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November 21, 2024 3:52 pm

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बसपा का तेजी से घटता जनाधार,योग्य और प्रभावी चेहरों को मिले टिकट तभी वोट बैंक ठहर पाएगा

बिलासपुर। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ,भाजपा ने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है वहीं आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का अभी कहीं अता पता नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी की जो दुर्गति हुई है उसको लेकर दोनों ही पार्टियों को लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन करने के मामले में गंभीरता पूर्वक विचार करने की जरूरत है। खासकर बहुजन समाज पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव चैलेंजिंग है क्योंकि छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी यदि बेहतर प्रत्याशी खड़ा नहीं करती है या प्रत्याशी घोषित नहीं करती है तो उसके छत्तीसगढ़ में मौजूद लाखों समर्थक मतदाता जिसे वोट बैंक कहा जाता है,को कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी को अपना मतदान करने के लिए विवश होना पड़ेगा। इसलिए आज से बहुजन समाज पार्टी को अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए लोकसभा चुनाव में योग्य उम्मीदवार खड़ा करने की मजबूरी या चुनौती निश्चित रूप से है। विधानसभा चुनाव में प्रदेश के मतदाताओं ने सिर्फ कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी को अपना मत दिया तथा यह भी स्पष्ट हो गया कि बहुजन समाज पार्टी का जनाधार योग्य प्रत्याशियों के अभाव में निरंतर खिसकते जा रहा है जिसको बनाए रखने के लिए बहुजन समाज पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारियो को गंभीरता पूर्वक सूचना होगा। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा को एक सीट में 50000 से भी अधिक वोट प्राप्त हुए थे लेकिन हाल में हुए विधानसभा चुनाव में ऐसा क्या हो गया कि बसपा का वोट 50000 से घटकर 15000 में आ गया? इसका सीधा सा अर्थ है कि वोटो का ध्रुवीकरण अब शुरू हो गया है और दो ही राष्ट्रीय पार्टियों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में वोटर बंटने लगे है। ऐसे में बहुजन समाज पार्टी को अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए बिना किसी लाभ या लालच अथवा गठबंधन के बेहतर चेहरे को लोकसभा चुनाव में उतारना पड़ेगा। बहुजन समाज पार्टी में कई अच्छे चेहरे और प्रभावी चेहरे भी छत्तीसगढ़ में है जिन्हें बहुजन समाज पार्टी पता नहीं क्यों उम्मीदवार नहीं बनाना चाहती है। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक मान्यवर कांशीराम ने अपनी जिंदगी में पहला चुनाव जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से लड़ा था। तब हालांकि उनकी हार हुई थी लेकिन 94000 वोट पाकर उन्होंने पूरे देश को न केवल आश्चर्यचकित कर दिया था बल्कि तब कांग्रेस के लिए बहुजन समाज पार्टी एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा था लेकिन आज बहुजन समाज पार्टी रसातल की ओर जाती नजर आ रही है।छत्तीसगढ़ निर्माण के पहले बसपा के संस्थापक काशीराम ने बिलासपुर के रघुराज सिंह स्टेडियम में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की मौत का ऐलान किया था कुछ वर्षों बाद जब वे पुनः बिलासपुर आए तो उन्होंने हमसे एस ई सी एल मुख्यालय के गेस्ट हाउस में विशेष बातचीत के दौरान स्वीकार किया था कि यह सही है कि मैंने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की मौत का ऐलान किया था लेकिन आज मुझे यह कहते हुए जरा भी संकोच नहीं है कि छत्तीसगढ़ में उनकी पार्टी बहुजन समाज पार्टी की मौत हो गई है ।अपने संस्थापक के इस कथन पर अगर बसपा के कर्ताधर्ताओं को थोड़ी भी शर्मिंदगी हो तो वह बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक को सहेजने की कोशिश में लग जाए और इसकी शुरुआत लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रत्याशियों के चयन से शुरू हो। अभी छत्तीसगढ़ में बिलासपुर बहुजन समाज पार्टी के कई प्रभावी नेता है जिनमे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दाऊ रत्नाकर, ई रामेश्वर खरे,श्याम टंडन,दुजराम बौद्ध,नर्मदा प्रसाद अहिरवार,रामजी गौतम,मनीष आनंद,हेमंत पोयाम,लाल साय खूंटे,इंदु बंजारे,ओपी बाजपेई,केशव चंद्रा,रामकुमार सूर्यवंशी,अशोक मरावी ,तुलेश्वर मरकाम हेमचंद मिरी ,राधेश्याम सूर्यवंशी प्रमुख है। बसपा यदि गोंगपा से गठबंधन करती है तो तानाखार के विधायक को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए राजी किया जा सकता है।

 

 

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