
अब प्रश्न उठता है कि सांसद तो दिल्ली में फंस गए है तो अपने संसदीय क्षेत्र के प्रवासी मजदूरों के लिए वे क्या किये और क्या कर रहे है इसकी जानकारी लेने हमने दिल्ली में उनके निवास में फोन लगाकर बात की । तब वे भोजन कर रहे थे । हमने उनसे अहम सवाल किए तो उन्होंने सिलसिलेवार प्रश्नों का जवाब दिया ।
सांसद अरुण साव ने बताया कि उनका संसदीय क्षेत्र दो जिलों में है और प्रवासी मजदूरों का सरकारी आकंड़ा जो बना है उसके मुताबिक मुंगेली जिले के लगभग 22 हजार और बिलासपुर जिले के 52 हजार श्रमिक अन्य राज्यो में फंसे हुए है ।इन आकड़ो में भी वर्गीकरण किया गया है ।जो मजदूर पिछले कई साल से अन्य राज्यो में है और जो हर साल दूसरे राज्यो में जाते है । मजदूरों को वापस लाने भारत सरकार ने गाइड लाइन बनाया है जिसके मुताबिक जिस राज्य के मजदूर है और जिस राज्य में कार्यरत है उन दोनों राज्यो की सहमति पर सूची बनती है और वह सूची रेल मंत्रालय के पास जाती है जिस पर ट्रेन की सुविधा देकर मजदूरों को वापस भेजा व लाया जा रहा है । मजदूरों को वापस लाने में आपका क्या योगदान है और आपने क्या किया ? क्या आपने राज्य सरकारों को और केंद्र सरकार को पत्र लिखा इस प्रश्न पर श्री साव ने बताया कि रेलवे के अधिकारयियो और मजदूरों को लाने राज्यवार बनाये गए नोडल अधिकारियों से वे सतत सम्पर्क में है । फोन पर लगातार बात हो रही है ।संसद में भी जानकारी देने के साथ ही लोकसभा अध्यक्ष को भी विस्तार से बताया गया । जहां ट्रेन की सुविधा है वहां ट्रेन से और जहां ट्रेन की सुविधा नही है वहां से बसों के द्वारा मजदूरों को भेजने के लिए प्रयास किये गए ।आज ही आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले में फंसे मुंगेली जिले के लोरमी के मजदूरों से बात होने के बाद वहां के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और वहां की सरकार से चर्चा के बाद 2 बसों से मजदूरों को रवाना किया गया ।। श्री साव ने कहा कि अन्य राज्यो में फंसे लगभग 15हजार मजदूरों से उनका लगातार सम्पर्क है और वे ट्रेन चलने के बारे में पूछ रहे है उन्हें विश्वास दिलाया गया है कि उनके क्षेत्र से ट्रेन रवानगी की जानकारी उन्हें समय पर दे दी जाएगी ।यही नही अनेक मजदूर तो घर लौटने के बाद क्वारन्टीन सेंटर से फोन कर खाने पीने की सुविधा के बारे में पूछ रहे है । उन्होंने बताया कि 17 मई की स्थिति में बिलासपुर जिले में 8798 और 16 मई तक मुंगेली जिले के 13165 मजदूर लौट चुके है । उन्होंने कहा कि बार बार यह प्रश्न उठाया जा रहा है कि लॉक डाउन शुरू होने के पहले यदि मजदूरों को विशेष ट्रेन चलाकर उनके घर भेज दिया जाता तो ऐसी नौबत नही आती मगर मेरा ऐसा मानना है कि ऐसा किया जाता तो पूरे देश मे भगदड़ मच जाती । तब हमारे पास कोरोना संदेही और पॉजिटिव की जांच करने की कोई सुविधा नही थी और ऐसा किय्या जाता तो पूरे देश मे भयावह स्थिति होती । आज कम से कम कोरोना जांच की पूरी और त्वरित सुविधा उपलब्ध है जिसके चलते हजारों की संख्या में एक ही दिन में मजदूरों के ट्रेनों से लौटने के बाद भी एक भी श्रमिक बिना जांच के अपने घर नही जा सकता और जांच के बाद भी सबको अलग अलग क्वारन्टीन सेंटर में रखा जा रहा है ताकि कोई संदेही या संक्रमित हो तो उन्हें घरभेजने के बजाय तत्काल अस्पताल भेज कर हजारों लोगों को संक्रमित होने से बचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि श्रमिको को लाने की दिशा में राज्य सरकार ने काफी विलंब से निर्णय लिया ।इसे पहले ही ले लेना चाहिए था । मजदूरों को ट्रेन से लाये जाने के बाद संक्रमितों और पॉजिटिव की संख्या बढ़ रही है क्योंकि मजदूर ऐसे क्षेत्रों से आ रहे है जो पहले से ही हॉट स्पॉट या फिर कोरोना प्रभावित क्षेत्र है इसलिए अब राज्य सरकार की जिमेदारी है कि वह अब और ज्यादा सावधानी बरते तथा पॉजिटिव मजदूरों की संजीदगी से जांच करें ।थोड़ी भी लापरवाही ग्रीन और ऑरेंज ज़ोन वाले जिलों को रेड ज़ोन में ला देने के लिए पर्याप्त होगा ।