बिलासपुर । लोकसभा चुनाव में पलायन करने वाले श्रमिको की बड़ी भूमिका रहती है ।ये श्रमिको के वोट प्रत्याशियों के हार जीत भी तय करते है । ज्यादातर मुंगेली,मस्तूरी ,तखतपुर ,बिल्हा क्षेत्र के मजदूर अन्य राज्यो में कमाने खाने जाते है । पिछले लोकसभा चुनाव में लगभग 2 लाख मजदूर मतदाता वोट डालने नही आए थे और भाजपा प्रत्याशी अरुण साव की 1 लाख ,41 हजार वोटो से जीत हुई थी लेकिन इस बार अधिकांश मजदूर लौट आए है ।जानकारी के मुताबिक सिर्फ 10 प्रतिशत मजदूर उप्र में है । पलायन करने वाले ज्यादातर मजदूर अ जा वर्ग के होते है और ऐसा माना जाता है कि अजा के ज्यादातर वोटर भाजपा को वोट देने से कतराते है ।अब चूंकि अजा के ज्यादातर मजदूरो के वापस लौट आने की खबर है ऐसे में भाजपा के नेता इन अजा वोटर का समर्थन पाने कुछ न कुछ रणनीति तो बनाए ही होंगे और यदि अ जा के वोटर को साधने में भाजपा सफल नहीं हो पाती है तो रिजल्ट कुछ भी हो सकता है ।वही कांग्रेस प्रत्याशी को इन अजा के वोटर को सहेज कर रखने की बड़ी जिम्मेदारी है ।बसपा का प्रत्याशी भी अजा का न होकर ओबीसी वर्ग से है इसलिए अ जा वर्ग के वोटो का झुकाव इस बार बसपा की तरफ शायद ही हो पाए ।तखतपुर क्षेत्र के एक अजा नेता का बयान भी आया है कि अजा के मतदाता भाजपा में शामिल संतोष कौशिक गुरुजी के झांसे में नहीं आने वाली है ।वे अवसरवादी नेता है ।
उल्लेखनीय है छत्तीसगढ़ से हर साल करीब 10 लाख मजदूर पलायन कर आजीविका की तलाश में अन्य दूसरे प्रदेश चले जाते हैं।आज भी बिलासपुर में विकास की रफ्तार बेहद धीमी है। इसलिए मजदूर अच्छे काम और बेहतर मजदूरी तलाश में परदेस चले जाते हैं। सरकार इसे मजदूरों की पलायन करने की प्रवृत्ति मानती है लेकिन अगर इन्हें अपने घर में ही बेहतर रोजगार मुहैया हो जाए तो कोई क्यों परदेस जाना चाहेगा ?यह सरकार और स्थानीय प्रशासन के लिए एक बड़ा सवाल है ।उल्लेखनीय है कि
बिलासपुर जिले में मजदूरों का पलायन कोई नहीं बात नहीं है।. बात चाहे फिर फसल कटाई की हो या फिर ईंट-भट्ठों में मजदूरी करने की, हर साल गावो के मजदूरों का पलायन पहले से ही बदस्तूर जारी है। यहां से अधिकांश मजदूर दूसरे प्रदेशों के ईंट-भट्ठे पर काम करने के लिए हर साल पलायन कर जाते हैं। छत्तीसगढ़ से हर साल करीब 10 लाख मजदूर दूसरे राज्यों में काम की तलाश में पलायन कर जाते हैं। जो सरकारी रिकार्ड में नही होता ।उन्हे दूसरे प्रदेश के ठेकेदार यहां के ठेकेदारों के माध्यम से कम दिलाने कांट्रेक्ट बेस पर बसों और रेल से बुलवाते है ।बड़ा सवाल यह है कि अजा के ये मजदूर मतदाता किस पार्टी के पक्ष में अपना वोट डालेंगे ?