बिलासपुर। छत्तीसगढ़ी भाषा अब हालैड तक जा पहुंची है ।वहां रहने वाले छत्तीसगढ़िया अपनी भाषा संस्कृति की पहचान बनाए रखने विविध आयोजन करते रहते है। हालैंड में रहने वाले मनीष पांडेय ने 6 मई को एक आन लाइन कार्यक्रम रखा है जिसके लिए उन्होंने दुर्ग की सरला शर्मा से छत्तीसगढ़ी भाषा पर विचार आमंत्रित किया है। सरला शर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा पर जो विचार भेजा है उसे आप भी पढ़ें।उसे हम हुबहू नीचे दे रहे है।
भारत विविध भाषा भाषी राष्ट्र है । भारतीय भाषाएं मूलतः आर्य और द्रविड़ परिवार की भाषाएं हैं जिनमें व्यंजना , लक्षणा और प्रतीकात्मक शक्ति की बहुलता है जो संस्कृत से आई हैं वही संस्कृत जिसे हम देवभाषा कहते हैं । भारत की सभी भाषाओं का चिंतन , आस्था और आध्यात्मिक विश्वास समान है यही वह मूल कारण है कि जो अनेकता में एकता को रेखांकित करता है ।
कहते हैं “कोस कोस पर बदले पानी , चार कोस पर बानी ” इस तरह विशाल भू भाग में निवास करने वालों की भाषा , बोली में अंतर स्वाभाविक है ।
भारत के हृदय स्थल में स्थित है मध्यप्रदेश जिसकी भाषा है हिंदी स्मरणीय यह भी तो है कि सन् 2000 में एक नए राज्य का गठन हुआ जिसका नामकरण हुआ छत्तीसगढ़ यथा नाम इसकी राजभाषा छत्तीसगढ़ी है । छत्तीसगढ़ एक ओर महाराष्ट्र से एक ओर उड़ीसा से जुड़ा हुआ है इसलिए इनसे लगे क्षेत्रों की भाषा में मराठी और उड़िया के शब्द घुल मिल गए हैं ।
छत्तीसगढ़ी की लिपि देवनागरी ही है ..पृथक राज्य बनने के पहले छत्तीसगढ़ी साहित्य की रचना प्रक्रिया धीमी थी दूसरे तब लोग 39 वर्ण का उपयोग करते थे निश्चय ही बस्तर की बोलियों गोड़ी , बस्तरी , हल्बी आदि में पर्याप्त भिन्नता पाई जाती है इसकी चर्चा फिर कभी करेंगे । वर्तमान सन्दर्भ में छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का पद प्राप्त है । स्कूलों में छत्तीसगढ़ी पढ़ाई जाने लगी है यद्यपि सम्पूर्ण पाठ्यक्रम छत्तीसगढ़ी में अब तक उपलब्ध नहीं हो पाया है इस दिशा में प्रयास जारी है ।
वर्तमान दशा की बात करें तो छत्तीसगढ़ी में हिंदी की वर्णमाला के 52 वर्णों को स्वीकृति मिलने लगी है , साहित्यकार अपनी रचनाओं में 52 वर्णों का प्रयोग करने लगे हैं यह सुखद परिवर्तन है जो छत्तीसगढ़ी भाषा को विस्तार देगा । छत्तीसगढ़ी का अपना व्याकरण है । छंदबद्ध , छंदमुक्त पद्य रचना हो रही है तो ग़ज़ल , हाइकू जैसी आधुनिक शैलियों को अपनाया जाने लगा है । गद्य साहित्य में गद्य की सभी विधाओं पर लेखकों की कलम चलने लगी है जो स्वागतेय है ।
छत्तीसगढ़ी के संयोजन , सम्पादन , संशोधन में आधुनिक तकनीक का प्रयोग करने और उसे विस्तार देने में संजीव तिवारी के गुरतुर गोठ डॉट कॉम के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता । छत्तीसगढ़ी को संसार के अन्यान्य देशों में निवासरत लोगों का समर्थन मिलने लगा है जो आश्वस्त करता है कि निकट भविष्य में छत्तीसगढ़ी भाषा को उपयुक्त स्थान अवश्य मिलेगा ।
जय छत्तीसगढ़ , जय छत्तीसगढ़ी
सरला शर्मा
दुर्ग ( छ. ग.)
Wed May 3 , 2023
*आईपीसी के कुल अपराधों में 10 फीसदी, मारपीट में 12 फीसदी, चाकूबाजी में 79 प्रतिशत, छेड़छाड़ में 34 फीसदी और चोरी में 15 प्रतिशत आई कमी* *अभियान के तीन माह के दौरान ही एनडीपीएस व आबकारी में ताबड़तोड़ कार्यवाही में कुल 1733 प्रकरणों में 1845 लोग गिरफ्तार हुए, जिसमे गैर- […]