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November 22, 2024 1:35 am

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नंद कुमार साय का विकल्प बने विष्णुदेव साय,झारखंड की तरह छग में भी अब आदिवासी मुख्यमंत्री की शुरुआत विष्णुदेव साय से ,परंपरा आगे भी जारी रहेगी!

बिलासपुर। पूरे एक हफ्ते तक  इंतजार करने के बाद आखिरकार छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री की तलाश पूरी हो गई और भारतीय जनता पार्टी ने ने बड़ी दरिया दिली दिखाते हुए छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली बार आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग को स्वीकार कर छत्तीसगढ़ के बड़े आदिवासी चेहरे के रूप में जाने जाने वाले पूर्व सांसद,पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और कुनकुरी  से निर्वाचित विधायक विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा करके छत्तीसगढ़ के  करीब एक करोड़ आदिवासियों  का दिल जीत लिया है ।  भाजपा  के इस ऐतिहासिक निर्णय से आदिवासियों के मन में उत्साह की लहर दौड़ गई है। 

विष्णु देव साय  आदिवासियों में कंवर जाति के हैं और छत्तीसगढ़ में कंवर आदिवासियों की संख्या दूसरे नंबर पर है । पहले नंबर पर गोड  आदिवासी है जिनकी संख्या सर्वाधिक है । भारतीय जनता पार्टी ने विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा नेतृत्व ने  एक तीर से कई शिकार किए हैं ।सबसे बड़ी बात तो यह कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग करने वाले वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय जो कि भाजपा से उपेक्षित होकर कांग्रेस में जा चुके हैं के  विकल्प के रूप में विष्णु देव साय  को मुख्यमंत्री बनाकर देखा गया   है वहीं दूसरी तरफ बस्तर से लेकर सरगुजा तक के 30% से अधिक आदिवासियों के वोट बैंक को भारतीय जनता पार्टी की तरफ लाने के लिए तथा लोकसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में आदिवासियों का वोट हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने यह निर्णय लिया है। विष्णु देव साय  मुख्यमंत्री के रूप में निश्चित ही एक सफल मुख्यमंत्री साबित होंगे और उनमें मुख्यमंत्री बनने की पूरी योग्यता है ।संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के  29 विधानसभा जो आदिवासी वर्ग  के लिए  आरक्षित है, में भारतीय जनता पार्टी ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की है यानि भारतीय जनता पार्टी के आदिवासी विधायकों की संख्या 18 है तथा कांग्रेस के आदिवासी विधायकों की संख्या 10 है और एक विधायक गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से है ।इस तरह  भारतीय जनता पार्टी को सर्वाधिक 18 विधायक  आदिवासी क्षेत्र से प्राप्त हुए हैं इसलिए  इस लिहाज से भी भारतीय जनता पार्टी की  यह जिम्मेदारी बन जाती थी कि प्रदेश में मुख्यमंत्री चयन की बात आती है तो बिना किसी किंतु परंतु या ना नुकुर के एक आदिवासी और योग्य विधायक को मुख्यमंत्री बनाया जाए। भारतीय जनता पार्टी ने इस तथ्य को ध्यान में रखकर शायद पूरी ईमानदारी के साथ और एक करोड़ आदिवासियों का मन रखने के लिए मुख्यमंत्री के रूप में विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री पद का ताज पहनाया है ।भाजपा के इस निर्णय से भाजपा की गुटीय राजनीति में संतुलन बना रहेगा ।आशा की जानी चाहिए कि सरल, सहज और निर्विवाद छवि के विष्णु  देव साय मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल निर्बाध गति से पूरा करेंगे और छत्तीसगढ़ को उन्नति और प्रगति के पथ पर ले जाएंगे ,इतना ही नहीं  विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश में सांप्रदायिक सद्भाव का वातावरण भी बनेगा एवं हर पीड़ित को समय पर न्याय मिलेगा। प्रदेश के आदिवासियों ,अनुसूचित जातियों, पिछड़ा वर्ग तथा कमजोर वर्ग के लोगों को हर क्षेत्र में लाभ मिलेगा ।वैसे यह माना जा रहा है कि विष्णु देव साय का मुख्यमंत्री के रूप में चयन उसी दिन हो गया था जब पर्यवेक्षक के रूप में दो आदिवासियों और एक अनुसूचित जाति के नेता को छत्तीसगढ़ भेजे जाने का आदेश भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा दिया गया था ।पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा भी आदिवासी हैं इस लिहाज से यह तय माना जा रहा था कि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद की ताजपोशी किसी आदिवासी विधायक विशेष कर विष्णु देव साय की ही होगी ।यह उल्लेखनीय है कि  छत्तीसगढ़ राज्य बनने  के बाद से ही आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग लगातार होती रही है ।पूर्व सांसद और प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष, प्रथम नेता प्रतिपक्ष नंदकुमार साय भारतीय जनता पार्टी के सिद्धांतों की विपरीत जाकर लगातार यह मांग करते रहे कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए लेकिन आज जब भारतीय जनता पार्टी ने ही आदिवासी मुख्यमंत्री बनाया है ,नंद कुमार साय आज भारतीय जनता पार्टी में नहीं है बल्कि वे कांग्रेस में है। भले ही वे भारतीय जनता पार्टी में नहीं है लेकिन वह भी खुश होंगे की चलो मैं न सही विष्णु देव के रूप में आदिवासी मुख्यमंत्री तो छत्तीसगढ़ में बन ही गया ।यदि नंद कुमार साय भारतीय जनता पार्टी में रहते तो आदिवासी मुख्यमंत्री के दावेदारों में उनका नाम पहले नंबर पर होता लेकिन कहा गया है कि वक्त के पहले और किस्मत से ज्यादा कुछ नहीं मिलता। शायद नंदकुमार साय की किस्मत में फिलहाल इस कार्यकाल में मुख्यमंत्री बना नहीं लिखा था। विष्णु देव साय को आदिवासी मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद अब यह चर्चा जमकर होने लगी है कि छत्तीसगढ़ में भी अब झारखंड की तरह आदिवासी मुख्यमंत्री आगे भी बनते रहेंगे। सत्ता चाहे भाजपा की हो या भविष्य में कांग्रेस की भी बने आदिवासी मुख्यमंत्री बनाए जाने  की परंपरा जो भाजपा ने  शुरू की है उसे अब यूं ही इग्नोर नही किया जा सकेगा । इतना जरूर है कि नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री  के समक्ष कई बड़ी चुनौतियां है । नक्सल समस्या से लेकर जल ,जंगल ,जमीन की लड़ाई से भी उन्हें निपटना  होगा ।उनकी अपनी ही पार्टी में कई तरह के विरोधाभाषी नेताओ और असंतुष्ट लोगो से भी पार पाना होगा ।

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