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November 21, 2024 2:43 pm

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अपने अपने गांव लौटने की चिंता सबको थी ,बिलासपुर स्टेशन में पहुंचते ही सबने ली राहत की सांस ,लॉक डाउन से लगा जिंदगी ठहर गई ,अब फिर जाने के लिए कान पकड़ लिए

दो माह से परदेस में ठहरी हुई जिंदगी ने छत्तीसगढ़ के लिये रेल की सीटी बजते ही दुबारा रफ्तार पकड़ी*
*_कैसे घर वापस आयेंगे चिंता में घुले जा रहे थे प्रवासी मजदूर, छत्तीसगढ़ सरकार की स्पेशल ट्रेन से समस्या दूर हुई_*
बिलासपुर, 11 मई 2020। दो माह से लॉकडाउन में फंसे मस्तूरी विकासखंड के ग्राम सरगवां के लाभो बघेल को यकीन नहीं आ रहा है कि वह इतनी आसानी से सफर तय कर बिलासपुर पहुंच चुका है और थोड़ी ही देर में गांव पहुंचकर अपनों के बीच होगा। आज ट्रेन से उतरे सभी श्रमिकों ने छत्तीसगढ़ सरकार का आभार माना और बिलासपुर जिला प्रशासन की व्यवस्था की सराहना की। शहर विधायक शैलेश पांडेय भी अधिकारयियो के साथ सुबह ही स्टेशन पहुच गए थे उन्होंने पूरी व्यवस्था का जायजा लिया और रेल प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्था की सराहना की।

लाभो बघेल गुजरात में फंसे उन 1208 प्रवासी मजदूरों में से एक है जो छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई स्पेशल ट्रेन से आज अपने वापस घर लौट सका है। सुबह ट्रेन से उतरने पर लाभो, उसकी पत्नी तीन बच्चों और चार भाईयों के पूरे परिवार के चेहरे में खुशी एवं संतोष का भाव था। उन्होंने बताया कि कल शाम चार बजे अहमदाबाद से रवाना हुई इस ट्रेन में सभी को सामाजिक दूरी के साथ आरामदायक सीट दी गई थी और रास्ते में भोजन-पानी की व्यवस्था भी की गई थी। ट्रेन स्पेशल होने के कारण रास्ते में कहीं पर नहीं रुकी और वे बहुत कम समय से बिलासपुर पहुंच गये।

ट्रेन के स्टेशन आने और स्टेशन से बस में बैठकर गांव जाने तक की बहुत अच्छी व्यवस्था प्रशासन ने की है। उसने कहा कि अब हम गांव पहुंच रहे हैं। कोरोना महामारी से बचाव के लिए हम सभी खुशी-खुशी निर्धारित समय तक गांवों के क्वारांटाइन सेंटर में रहेंगे।
इसी ट्रेन से जयरामनगर का विजय अपने माता-पिता व भाई के साथ उतरा। उसने बताया कि वे छह माह पहले गुजरात के वरसाड़ गये थे, लेकिन दो माह से लॉकडाउन के कारण वहां खाली बैठ गये थे। उन्हें गांव पहुंचने की चिंता थी क्योंकि अपनी थोड़ी जमीन में खेती की तैयारी भी करनी थी। उन्हें आने के लिए कोई साधन नहीं दिख रहा था। वे संशय में थे कि आगे चार माह किस तरह गुजारेंगे। छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से ट्रेन की व्यवस्था होने से उनकी चिंता दूर हो गई। अब वह गांव में रहकर अपना परिवार संभालेगा।

मस्तूरी विकासखंड के ही ग्राम भिलई की मथुरा बाई अपने पति के साथ स्पेशल ट्रेन से आज वापस आई। उसने बताया कि यदि लॉकडाउन नहीं होता तो वह और उनके साथी श्रमिक दो माह पहले अपने घर आ चुके होते। अचानक सभी ट्रेन, बस बंद हो जाने पर वे चिंतित हो गये थे कि अब कैसे गांव लौटेंगे। इसी बीच उन्हें पता चला कि छत्तीसगढ़ सरकार ने ट्रेन की व्यवस्था कर दी है । दो माह काम बंद हो जाने के कारण उन्हें खर्च चलाने में परेशानी होने लगी थी। अब गांव पहुंचकर खेती और मजदूरी का काम शुरू कर सकेंगे।
इसी तरह से तखतपुर विकासखंड के खजुरी की चमेली सतनामी, समडिल के सुमरित लाल खांडे, बिल्हा विकासखंड के ग्राम दुर्गडीह के राजप्रसाद निराला, फूलबाई निराला, प्रियंका निराला, ग्राम झाल के रामचंद्र बंजारे, हसीना कुमारी, बेलतरा के योगेश महिलांगे, हिर्री के संतोष कुर्रे, बिटकुली के देवलाल कुर्रे आदि श्रमिकों ने अपने गांव-घर पहुंचने पर खुशी जाहिर की ।


छत्तीसगढ़ की भूमि में कदम रखते ही चेहरे खिले श्रमिकों के
1 हजार 2 सौ से अधिक प्रवासी श्रमिकों को लेकर पहुंची पहली श्रमिक ट्रेन
प्रवासी श्रमिकों को छत्तीसगढ़ वापस लाये जाने का सिलसिला शुरू हो गया है। आज 1200 से अधिक प्रवासी श्रमिकों को लेकर पहली ट्रेन गुजरात से बिलासपुर पहुंची। अपने छत्तीसगढ़ की धरती पर कदम रखते ही प्रवासियों के चेहरे खुशी से खिल गये। सभी लोगों ने इसके लिये मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का आभार माना है। जिनके निर्देश पर श्रमिकों को पूरी सुविधा देते हुए उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है।
लाॅकडाउन के कारण राज्य के बाहर फंसे हुए राज्य के नागरिक, श्रमिक, विद्यार्थियों को लेकर आज श्रमिक स्पेशल ट्रेन सुबह जैसे ही बिलासपुर स्टेशन पहुंची, जिला प्रशासन की व्यवस्था के तहत श्रमिकों को ट्रेन के अंदर ही मास्क और सेनिटाईजर दिये गये। हाथों को सेनिटाईजर से साफ कर और चेहरे पर मास्क लगाकर वे ट्रेन से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए उतरे। ट्रेन के चार-चार बोगियों से बारी-बारी से अल्टरनेट उन्हें उतारा गया और उन्हें भोजन कराया गया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी श्रमिकों का थर्मल स्केनिंग किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसके लिये 24 टीम तैनात की गयी है तथा 160 डाॅक्टर एवं स्टाॅफ की ड्यूटी लगाई गई है। संदिग्ध लोगों का सैम्पल लेकर वायरल टेस्टिंग मीडिया (वीटीएम) कराया जा रहा है। रैपिड टेस्ट की भी व्यवस्था रखी गयी है।
प्रवासियों के स्वास्थ्य परीक्षण पश्चात उन्हें उनके निवास क्षेत्र के विकासखंडों में रवाना किया जा रहा है। वहां वे अपने गांव के बाहर बनाये गये क्वारेंटाईन सेंटर में 14 दिन क्वारेंटाईन पर रहेंगे। जिले में 1066 क्वारेंटाईन सेंटर बनाये गये हैं। संदिग्ध लोगों को आईसोलेशन सेंटर भेजा जाएगा, जिसके लिये 1260 बिस्तरों वाले 17 आईसोलेशन सेंटर की तैयारी कर ली गई है। जिले के श्रमिकों को उनके क्षेत्र पहुंचाने के लिये क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी द्वारा 60 बसों की व्यवस्था की गई है। मस्तूरी और बिल्हा के लिये 20-20 बस, तखतपुर और कोटा के लिये 5-5 बस तथा 10 बसों की रिजर्व में व्यवस्था है। साथ ही स्टेशन में 108, 102 एम्बुलेंस भी तैनात है जो जरूरत अनुसार अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
अन्य जिलों के श्रमिकों को भी बेहतर व्यवस्था देने के लिये जिला प्रशासन सजग है। गंतव्य स्थान पर पहुंचने के पूर्व उनके रूकने एवं खाने की व्यवस्था की जा रही है। कानून व्यवस्था के लिये पुलिस प्रशासन द्वारा चाक-चैबंद व्यवस्था की गई है। रेल्वे स्टेशन में भी रेल्वे प्रशासन द्वारा एनाउंसमेंटर कर लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और प्रशासन के निर्देश का पालन करने हेतु सचेत किया जा रहा है।
जिलावार श्रमिकों की सूची का परीक्षण कर श्रमिकों के ग्रामवार और विकासखंडवार सूची तैयार करने के लिये कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। प्रत्येक विकासखंड क्षेत्र से संबंधित मजदूरों को रेल्वे स्टेशन से क्वारेंटाईन सेंटर ले जाने एवं आवश्यक व्यवस्था हेतु पटवारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी आदि कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है।

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