एनजीओ चलाने वाली महिला की शिकायत पर जांजगीर के पूर्व कलेक्टर जनक प्रसाद पाठक को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया है । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुख्यसचिव को मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने का आदेश दिया है।
कैसे कैसे दिन आ गए । आईएएस
अधिकारी वह भी अपने चेंबर में किसी महिला की इज्जत तार तार कर दें ।इस खबर पर सहसा भरोसा नही होता कम से कम कलेक्टर जैसे पद पर बैठे जिले के सर्वोच्च अधिकारी पर तो एकबारगी भरोसा ही नही होता मगर एनजीओ चलाने वाली महिला ने यह आरोप लगाया है तो आईएएस अधिकारी के खिलाफ जुर्म दर्ज भी हो गया है ।आईएएस अधिकारी का क्या होगा यह तो आने वाला समय बताएगा ऐसा कहने की जरूरत ही नही पड़ी । प्रथम दृष्टया मामले को गम्भीर मानते हुए राज्य सरकार ने जांजगीर के तत्कालीन कलेक्टर जनक प्रसाद पाठक को निलंबित कर दिया है और मुख्यमंत्री ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने के लिए मुख्य सचिव को निर्देशित किया है मगर कलेक्टर और कलेक्टर स्तर के बड़े अधिकारियो का ऐसा कथित कृत्य कोई नया नही है । एक कलेक्टर श्री सारथी पर अपनी नौकरानी के साथ दुष्कृत्य का आरोप लगा तो कलेक्टर को न केवल अपनी नौकरी गवानी पड़ी बल्कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से भी उसे राहत नही मिली नतीजन जेल की चारदीवारी में रहते हुए सजा काटने के दौरान उनकी मौत हो गई । अविभाजित मप्र में अतिरिक्त कलेक्टर और जिला पंचायत बिलासपुर के सीईओ रहे विनोद कटेला पर भी एक आदिवासी कन्या छात्रावास की अधीक्षिका का दैहिक शोषण का आरोप लगा ।उस दौरान कटेला ने पीड़िता के साथ रतनपुर महामाया मंदिर में विवाह कर लेने की भी चर्चा रही लेकिन मामला अदालत में चलता रहा । यहां से मप्र ट्रांसफर करवा लेने के बाद भी विनोद कटेला को पेशी में यहां आना पड़ता था ।
यहां पर महत्वपूर्ण सवाल यह है कि दुष्कर्म और आपसी सहमति से बनाये गए सबन्ध में कोई अंतर भी है या नही ? अभी तक जो मामले आये है वे पूरी तरह आपसी रजामंदी के प्रतीत होते है फिर भी कोई महिला यदि दुष्कर्म की शिकायत करती है तो स्वभाविक है पुलिस धारा 376 के तहत ही जुर्म करती है उसके बाद आरोपी की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने को निर्दोष साबित करे । एक कलेक्टर के पास ट्रांसफ़र से लेकर एनजीओ और कोई भी संस्था को काम देने का अधिकार होता है और कोई महिला अपने पति का तबादला और अपने एनजीओ के लिए काम मांगने कलेक्टर के पास लगातार गई हो तो यह सामान्य प्रक्रिया है मगर लगातार जाने के बाद जो परिस्थितियां बनी वही मामले का मूल सारांश है ।
अब आइए उस मूल सारांश और प्रारंभिक तथ्य जो सामने आए है उस पर गौर कर लें ।
मामले का लब्बोलुआब यह है कि छत्तीसगढ़ में एक आईएएस पर एनजीओ के काम दिलाने के नाम पर दैहिक संबंध बनाये जाने की शिकायत पर पुलिस ने अधिकारियों के निर्देश पर अपराध दर्ज कर लिया है और पूरे मामले को सिलसिलेवार जानने के पहले ही समाज उद्वेलित हुआ है आमजन जांजगीर जिले में पदस्थ रहे कलेक्टर जनक प्रसाद पाठक की इस हरकत को अन्यथा ले रहा है क़ानून अपना काम कर रहा है वह धारा ३७६,५०६,५०९ के तहत दैहिक संबंध के प्रस्ताव पर तत्कालीन कलेक्टर को नापाक आगोश में ढकेलने वाली पीड़िता की रिपोर्ट पर जुर्म दर्ज कर लिया है,कलेक्टर निलंबित होगा जेल जायेगा यह प्रश्न अभी कुछ दिन प्रश्न ही रहेगा। सम्भव है कुछ महिला संगठनों का आक्रोश सड़क पर दिखेगा पर,जो नहीं दिखेगा वह है प्रशासन पर गर्म गोश्त की मज़बूत पकड़..,जो पहले भी रहा है और अब भी है । रंगीन मिजाज अफसरों की कमी नही है ।
जनक प्रसाद पाठक महज़ मोहरा हैं पर प्रशासन के गलियारे में हुस्न ओ हवस की दास्ताँ कोई अबूझ पहेली नहीं है बल्कि चिंता की बात तो यह है कि तंत्र,हवस के हिस्से है और प्रजा अपने हक़ की बुनियाद मज़बूत करनें का भ्रम मन में लिये जिये जा रही है..,
स्याह समंदर है जिसमें बहुत कुछ दिखता नहीं है लेकिन बलात्कार की जो पद्धति पीड़िता की शिकायत में सामने आई है कि बलात्कार और काम दिलाने के नाम पर लगातार दैहिक संबंध कलेक्टर के साथ बिना हिला हवाला के बनाने की है यह विरोधाभाषी है ऐसी विष कन्यायें कई हैं और यही चिंताजनक पहलू है कि क्या ब्यूरोक्रेशी के काम करने का ढंग ऐसा ही है कि जब तक कोई नाजनीन उस पर न्योछावर न हो जाये वह काम नहीं करता है पैसा का ज़ोर है,हवस का शोर है तो ऐसे में जनता के मसले किसके पास जायेंगे कौन उनका निराकरण करेगा यह गंभीर विषय है इस पर समाज को चिंतन करना चाहिये कि शक्ति की चकाचौंध के आगे स्याह समंदर है जहाँ जनता की आस्था का नित्य बलात्कार होता है..,जशपुर से लेकर बिलासपुर और रायपुर तक भाजपा शासनकाल से लेकर अभीतक पूरा गिरोह सक्रिय है जो सरपंचों से कमीशन लेकर करोड़ो का वर्क मंजूर करवा रहे है और सरपंच निर्माण कार्यों के साथ दुष्कर्म कर अपना घर भर रहे है । सरकार बदलने से इस गिरोह पर कोई असर नही पड़ा है ।अधिकारयियो,सरपंचों के साथ मिलकर यह गिरोह सरकारी मद के पैसों के साथ बलात्कार कर रहे है ।
जांजगीर की जिस ३० वर्षीय महिला की रिपोर्ट पर तत्कालीन कलेक्टरजनक प्रसाद पाठक के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है वह तो सिर्फ जिस्म की सौदागर बनी है असल कुकर्म तो जनआस्था के साथ ऐसी तथाकथित पीडितायें रोज़ कर रही हैं वो मोटी कमाई कर रही हैं । अब जबकि यह मामला सुर्खियों में आ चुका है तो जांजगीर समेत पूरे प्रदेश की जनता राज्य सरकार के आदेश और फैसले की प्रतीक्षा करती इसके पहले ही राज्य सरकार ने आरोपी आईएएस को निलंबित कर दिया है और मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने के लिए सीएम ने मुख्य सचिव को निर्देशित किया है रही है । किसी आईएएस अधिकारी के खिलाफ प्रशानिक स्तर की कार्यवाई में वक्त लगता है मगर सरकार ने त्वरित कार्रवाई कर घटना के विरोध में होने वाले किसी भी प्रकार के बयानबाजी के लिए कोई मौका नही दिया है ।