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July 4, 2025 6:45 pm

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वादों की पोल खुलेगी या फिर वादों पर वोटरों ने मुहर लगाया है इसका खुलासा एक सप्ताह बाद हो जायेगा

 बिलासपुर। लोकसभा के सातवे चरण का मतदान संपन्न  होने के 3 दिन बाद यानि ठीक एक सप्ताह बाद बिलासपुर समेत छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों के नतीजे आ जायेंगे । दोपहर 12 बजे तक छत्तीसगढ़ की राजनीति स्पष्ट हो जायेगी । चार जून को यह भी स्पष्ट हो जायेगा कि छत्तीसगढ़ के मतदाता अबकी बार 4 सौ पार , मंदिर ,मस्जिद,मोदी की गारंटी ,पाकिस्तानी मदद  ,मुस्लिम लीग जैसे नारों की भावनाओ में बह गए या फिर युवाओं को रोजगार,मंहगाई ,संविधान की रक्षा, महिला सुरक्षा ,किसानों को एम एस पी आदि जैसे वादों पर भरोसा किए।

रही बिलासपुर लोकसभा सीट की तो पहली बार शायद ऐसा लगा कि चुनाव लडा जा रहा है अन्यथा लोकसभा चुनाव को लेकर आम लोगो में ज्यादा रुचि नहीं रहती ।कांग्रेस भाजपा उम्मीद वारों ने सचमुच में जीतने के लिए इस बार चुनाव लडा है ।भाजपा के चार सौ पार के प्रभावी नारों के बीच कांग्रेस प्रत्याशी ने बिलासपुर की राजनीति में बदलाव लाने के लिए बड़ी मेहनत की है ।मतदाता ने क्या सोचा यह 4 जून को स्पष्ट हो जाएगा । अभी तो फिलहाल होटल ,पान ठेला,सब्जी बाजार में ,राजनैतिक दलों के नेताओं के बीच इसी बात की चर्चा होती रहेगी कि कौन कौन निपट रहा है और किसका राजयोग है ।बिलासपुर लोकसभा सीट को लेकर भी कुछ ऐसी ही तस्वीर रहेगी ।वोटर बड़े स्वार्थी लेकिन मौन होते है। कुल मिलाकर 11 घंटे तक मतदान के दौरान  वोटरों ने इसका खुलासा नहीं किया कि किसके पक्ष में हवा चल रही है। कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र यादव और भाजपा प्रत्याशी तोखन साहू के बीच कड़ी टक्कर है ऐसा तो सब कह रहे है लेकिन जोर किसका चल रहा यह बताने का रिस्क कोई नही लेना चाहता ।बिलासपुर लोकसभा सीट में शतप्रशित मतदान हो इसके लिए जिला प्रशासन के सारे विभागो ने खूब पसीना बहाया लेकिन मतदाता टस से मस नहीं हुए और 21लाख वोटरों में से सिर्फ 65 फीसदी वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया । 35 फीसदी वोटर यानी साढ़े सात लाख मतदासताओ ने वोट क्यों नही डाला यह जानने की कोशिश शासन प्रशासन नही करेगी और अगले चुनाव में फिर वही स्वीप अभियान चलाया जाएगा जबकि प्रशासन को साढ़े सात लाख वोटर के लिए पूरे 5 साल अभियान चलाया जाना चाहिए।
बिलासपुर जिले से कमाने खाने गए ढाई लाख वोटरो से फोन पर बात कर उन्हे वोट देने घर लौटने अभियान चलाया गया ।बड़ा सवाल कि कितने ग्रामीण दूसरे प्रदेशों से वोट डालने यहां आए ? दरअसल मतदाता सूची ऐसी बनी कि दूसरे राज्यों में रहने वाले छात्रों जो यहां पढ़ने आए है उनके नाम भी विशेष निर्देश पर जोड़ने के लिए अभियान तो चलाया गया और मतदाता सूची में नाम भी जोड़े गए लेकिन वे लोग वोट डाल पाए कि नही इसका ध्यान रखा गया हो ऐसा नहीं लगता । इसके अलावा और भी कई विसंगतियां रही । बहरहाल बिलासपुर सीट में भाजपा उम्मीदवार तोखन साहू और कांग्रेस उम्मीदवार देवेंद्र यादव समेत 37 उम्मीदवार के भाग्य का फैसला 4 जून को हो जायेगा । वोटिंग के बाद नतीजे के लिए 28 दिनों तक इंतजार करना काफी लंबा होता है ।मतदान के दिन से लेकर अब तक यह बात जरूर खास रही कि वोटर किसी राजनैतिक दल ,उसके नेता ,पार्टी की सरकार और उनके बड़े स्टार प्रचारकों की बातें तो सब ने सुनी लेकिन लगता है गंभीरता से किसी ने नहीं लिया ।यदि गंभीरता से लेते और नेताओ की बात में कोई दम होता तो वोटरों में मतदान के प्रति अति उत्साह होता लेकिन ऐसा नहीं हो पाया ।उम्मीद है मतदाताओं ने अपने मन की बात सुनकर वोट किया है ।वोटरों के रुख को देखकर प्रत्याशियो और उनके कार्यकर्ताओ में घबराहट तो है । लोग सुविधा संतुलन के हिसाब से अंदाजा लगा रहे कि कम वोटिंग से किस पार्टी को फायदा है और किस पार्टी को नुकसान हो सकता है। यदि वोट का प्रतिशत ज्यादा होता तो किसे फायदा मिलता और किसको घाटा होता।यह अंदाजा लगाने वालो को यह भी पता है कि इस बार मतदाताओं ने पार्टियों को गच्चा दे दिया है ।वोटरों ने किसी की नही सुनी है इसलिए प्रत्याशियो के बीच जीत हार का अंतर ज्यादा नहीं रहेगा ।वोटरों ने मौन रहकर नेताओ की धड़कने बढ़ा दी है ।लंबे चौड़े दावे करने वाले नेता भी धरातल पर आ गए है । दावों की पोल खुलेगी या दावों पर मुहर लगी है इसका खुलासा 4 जून को हो जायेगा ।

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