रामकथा के पहले दिन स्वामी चिन्मयानन्द ने रामकथा की महिमा को प्रतिपादित कर उसकी महत्ता पर प्रकाश डाला
बिलासपुर । दयालबंद जगमल चौक में आज से प्रारम्भ हुये रामकथा में उपस्थित हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए हरिद्वार से आये स्वामी चिन्मयानन्द ने कहा कि रामकथा सच्चे अर्थों में जीवन जीने की कला सिखाती है ।
आज प्रथम दिवस कथा प्रारम्भ होने के पूर्व बाजे गाजे के साथ महिलाओं ने हजारों की संख्या में कलश यात्रा निकाली । झांकी शोभायात्रा और कलश यात्रा का जगह जगह श्रद्धालुओं ने फूल मालाओं से व आरती उतार कर स्वागत किया ।
रामकथा का आज के जीवन मे आवश्यकता को प्रतिपादित करते हुए पूज्य गुरु ने कहा कि आज रामकथा सबकी आवश्यकता है । हमने जीवन मे सबकुछ पा लिया मगर फिर भी हमे विश्राम नही है और हम जीवन जीने का ढंग ही भूल गए है । इन चीजों को प्राप्त करने के लिए हमे रामकथा का आश्रय लेना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि एक पुत्र ,पिता , भाई , दोस्त कैसे होना चाहिए यह हमे प्रभु राम के जीवन चरित्र से सीखना चाहिए । उन्होंने कहा रामचरित मानस एक कल्प वृक्ष है जिसके नीचे बैठने से हमारी हर मनोकामना पूर्ण होती है ।समाज के लिए प्रभु राम एक आदर्श है हमे उनके कार्य और आदर्श पर चलना चाहिये ।प्रारम्भ में बापू ने कथा की महिमा का गान किया। उन्होंने भगवान शिव को विश्वास और माता पार्वती को श्रद्धा स्वरूप मानते हुए प्रणाम कर कथा प्रारम्भ किया ।
इस अवसर पर आयोजन समिति के पदाधिकारी सदस्य गण तथा हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे ।