बिलासपुर । लॉक डाउन के दौरान जहां अनेक स्थानों में नियमो का पालन कराने पुलिस द्वारा अतिरिक्त सख्ती बरतने और लोगो के बेवजह परेशान होने की खबरें मिलती रही है वही कुछ पुलिस अधिकारियो द्वारा मानवीय दृष्टि से कार्य करते हुए गरीब व मजदूर वर्ग को राहत पहुंचाने कदम उठाए गए वह सुपर से भी ऊपर रहे ।
इसी क्रम में बिलासपुर आईजी दीपांशु काबरा का भी कार्य इतना सराहनीय रहा कि वीडियो कांफ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनकी प्रसंशा की । अप्रवासी मजदूरों के लिए भोजपुरी टोल नाके में चप्पलों की व्यवस्था और स्वयं की निगरानी में मजदूरों को चप्पल वितरण कराने का काम शायद ही कोई पुलिस का उच्च अधिकारी ने किया हो मगर आईजी दीपांशु काबरा ने यह सब करके बता दिया है कि कठोर अनुशासन प्रिय अधिकारी के दिल मे भी जरूरतमंदों के लिए संवेदना हिलोरे लेती है और वक्त आने पर उसे कार्यरूप में परिणित भी करते है बशर्तें उन्हें ऐसे वास्तविक जरूरत मन्दों की समय पर सूचना मिल जाये ।
इसी सेवाभावी भावना के तहत श्री काबरा ने एक ऐसी मजदूर महिला की मदद की जो मजदूर पति की मौत हो जाने के बाद पंजाब में फंसी थी । पति की मौत का गम और लॉक डाउन की दुविधा में फंसी इस दुखियारी महिला की खबर जब श्री काबरा को मिली तो उन्होंने इस महिला व उसके परिवार को उसके घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उठाई और ट्रेन से उन्हें जांजगीर तक पहुंचने में आई तीन मुश्किलों से निजाद दिलवाने के साथ ही चार पहिया वाहन में घर तक पहुंचाने में मदद की । यह परिवार घर पहुंचने के बाद आईजी श्री काबरा की गुणगान करते नही थक रहा ।
आईजी दीपांशु काबरा की इस मदद का वाकया कुछ इस तरह है कि जांजगीर चाम्पा जिले के सकती तहसील से बहुत से गरीब परिवार पंजाब समेत अन्य राज्यो में रोजगार की तलाश में गए और वहां काम मिलने पर सपरिवार गुजर बसर कर रहे थे इसमें पंजाब गए कैलाश रात्रे का भी परिवार था । पंजाब के ब्यास जिले में यह परिवार मजदूरी कर रहा था । लाक डाउन के दौरान जब पूरे देश मे मजदूरों की घर वापसी के लिए अफरातफरी का माहौल था उसी दौरान कैलाश रात्रे की गम्भीर बीमारी के दौरान हुई मौत ने उसके परिवार के समक्ष गम्भीर संकट ला दिया।उसकी पत्नी उर्मिला रात्रे के समक्ष बड़ी विषम परिस्थिति हो गई ।परिवार के रूप में बेटी सरोजनी 20 साल दामाद पोखर ओगरे 30 साल पुत्र सरजू 10 साल और पुत्री सोनिया 8 साल साथ मे थे । कैलाश का अंतिम संस्कार उन्होंने वही कर दिया मगर विकट और गम्भीर समस्या यह थी कि लाक डाउन में अब वे घर कैसे लौटे।कतिपय अखबारों में इस परिवार की व्यथा जब छपी तो खबर पर आईजी श्री काबरा की नजर पड़ी ।उनसे नही रह गया और उन्होंने इस परिवार को उनके घर तक सकुशल पहुंचने में मदद करने का निर्णय लिया ।उन्होंने अपने स्तर पर इस मजदूर परिवार ब्यास जिले से लखनऊ होते हुए छतीसगढ़ सीमा और सोनभद्र से जांजगीर तक आने की सम्पूर्ण व्यवस्था करवा दी मगर यह मजदूर परिवार धोखे से दूसरे ट्रेन में पंजाब से बैठकर लखनऊ पहुंच गए सूचना मलिन पर श्री काबरा ने उप्र की पुलिस से सम्पर्क किया तो वहां की पुलिस ने इस को परिवार को छतीसगढ़ आने वाली एक बस में बिठा दिया। यह परिवार बस से जब सोनभद्र सीमा पर पहुंचा तो आईजी ने बलराम पुर के जिला पुलिस से बात की तो वहां की पुलिस ने जांजगीर तक आने वाली बस में इस परिवार को बिठाकर रवाना कर दिया मगर वह बस इस मजदूर परिवार को कोरबा में उतार कर वापस लौट गया। आईं जी श्री काबरा को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने कोरबा एसपी निर्देशित कर उनके लिए व्यवस्था करने को कहा । कोरबा पुलिस ने चार पहिया वाहन की व्यवस्था कर इस परिवार को उनके गृह ग्राम तक पहुंचाया । घर पहुंच कर मजदूर परिवार व दामाद ने कहा यदि आईजी साहब मदद नही करते तो पता नही वे कब घर लौट पाते । उन्होंने श्री काबरा का आभार भी जताया।
**मदद यहीं नही थमा ,आईजी ने ड्यूटी के दौरान सडक दुर्घटना में मृत उपनिरीक्षक के परिवार को बुलाकर मदद के हाथ बढ़ाया **
आईजी श्री काबरा ने वर्ष 2007 में ड्यूटी के दौरान जान गवाने वाले एक ए एसआई के बीमार व आर्थिक संकर से जूझ रही पत्नी व परिवार को स्वयं फोन करके बुलाया और उन्हें हर सम्भव भड्ड का वादा करते हुए पुलिस मुख्यालय में अनुकम्पा नियुकित के लिए विस्तृत जानकारी मांगी। उन्होंने एसपी दफ्तर से प्रकरण की फाइल मंगा समुचित मदद के लिए मुख्यमंत्री से भी चर्चा करने की बात कही है ।
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