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July 4, 2025 12:50 pm

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छतीसगढ़ी भाषा में शोध की अपार संभावनाएं..प्रोफेसर डॉ फूल दास महंत

बिलासपुर।डॉ . सी . व्ही.रमन विश्वविद्यालय करगी रोड कोटा में विकसित भारत@2047:अनुसंधान,भारतीय भाषा एवं भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे सत्र में छतीसगढ़ी भाषा में अपना शोध पत्र का वाचन करते हुए प्रो. डॉ महंत ने कहा”छतीसगढ़ी,छत्तीसगढ़ की आत्मा है ,अपनी मातृ भाषा की संस्कार अपनी जननी के दुग्ध की तरह हमारे रग रग में संचरित होकर हमें अपना पन का बोध कराती है।”

छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद से ही छतीसगढ़ी को राज भाषा का दर्जा 28नवंबर 2007से दे दिया गया है,छत्तीसगढ़ के अनेक विश्वविद्यालयों में अब छतीसगढ़ी भाषा स्नातक,स्नातकोत्तर एवं पी एच डी भी छतीसगढ़ी में होने लगे हैं,फिर भी छतीसगढ़ी भाषा में भाषा वैज्ञानिक क्षेत्र में,छतीसगढ़ी की संस्कृतियां,परंपराएं, छतीसगढ़ी के मानक रूप,,छतीसगढ़ी में नवाचार को प्राथमिकता,छतीसगढ़ी के ब्याकारणिक स्वरूपों,छतीसगढ़ी के मूर्धन्य साहित्यकारों और उनकी रचनाओं को लेकर विशद गहन अध्ययन ,शोध की जरूरत है,।शोध करने के पहले छतीसगढ़ी के अनुभवी विषय विशेषज्ञों की राय लेना जरूरी इसलिए भी है कि छतीसगढ़ी के मूल उत्स से बहुतायत लोग भटक रहे हैं और सस्ती लोकप्रियता पाने के चक्कर में छत्तीसगढ़ी साहित्य की गरिमा को प्रभावित कर रहे हैं।
इस शोध संगोष्ठी में विकसित भारत के साथ छतीसगढ़ी भाषा को भी भारतीय भाषा के साथ जोड़कर विश्विद्यालय ने एक सफलीभूत कार्यक्रम किया है,जिसकी निहायत जरूरत है।

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