बिलासपुर । हसदेव अरण्य क्षेत्र में स्थिति अभी ठीक-ठाक नहीं है ।बड़े पैमाने पर पेड़ों को काटे जाने को लेकर तथा अदानी कंपनी को कोयला निकालने के लिए दिए गए अनुमति के विरोध में धीरे-धीरे कर पूरे प्रदेश से तथा अन्य राज्यों से भी पर्यावरण प्रेमी और तमाम राजनीतिक दलों के लोग इकट्ठा होना शुरू हो गए हैं । 600 दिनों से भी अधिक हो गए विरोध प्रदर्शन जारी है । धरना स्थल पर कल सात जनवरी को हरियाणा ,दिल्ली ,मध्य प्रदेश समेत रायपुर, दुर्ग, भिलाई ,बिलासपुर ,कोरबा ,जांजगीर ,बस्तर,गरियाबंद,अंबिकापुर समेत अन्य स्थानों के लोग हजारों की संख्या में हरिहरपुर में एकत्र हुए और पेड़ कटाई तथा अदानी को अनुबंध के विरोध में आखरी दम तक लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया।
कल रविवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सांसद दीपक बैज के साथ ही कांग्रेस के तमाम पदाधिकारी, पूर्व विधायक ,वर्तमान विधायक, आम आदमी पार्टी के नेता ,छत्तीसगढ़ क्रांति सेना ,छत्तीसगढ़ जोहर पार्टी आदि के कार्यकर्ता और पदाधिकारी आदिवासियों का साथ देने हरिहरपुर पहुंचे और केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार की भूमिका की तीखी आलोचना करते हुए पेड़ों की कटाई नही होने देने तीव्र आंदोलन का संकल्प लिया ।आंदोलन स्थल और उसके 3,4 किलोमीटर के दायरे में सरगुजा पुलिस बल तैनात रही ।
अभी समग्र चिंतन का विषय है कि जंगल और विकास के बीच संतुलन बनाना होगा हमारी कोयले की जरूरत कितनी है क्या उतना कोयला उत्खनन कोल इंडिया की कोयला खदानों से जिसमें ओपन और अंडरग्राउंड माइन्स शामिल है से मिल जाता है तो हमें अन्य कोल ब्लॉक की जरूरत नहीं है। जब हम अपने देश को अपनी मां मानते हैं तो उसके आंचल के अंदर हमारा हाथ घुसता कैसे देख सकते हैं। हसदेव भारत माता का आंचल है और हमारे शासक वर्ग ने ही अपनी लालच के चलते भारत मां के आंचल को उधेड़ना शुरू कर दिया है। हसदेव अरण्य का आंदोलन वहां निवास रत आदिवासी भाइयों का आंदोलन नहीं है जो पूंजीपति वर्ग हसदेव में तांडव कर रहा है, पेड़ों का कतले आम कर रहा है, वही पूंजीपति वर्ग देश की औद्योगिक राजधानी मुंबई के धारावी को भी उजाड़ रहा है। मतलब हाथी से लेकर इंसान तक की, और जंगल में एक लंगोट पहने से लेकर धारावी के थ्रीपीस सूट वाले तक की गर्दन आज देश का एक उद्योगपति काटने पर उतारू है।
कोयले की ऊर्जा का दोहन भी अदानी करेंगे और ग्रीन एनर्जी के लिए सोलर प्लांट भी अदानी लगाएंगे आखिर भारत सरकार किसी एक आदमी पर इतनी मेहरबान कैसे हो सकती है। हसदेव का आंदोलन 10 वर्षों से चल रहा है। हसदेव क्षेत्र में हाथी से लेकर तितली तक का निवास है। इन सब के विनाश का दरवाजा हमने खोल दिया है। हसदेव नदी का कैचमेंट एरिया 1870 वर्ग किलोमीटर का है। इसी क्षेत्र में मिनी माता बांगो बांध है जिससे 4 हेक्टेयर की सिंचाई होती है। क्षेत्र के वनों का विनाश होगा तो मध्य भारत के इस केंद्र बिंदु का जंगल खत्म होगा और इसका असर नागपुर तक पहुंचेगा। नागपुर का हम विशेष उल्लेख इसलिए करते हैं कि अदानी हो या केंद्र सरकार सबका रिमोट तो केशव कुंज है क्या आरएसएस जो स्वदेशी आंदोलन को अपना टैगलाइन बताती है राष्ट्रभक्ति पर जिसका एकाधिकार है उसे नो गो क्षेत्र में चल रही यह डकैती दिखाई नहीं देती…. इस क्षेत्र में 150 प्रकार की वनस्पति 68 प्रकार के पक्षी जिसमें 16 प्रकार की प्रजाति विलुक्ति के स्तर पर है। यह क्षेत्र हाथियों का परंपरागत निवास स्थान है पिछले पांच साल में 205 आदमी हाथियों के गुस्से का शिकार हुए जान गवा बैठे। जैसे-जैसे जंगल कटेगा हाथी जंगल से बाहर आएगा गांव की तरफ जाएगा दाना पानी के लिए आदमियों को मारेगा और आदमी अपनी जान बचाने हाथी को मारेगा। देश में कुल 900 कोल ब्लॉक हैं जिसमें 153 कोल ब्लॉक जंगल के अंदर है ऐसे में कोई जरूरत ही नहीं कि हम जंगल के अंदर का कोयला निकालने जाएं। अभी हाल ही में भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समझौता पत्र पर साइन किया और वादा किया की 30 साल के भीतर का कोयला का उपयोग खत्म कर दिया जाएगा। ऐसे में इतने कम समय के लिए कोयला प्राप्त करने के चक्कर में किसे लाभ पहुंचाया जा रहा है। भारत में वर्तमान में चल रहे कोल ब्लॉक में उपलब्ध कोयले का मात्र एक प्रतिशत का दोहन हम कर पाए हैं। ऐसे में नए कोल ब्लॉक निजी क्षेत्र को देने का कोई औचित्य नहीं है। हसदेव अरण्य के इस क्षेत्र को 2010 में ही नो गो क्षेत्र घोषित किया गया था। सरकार ने पिछले दरवाजे से अदानी की एंट्री कराई। यहां का कोल ब्लॉक राजस्थान सरकार को आवंटित किया और राजस्थान सरकार ने अदानी की कंपनी के साथ मिलकर कोल ब्लॉक के लिए समझौता किया। कल खनन का 30 प्रतिशत राजस्थान सरकार को मिलेगा शेष उत्पादन कंपनी कहीं भी बेचेगा इस क्षेत्र की 20 ग्राम पंचायत की सभा ने कभी भी अपनी लिखित सहमति नहीं दी, ध्यान रहे यह क्षेत्र संविधान की पांचवी अनुसूची में आता है बगैर ग्राम सभा अनुमति के खनन नहीं किया जा सकता पर हो रहा है। ऐसे में हसदेव जंगल बचाने का कर्तव्य देश के हर नागरिक का है जब पंजाब में पराली जलता है तो दिल्ली में बैठा सुप्रीम कोर्ट तक परेशान होता है। हसदेव का पेड़ कटेगा थर्मामीटर का पारा ऊपर चढ़ेगा तो उच्चतम न्यायालय की ठंडी हवा भी गर्म हो जाएगी इतना सीधा सा गणित आखिर मानव प्रजाति को समझ क्यों नहीं आता। रायसेना हिल्स हो, पहुना हो या हरिहरपुर हो। कोविड के समय ऑक्सीजन की कमी हमने देखी है। हसदेव का जंगल ऑक्सीजन का बड़ा सिलेंडर है यदि बंद हो गया तो छोटे सिलेंडर पूर्ति नहीं कर पाएंगे इतना ही नहीं सनातन धर्म का राग अलापने वाले भी जान ले मर्यादा पुरुषोत्तम राम के लिए एक मंदिर बना है जिनके वनवास का एक बड़ा समय हसदेव के जंगल में ही बीता था। क्या अपने ही रामलल्ला के निवास स्थान को उजाड़ना जायज है इस पर गंभीर चिंतन की जरूरत है ।