बेलतरा। विस क्षेत्र के 18 वार्डो के नतीजे तय करेंगे महापौर किसका
शहर के वार्डों में कांग्रेस तो परिसीमन के बाद बने वार्डो में भाजपा को हो सकता है नुकसान
महापौर के दावेदार दोनो दलों के अधिकांश प्रत्याशी मजबूत स्थिति में
कुछ निर्दलीय और बागी प्रत्याशी भी कांग्रेस भाजपा के उम्मीदवारों पर भारी पड़ रहे
बिलासपुर । नगर निगम के चुनाव में पहली बार वोट डाल रहे 32 नए वार्डों के ग्रामीण मतदाता ही तय करेंगे कि बिलासपुर नगर निगम का अगला महापौर किस दल से बनेगा हालांकि महापौर पद के दावेदार कांग्रेस भाजपा के अधिकांश पार्षद प्रत्याशी अपने प्रतिद्वंदियों से मजबूत स्थिति में है मगर एक को छोड़ महापौर के सारे दावेदारों की किस्मत में सिर्फ पार्षद रहना ही लिखा है । बेलतरा विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले 18 वार्डो में भाजपा ने प्रत्याशी चयन करते वक्त जो चूक की है उसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ सकता है यानि 18 में 8 वार्डो में भी भाजपा का प्रदर्शन यदि बेहतर रहै तो गनीमत होगा । कुछ बागी और निर्दलीय प्रत्याशी भी बेहतर प्रदर्शन कर चुनाव जीतने की स्थिति में दिख रहे है उन्हें कोई नही रोक पायेगा ।
नगर निगम के चुनाव का रँग अभी शहरी क्षेत्र के वार्डों में नही दिख रहा मगर परिसीमन के बाद जिन ग्रामो और ग्राम पंचायत , नगर पंचायत और नगर पालिका को खत्म कर नगर निगम में शामिल करते हुए 32 नए वार्ड बनाये गए है उन गांवों व वार्डो में त्योहार जैसा माहौल है । वहां के ग्रामीण मतदाताओं में नगर निगम के पार्षद के लिए पहली बार वोट डालने के लिए भारी उत्साह दिख रहा है । पूरा गांव पोस्टर बैनर से पट गया है दिवालो में प्रत्याशियों की अपील वाल पेंटिग से की गई है । चुनाव को लेकर ग्रामीण आपस मे चर्चा भी कर रहे है यानि वोटिंग को लेकर वे भारी उत्साहित है । सर्वाधिक 18 वार्ड बेलतरा विधानसभा क्षेत्र में है । इन 18 वार्डो में प्रत्याशी चयन करते वक्त कांग्रेस ने थोड़ी सी लापरवाही बरती है और जितने योग्य प्रत्याशी का चयन न कर नेता समर्थकों को टिकट दे दी है मगर भाजपा के तो लगभग सारे प्रत्याशी लगता है किसी समझौते के तहत डमी खड़े कर दिए गए है । भाजपा में प्रत्याशी चयन का जिम्मा बेलतरा विधायक रजनीश सिह का था मगर उन्होंने जिन लोगो को प्रत्याशी बनाने की अनुशंसा की है उनमें से अधिकांश की स्थिति अन्य प्रत्याशियों के मुकाबले काफी डांवाडोल है । ग्रामीणों से बातचीत के मुताबिक भाजपा के 18 में से 8 प्रत्याशी भी रजनीश सिह जीता कर ले आते है तो ताज्जुब होगा । यानि बिलासपुर नगर निगम का महापौर किस दल से होगा इसका निर्णय बेलतरा क्षेत्र के 18 वार्डो के मतदाताओ के वोट तय करेंगे ।
बेलतरा क्षेत्र के वार्डो में खड़े कुछ बागी और निर्दलीय प्रत्याशी भी धमाल करेंगे । क्योंकि उनकी स्थिति कांग्रेस भाजपा के प्रत्याशियों से बेहतर दिख रही है ।
नगर निगम में मस्तूरी , बिल्हा और तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के गांव भी शामिल है जहां के मतदाता पहली बार निगम पार्षद के लिए वोट डालेंगे ।। अभी मतदान को एक सप्ताह शेष है और अभी तक की स्थिति की जो तस्वीर उभर कर आ रही है उसके मुताबिक शहरी क्षेत्र में जहां कांग्रेस पर भाजपा भारी दिख रही है वही ग्रामीण क्षेत्र के 32 वार्डों में भाजपा पर कांग्रेस भारी पड़ रही है हो सकता है एक सप्ताह में स्थिति में कुछ बदलाव आ जाये ।
शहर में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चर्चित चेहरे और महापौर दावेदार के रूप में पूर्व नेता प्रतिपक्ष बसन्त शर्मा , पूर्व जिला अध्यक्ष ग्रामीण विजय केशरवानी , पूर्व पार्षद शैलेंद जायसवाल , पूर्व महापौर प्रत्याशी द्वय शेख गफ्फार व रामशरण यादव , नेता प्रतिपक्ष शेख नजीरुद्दीन , शहर अध्यक्ष नरेंद्र बोलर , तैयब हुसैन,रविन्द्र सिह ,राजेश शुक्ला आदि के नाम प्रमुख है तो भाजपा में भी महापौर के दावेदारों की कमी नही है । भाजपा में सभापति अशोक विधानी , पूर्व प्रभारी महापौर विनोद सोनी , पूर्व पार्षद राजेश सिंह ठाकुर , राजेश मिश्रा ,रमेश जायसवाल , दुर्गा सोनी आदि है ।
शहर में कांग्रेस भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में कांग्रेस भाजपा के नेता वार्डो में घूम घूम कर प्रचार करना शुरू कर दिए है ।इन सबके बीच एक ही सवाल है कि जिन नेताओ ने अपने समर्थकों को
टिकट दिलाया है उन्हें जिताने की ताकत भी ये नेता रखते है या नही ?,
सबसे दिलचस्प मुकाबला इस बार रेलवे क्षेत्र के 7 वार्डो में रहेगा जहां के नतीजे चौकाने वाले भी हो सकते है । अभी तक रेलवे क्षेत्र में भाजपा का कब्जा रहा है मगर 4 बार से लगातार चुनाव जीतने और भाजपा को सभी वार्डों में फतह दिलाने वाले व्ही रामाराव को पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने टिकट नही दी है । स्वभाविक है इसका असर इस चुनाव में पड़ेगा मगर कितना पड़ेगा यह चुनाव परिणाम आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा । भाजपा में गुटीय विवाद तो लगभग नही के बराबर है हालांकि कुछ दावेदार बागी होकर चुना व लड़ रहे है मगर कांग्रेस में गुटीय विवाद काफी गहरा गया है । शहर विधायक और संगठन के बीच की लड़ाई प्रत्याशी चयन के वक्त तो दिख चूकी है अब लड़ाई सार्वजनिक भी हो गई है जिसका खामियाजा निगम चुनाव में भुगतना पड़ सकता है ।