Explore

Search

November 21, 2024 8:49 pm

Our Social Media:

राहुल गांधी तब और अब ,सवा पांच साल पहले बिलासपुर आए राहुल और अब के राहुल में काफी बदलाव दिख रहा

20 मई ,2018 यानि ठीक विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिलासपुर आए थे तब के राहुल गांधी और आज के राहुल गांधी में काफी बदलाव दिख रहा ।पहले की तुलना में राहुल गांधी काफी आक्रामक हो चुके है। उनके खिलाफ कार्रवाई और उनके विरुद्ध विष वमन ने उन्हें कठोर बना दिया है। सांसदी जाने और फिर वापसी आने की घटना , पदयात्रा जैसे निर्णय से राहुल गांधी और मजबूत हुए है ।यह पता नही कि देश की बागडोर उन्हे कब मिलेगी? ,मिलेगी भी या नहीं इस बारे में कुछ भी नही कहा जा सकता लेकिन इतना जरूर है कि बीते सवा पांच साल में राहुल गांधी ने राजनीति के टेढ़े मेढे रास्ते को लांघने में सफलता पा ली है ।पांच साल में उनकी लोकप्रियता भी बढ़ी है। प्रत्येक भाजपा नेताओ की जुबान पर राहुल गांधी ने जगह पा ली है।पहले जैसे उनका उपहास भाजपाई नही कर पा रहे है।राजनीति में है तो आरोपों का सामना तो करना ही पड़ेगा ।वर्तमान समय में राजनीति काजल की कोठरी हो गई है जिसमे पाक साफ बच के निकलना हर राजनीतिज्ञ के वश की बात नही है।राहुल गांधी भी उसी काजल की कोठरी में हैं।सवा  पांच साल पहले बिलासपुर के छत्तीसगढ़ भवन में पहली बार राहुल गांधी से मुलाकात हुई थी ।करीब पौन घंटे तक संपादकों के साथ  हुई चर्चा के बाद राहुल गांधी के बारे में मैंने जो कुछ भी महसूस किया उसे फेस बुक में लिखा था उस अंश को जस का तस यहां पेश कर रहा हूं::::::::::;::::::::::::::::::::::

राहुल गांधी बिलासपुर आये । चुनिंदा सम्पादकों के साथ बैठकर अपने विचार साझा किए । यह उनकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है । कई

सम्पादकों ने अपने विचार राहुल गांधी के बारे में अपने अपने ढंग से व्यक्त किये मगर मेरा मानना है कि राहुल ग़ांधी एक ऐसे दौर से गुजर रहे है वैसा दौर न तो इंदिरा जी और न ही राजीव गांधी के वक्त था । स्वभाविक है उस काल मे न तो सोशल मीडिया की जन्म हुआ था और न ही योजनाबद्ध ढंग से प्रतिद्वंदी पार्टी के नेताओ के बारे में झूठ फैलाने और उनको पल पल पर अनादर करने सोशल मीडिया में पेड़ एम्प्लाई रखे गए थे और नही उस समय मोदी व शाह जैसे अनुदारवादी नेता थे । अटल बिहारी बाजपेयी के बाद अजीब किस्म के नेताओ का पदार्पण इस देश मे हुआ है । राहुल गांधी ऐसे नेताओं के चक्रव्यूह में फंस गए मगर जल्द ही बाहर भी आ गए । पता नही क्यो उनकी बातों को कोई तव्वजो ही नही दिया जा रहा था । बिलासपुर के छतीसगढ़ भवन में जब राहुल गांधी ने बातचीत शुरू की तो पहले तो ऐसा लगा कि 5,10 मिनट में बात खत्म हो जाएगी और अगले दौरे का हवाला दे वे खेद जताते हुए निकल जाएंगे मगर उनकी बातों और तथ्यों के साथ जवाब को सुनते हुए 50 मिनट कब बीत गया अहसास ही नही हुआ । राहुल गांधी ने गांधी परिवार के होने के नाते जो उलाहने सुने आरोपो और चौतरफा आक्रमण को झेलने की हिम्मत दिखाते हुए परिपक्व राजनीति के लिए काफी अभ्यास किया। ट्रेनिंग ली उसकी झलक एडिटर मीट में स्पष्ट दिख गया । मोदी और राहुल की तुलना तो की नही जानी चाहिए । कांग्रेस पार्टी और अपने परिवार से मिले संस्कार के अनुरूप शांत सौम्य और मौके की नजाकत को समझने तथा निर्णय लेने की क्षमता अब उसमें आ गई है । पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार बिलासपुर पहुंचे राहुल गांधी से पहली बार ही सम्पादको को मिलने का अवसर मिला मगर मैं इसे सामान्य नही मानता । यह निर्णय कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के रणनीतिकारों का रणनीति का हिस्सा हो सकता है । ऐसा करके राहुल गांधी की परिपक्वता को लेकर सकारात्मक ढंग से और मीडिया के माध्यम से आमजनों को सन्देश तो दिया जा सकता है । जिसमे वे सफल भी हुए । इतना तो निश्चित है कि लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी अब परिपक्व हो चुके है और प्रधानमंत्री मोदी तथा अमित शाह को उनकी ही भाषा मे जवाब देने और उनकी ही रणनीति में उन्हें घेरने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुके है । सम्पादकों के साथ बातचीत में राहुल गांधी ने एक मंजे हुए राजनीतिज्ञ की तरह तमाम प्रश्नों का ठोस तर्को के साथ न केवल जवाब दिया बल्कि यह भी एहसास करा दिया कि आने वाले समय मे वे हर तरह के सवालों और आरोपों का पूरी दृढ़ता के साथ न केवल जवाब दे सकेंगे बल्कि झूठे आरोप लगाने वालों की बोलती भी बंद करेंगे । झूठ बोलकर राजनीति करने का वे पर्दाफाश करने की भी हिम्मत रखते है । अगले साल तक वे और भी ज्यादा परिपक्व हो जाएंगे । देश की वर्तमान हालात और पड़ोसी देशों की स्थिति के बारे में भी राहुल गांधी ने काफी कुछ अध्ययन किया है यह उनके विचारों से स्पष्ट होता है । मोदी और अमितशाह के चलते आज कांग्रेस की जो स्थिति है और संकट के जिस दौर से पार्टी गुजर रही है उससे उबरने के लिए राहुल गांधी क्या क्या करेंगे यह तो पता नही मगर उनसे बातचीत और उनकी मेहनत से इतना तो जरूर लग रहा है कि वे हताशा और निराशा को काफी पीछे छोड़ आये है । आरएसएस और भाजपा के विचारों। सिद्धांतो पर राहुल गांधी ने काफी कुछ अध्ययन किया है यह उनकी बातों से पता चलता है । उनमें आत्मविश्वास भी गजब का है ।

निर्मल माणिक 20 मई, 2018

Next Post

राहुल गांधी तब और अब ,सवा पांच साल पहले बिलासपुर आए राहुल और अब के राहुल में काफी बदलाव दिख रहा

Sun Oct 8 , 2023
 20 मई ,2018 यानि ठीक विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिलासपुर आए थे तब के राहुल गांधी और आज के राहुल गांधी में काफी बदलाव दिख रहा ।पहले की तुलना में राहुल गांधी काफी आक्रामक हो चुके है। उनके खिलाफ कार्रवाई और उनके विरुद्ध विष वमन ने […]

You May Like