wबिलासपुर।छत्तीसगढ़ शासन द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग में भर्ती एवं पदोन्नति के लिए छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षिक एवं प्रशासनिक संवर्ग) भर्ती एवं पदोन्नति नियम 2019 जारी कर विभिन्न संवर्ग में पदोन्नति की प्रक्रिया आरंभ की जा रही थी। उक्त भर्ती नियम के विरूद्ध लगभग 9 याचिकाएं प्रधान पाठक (प्राथमिक शाला ) द्वारा उक्त भर्ती नियम के उस प्रावधान को चुनौती दी गई जिसमें शिक्षक (लोकल बॉडी) को व्याख्याता एवं प्रधान पाठक (पूर्व माध्यमिक शाला) में पदोन्नति हेतु कोटा निर्धारत किया गया। उक्त प्रधान पाठकों द्वारा यह आधार लिया गया था कि वे सन् 2010 से सीमित भर्ती परीक्षा द्वारा प्रधान पाठक (प्राथमिक शाला) में चयनित होकर कार्यरत हैं तथा राज्य शासन द्वारा 01 जुलाई 2018 से शिक्षा कर्मीयों का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन किया गया। अतः संविलियन किए गए शिक्षक लोकल बॉडी, उक्त याचिकाकर्ताओं से कनिष्ठ है तथा भर्ती नियम 2019 के माध्यम से उन्हें व्याख्याता एवं प्रधान पाठक माध्यमिक शाला के पद पर पदोन्नति के लिए प्रावधान गलत बनाए गए उक्त याचिकाओं में राज्य शासन जारी अधिसूचना दिनांक 31/12/2021 को भी चुनौती दी गई जिसमें राज्य शासन द्वारा शिक्षक / प्रधान पाठक प्राथमिक शाला (प्रशिक्षित स्नातकोत्तर) से व्याख्याता शिक्षक / प्रधान पाठक प्राथमिक शाला (प्रशिक्षित स्नातक) से प्रधान पाठक (पूर्व माध्यमिक शाला), सहायक शिक्षक (प्रशिक्षित स्नातक) से शिक्षक एवं सहायक शिक्षक (प्रशिक्षित) से प्रधान पाठक (प्राथमिक शाला ) के पद पर पदोन्नति हेतु निर्धारित न्यूनतम अनुभव 5 वर्ष को केवल एक बार के लिये शिथिल करते हुए न्यूनतम अनुभव को 3 वर्ष निर्धारित किया गया था। उक्त अधिसूचना दिनांक 31/12/2021 को एक अन्य याचिकाकर्ता शैलेष कुमार द्वारा चुनौती दी गई थी।
इसके अतिरिक्त 04 याचिका व्याख्याताओं द्वारा प्रस्तुत की गई जिसमें प्रधान पाठक पूर्व माध्यमिक शाला को प्राचार्य के पद पर पदोन्नति हेतु 25 प्रतिशत निर्धारत कोटा के विरुद्ध याचिका यह आधार लेते हुए प्रस्तुत की थी कि पूर्व के मर्ती नियम में प्रधान पाठक पूर्व माध्यमिक शाला प्रथमतः व्याख्याता के पद पर पदोन्नत किए जाते थे तत्पश्चात वह व्याख्याता से प्राचार्य के पद पर पदोन्नति पाते थे। इस प्रकार प्रधान पाठक पाठक पूर्व माध्यमिक शाला, व्याख्याता के अधिनस्थ पद होने के कारण पदोन्नति के लिए अधिकारी नही है।
दो याचिकाएं लोकल बॉडी शिक्षकों द्वारा उक्त नियमों को चुनौती देते हुए इस आधार पर प्रस्तुत की गई कि उनके द्वारा संविलियन के पूर्व दिनांक से ही स्कूल शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों की तरह ही शैक्षणिक कार्य किया जा रहा है। अतएव उनकी पूर्व सेवा लाभ तथा वरिष्ठता, उनकी प्रथम नियुक्ति दिनांक से प्रदान किया जाना चाहिए। इसके अलावा एक याचिका व्याख्याता ई संवर्ग के द्वारा प्रस्तुत कर यह मांग की गई कि भर्ती नियम में संशोधन किया जाकर व्याख्याता से खण्ड शिक्षा अधिकारी / सहायक संचालक के पद पर पदोन्नति हेतु प्रावधान बनाया जाए।
उक्त समस्त याचिकाओं में 3 दिसम्बर 2022 को अंतिम सुनवाई पश्चात माननीय उच्च
न्यायालय द्वारा निर्णय सुरक्षित रखा गया था। उक्त समस्त याचिकाओं में आज दिनांक 09 मार्च
2023 को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा आदेश पारित कर उक्त समस्त याचिकाएं खारिज कर
दी गई। जिससे स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों के पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त हो गया।
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उपरोक्त याचिकाओं के अलावा 5 याचिकाएं उन व्याख्याताओं द्वारा प्रस्तुत की गई थी जो पूर्व में प्रचलित भर्ती नियम के अनुसार प्रधान पाठक माध्यमिक शाला से व्याख्याता के पद पर पदोन्नत हुए थे उन याचिकाकर्ताओं द्वारा यह प्रार्थना की गई कि उन्हें प्राचार्य पद पर पदोन्नति हेतु प्रधान पाठक माध्यमिक शाला के पद से वरिष्ठता दी जाकर पदोन्नति दी जाए। उक्त याचिका में राज्य शासन द्वारा प्रस्तुत जवाब में यह स्वीकार किया गया कि उन व्याख्याताओं को जो प्रधान पाठक माध्यमिक शाला से पदोन्नत हुए हैं, को प्रधान पाठक माध्यमिक शाला के कोटे से भी उस पद की वरिष्ठता अनुसार पदोन्नति हेतु विचार में लिया जाएगा। उक्त याचिकाओं मे माननीय न्यायालय द्वारा नियम 15 (1) में दिए गए स्पष्टीकरण को भेदभावपूर्ण मानकर असंवैधानक घोषित किया गया तथा यह आदेशित किया कि राज्य शासन द्वारा नया स्पष्टीकण जारी करने तक उक्त याचिकाकर्ताओं की अर्हकारी सेवा की गणना प्रधान पाठक माध्यमिक शाला में नियुक्ति के दिनांक से की जायेगी।
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