम ही नहीं कर सकते। जिले के बाल संरक्षण अधिकारों की जिम्मेदारी देखने के लिए सरकार ने भरपूर बजट दिया है तभी तो उक्त कार्यालय के लिए शहर की पास कॉलोनी में एक नामचीन जज के बंगले को किराए में प्राप्त किया गया और अधिकारी का दफ्तर कागजों पर संचालित किया जा रहा है। क्योंकि बाल संरक्षण अधिकारी महिला बाल विकास के दफ्तर में ही बैठकर अपने काम करने दिखावा करती है। अगर पद काम कर रहा होता तो बाल संप्रेक्षण गृह के भीतर जब एक आपाचारी बालक ने आत्महत्या कर ली तो जिम्मेदारी तो बाल संरक्षण अधिकारी की भी तय होनी चाहिए। यदुनंदन नगर क्षेत्र में समर्पित नाम की एक संस्था है जो खुला आश्रम चलाती है इसमें उन बच्चे को आश्रय दिया जाता है जो लावारिस भटकते पाए जाते हैं। इस संस्था में पिछले कुछ दिनों से केवल बच्चों को मुर्रा खिला कर जीवन यापन कराया जा रहा है। इन बच्चों के संरक्षण की जिम्मेदारी भी बाल संरक्षण अधिकारी की ही है। किंतु आज तारीख तक उन्होंने कभी किसी तरह का संज्ञान नहीं लिया यही हाल मां डिंडेश्वरी के हितग्राहियों का भी है। बाल संरक्षण अधिकारी पार्वती वर्मा पहले शासकीय सेवा में थी और बाद में एक नियम के चलते उन्हें सेवा से बर्खास्त किया गया। किंतु बीजेपी से राजनैतिक संबंधों की मिठास के चलते उन्हें इस पद पर संविदा नियुक्ति दे दी गई। इस संविदा की समय सीमा भी अक्टूबर 2018 में समाप्त हो चुकी सरकार बदल गई बाल संरक्षण अधिकारी का कार्यकाल समाप्त हो गया। किंतु विभाग का धर्रा वैसा ही चल रहा है। समाज में बालकों, बालिकाओं के अधिकार और संरक्षण की बातें केवल दिखावटी है। असल में महिला एवं बाल विकास के कुछ अधिकारियों ने इसे कमाई का जरिया बना लिया है क्योकि इस ओर शासन प्रशासन तथा विभाग की नजर कभी जाती नही ।
फोन नही उठाया
हमने इस मामले में और भी तथ्य तथा पक्ष जानने बाल संरक्षण अधिकारी से संपर्क करने उनके मोबाइल पर कई बार कॉल किया मगर उन्होंने कॉल ही रिसीव नही किया । वही जिस कालोनी में उनका दफ्तर है उसके बगल में एक महिला और व्यक्ति ने आते ही बिना रुके बोलना शुरू कर दिया कि दफ्तर रोज खुलता है और अधिकारी बैठते है । अवकाश के दिन नही खुलता ।

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