बिलासपुर राजनैतिक पार्टियों में प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुचाने बस मुहैया कराने को लेकर बयानबाजी का दौर चल रहा हैं लेकिन अभी भी प्रवासी मजदूर पैदल, किसी रहमदार की मदद से झुंड में अपने अपने गांव जाने की चाह में रास्ते की धूल खाने को विवश हैं। आज सुबह से सकरी बायपास के पास औरंगाबाद से पामगढ़ तथा जम्मू से झारसुगुड़ा जाने वाले दो जत्थे में पुरुष, महिला व बच्चें की नजरे अन्नदाताओं को तलाश रही थी।
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बैंकर्स क्लब के समन्वयक ललित अग्रवाल व अम्बे एसोसिएट्स के डायरेक्टर अभिषेक गौतम को सुबह 11 बजे जब इस घटना की जानकारी मिली तो दोनों ने आनन फानन में पानी, ओआरएस,ग्लूकोज, चना गुड़, बिस्किट, मास्क, सेनेटाइजर व खाद्य सामग्री की व्यवस्था के साथ 12 बजे तक सकरी बायपास पहुँचे। वहाँ लगभग अस्सी से नब्बे मजदूरो देख आँखे नमः हो गई।
पंजाब नैशनल बैंक, बिलासपुर मंडल व अम्बे एसोसिएट्स के बैनर तले इन दरिद्र नारायणो की यथासंभव सेवा करने का प्रयास किया गया। जब उनसे पूछा गया कि जब सरकार उनके कार्यस्थल पर उनके भोजन की व्यवस्था कर रही थी तथा कुछ ही दिनों की बात थी, फिर वे क्यो वापस आने का निर्णय लिया तो वहाँ उपस्थित माताओं बहनों ने बताया कि किसी भी तरह अब हमें अपने गांव झारसुगुड़ा व पामगढ़ पहुचाना हैं। सिर्फ कहने से क्या होता हैं। हमें तो किसी ने एकबार भी भरपेट भोजन नही कराया।पता नही कल क्या होगा। कम से कम पास पड़ोस, रिस्तेदारों को तो देख लेंगे। श्री अग्रवाल ने बताया कि आज सम्पूर्ण लॉक डाउन के कारण थोड़े से स्वल्पाहार एकत्रित करना ही हमारे लिए काफी कष्टप्रद था तो इनके लिए यातायात की व्यवस्था करवाने में हम भी असमर्थ थे।
एक ओर लॉक डाउन के दो माह बाद कोरोना का प्रकोप बढ़ते जा रहा हैं। दूसरी ओर अभी भी मजदूरों का पलायन इस बात का द्योतक हैं कि जिम्मेदारों की कथनी व करनी में काफी अंतर हैं। हे ईश्वर हमारे देशवासियों की रक्षा करो।