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November 21, 2024 7:42 pm

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सभी लोग छत्तीसगढ़ प्रदेश की भाषा छतीसगढ़ी में  ही वार्तालाप करें: डॉ विनय पाठक


माता शबरी शासकीय कन्या महाविद्यालय बिलासपुर में छतीसगढ़ी भाषा दिवस पर कार्य शाला आयोजित

बिलासपुर ।शासकीय माता शबरी माता नवीन कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय  बिलासपुर  में  हिंदी विभाग द्वारा छतीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर कार्यशाला  का आयोजन  महाविद्यालय के सभागार में आयोजित हुई।सरस्वती बंदना,स्वागत और छतीसगढ़ी सुवा नृत्य के बाद।छत्तीसगढ़ की वंदना अरपा पैरी के धार का सभी लोगों ने खड़े होकर गायन किया।

     

   मुख्य अतिथि साहित्यकार डॉ विनयकुमार पाठक  ने कहा”छतीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में जोड़ने के लिए जनांदोलन  करना पड़ेगा ,और छतीसगढ़ी को राजभाषा तथा हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाना ही होगा। इसके लिए जरूरी है सभी  लोग,पढ़े लिखे लोग भी  छतीसगढ़ी में ही वार्तालाप करें।
विशिष्ट अतिथि  द्वै डॉ अरुण कुमार यादव साहित्यकार ने राजभाषा के वैशिष्ट्य पर प्रकाश डाला। हिंदी और छतीसगढ़ी के विषय       विशेषज्ञ डॉ पी डी महंत ने छतीसगढ़ी भासा में स्वर,व्यंजन,संधि, समास,संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण,लोकोक्ति, मुहावरे और पहेलियों का उदाहरण देते हुवे कहा कि हमारी  छतीसगढ़ी भासा का इतिहास 13हवीं  सताब्दी से  मिलता है। इस भासा में लयात्मकता,ध्वन्यात्मकता,बोधगम्यता , लोकव्यवहार का अपना पन सहजता अनायास मिलता है,इसलिए छतीसगढ़ी विशिष्ट भाषा है। पंडित लोचन प्रसाद पाण्डेय जी ने तो छत्तीसगढ़ को मानव सभ्यता का  केंद्र बताया है।रायगढ़ के शिंघनपुर के पर्वतीय क्षेत्र में पत्थरों में लिखा    लिपि चिन्ह  जो आज से 20से 50हजार वर्ष पुराना है . इस से इस बात का पता लगता है।

छतीसगढ़ी भासा में अपना पन का एक उदाहरण जो कि लक्ष्मण मस्तुरिया की लिखी रचना है का स्वर सहित पाठ किया
“देखा आके,मोर हिरदय ला
अभी ले दग  दग सादा हे
तुहूं जियव आऊ हमु जियन
बस येही हमर आसा हे
मैं महानदी के पानी अव
छत्तीसगढ़ के  माटी  अव”।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ आर के वर्मा ने कहा कि यह कार्यशाला छतीसगढ़ी राजभाषा को भारत में एक पहचान देगी,जिसके लिए हिंदी विभाग बधाई के पात्र  है।इस अवसर पर डॉ नाज बेंजामिन, डॉ एल एन दुबे, डॉ अर्चना शुक्ला, श्री मती शोभा महिस्वर, डॉ दिलीप शुक्ला, डॉ आर के तिवारी, डॉएस के पटेल, डॉ शशि कला सिन्हा, डॉ ललिता साहू, डॉ यतिनंदिनी पटेल, डॉ अनुपा तिर्की, एवम अतिथि प्राध्यापक गण, 300 छात्राएं उपस्थित थी।
आभार प्रकट हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ ईसा बेला लकड़ा ने तथा मंच  का सफल संचालन  श्री मति बेला महंत ने किया।

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