बिलासपुर ।न्याय धानी और संस्कारधानी कहे जाने वाले अपने बिलासपुर शहर में एक बांग्ला भाषी नामचीन कवि ,साहित्यकार और अपने गानों को कंपोजिग करने वाले ऐसा शख्स भी निवास करता है जिनकी बांग्ला में लिखी रचनाओं को अंग्रेजी में अनुवाद कर कई पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं। पिछले चार साल से वे इस शहर में है ।वर्ष 2020 में जब पूरा देश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा था तब इनका तबादला एस ई सी एल मुख्यालय बिलासपुर में हुआ था ।
हम बात कर रहे हैं नामचीन कवि और साहित्यकार शुभ्रकांति कर का ।उनके कुछ मित्र, जो विदेश में रहते हैं, अंग्रेजी साहित्य के प्रेमी हैं, लंबे समय से सुभ्रकांति कर की कविताओं का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद देखना चाह रहे थे ताकि उनकी कविताओं को व्यापक पाठक वर्ग मिल सके ।इसी वजह से बंगला के कुछ नामचीन साहित्यकार जो बांग्ला रचनाओं को अंग्रेजी में अनुवाद करते है ,ने शुभ्र क्रांति कर के कुछ रचनाओं का अंग्रेजी में अनुवाद कर पुस्तक के रूप में प्रकाशित करवाने में भरपूर सहयोग दिया ।
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सुभ्रकांति कर पहले ही बंगाली साहित्य की दुनिया में एक कवि के रूप में नाम कमा चुके हैं और उनकी संकलित कविताओं की छह किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।इनका जन्म 5 अप्रैल, 1965 को उड़ीसा के तालचेर में साउथ बलंदा कोलियरी में हुआ था। अपने बचपन के दिन बिताने के बाद वह पश्चिम बंगाल में हिंद मोटर में बस गए।घर पर इनका पालन-पोषण कला, साहित्य, नाटक में अभिनय आदि के माहौल में हुआ। उनके पिता एक अच्छे नाटककार थे। इसके अलावा उनके पिता द्वारा लिखी गई कविताएँ विभिन्न साहित्यिक गोष्ठियों में सुनाई जाती थीं।
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अपने पिता की असामयिक मृत्यु के बाद, उनकी माँ के प्रोत्साहन ने उन्हें संगीत और साहित्य की पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रेरित किया। रामकृष्ण आश्रम स्कूल में छात्रावास के दिनों के दौरान उनके द्वारा लिखी गई कविताएँ और लघु कहानियाँ मुद्रित रूप में प्रकाशित हुईं। समय बीत गया लेकिन उनकी साहित्यिक गतिविधियों में कोई कमी नहीं आई।इनके पुत्र अमेरिकी एंबेसी में कार्यरत है और वे भी राइटर ,डायरेक्टर है ।
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आप एस ई सी एल मुख्यालय में लेखा विभाग में अधीक्षक के पद पर हैं ।साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की नौकरी उनकी अदम्य साहित्यिक गतिविधियों या कविता और लघु कथाएँ लिखने के रास्ते में नहीं आई है। उनकी कविताएँ विभिन्न साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। उनकी कविता विभिन्न विषयों को दर्शाती है – सामाजिक, राजनीतिक, मानवतावाद में गिरावट, प्रेम और अलगाव, संघर्ष और रिश्तों में जटिलता आदि। वह समाज के गरीबों और वंचितों के बीच विकास कार्यों में लगे हुए हैं।
20240229_201715 इनकी कविताओं के छह संकलन पहले ही प्रकाशित हो चुके हैं। इस प्रकार उन्होंने एक कवि के रूप में साहित्य जगत में अपनी अलग पहचान बनाई है।उनका मानना है कि गरीब और संपन्न परिवार दोनो में ही वैचारिक मतभेद रहता है लेकिन कारण अलग रहते है ।शासन की ज्यादातर योजनाएं गरीब परिवारों के लिए होती है लेकिन उनका क्रियान्वयन सही ढंग से नहीं होने के कारण योजनाएं ज्यादातर गरीबों तक बही पहुंच पाती इन्ही बातो को लेकर भी वे अपनी कविताओं को केंद्रित करते है ।इनकी लिखी 10 पुस्तको में 5 पुस्तक इंटरनेशनल स्तर पर चर्चित बुक फेयर के स्टाल में लगाई जा चुकी है ।यहां बिलासपुर में आने के बाद कविताओं के लेखन में थोड़ी कमी आई है लेकिन कोलकाता में रहने के दौरान वे लगातार कवि सम्मेलनों और बांग्ला टी वी चैनलों में बुलाए जाते रहे है ।असम,आसनसोल सहित कई प्रमुख शहरों में भी कविता पठन पाठन के लिए उन्हें बुलाया जाता रहा है ।उनकी तीन कविताएं आस्ट्रेलिया की मैगजीन Teesta में प्रकाशित हो चुकी है ।
उन्होंने छत्तीसगढ़ के रहवासी और उनके रहनसहन तथा व्यवहार की चर्चा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की मिट्टी में सोना है,यहां की धरती समृद्ध शाली है और यहां के लोग भोले ,सरल और निष्कपट है लेकिन यहां के लोगो की तमाम उद्योगों,व्यापार में सहभागिता नही के बराबर है ।बाहर राज्यों से आए लोगो ने अपना व्यापार धंधा बढ़ा लिया, जमीनें खरीद ली,बड़े संस्थानों में नौकरियां हासिल कर ली लेकिन यहां जमीन से जुड़े लोगो को आशातीत फायदा नही मिल पा रहा ।मैं कवि हूं इसलिए ये सारी बाते और अव्यवस्था मन को कचोटती है। दिल में ठेस पहुंचती है । उन्होंने बताया कि वे अपने पुस्तको की रायल्टी जब तक एस ई सी एल में नौकरी कर रहे है , न लिए है और न लेंगे ।सेवानिवृति के बाद इस पर विचार करेंगे।