बिलासपुर । वैसे तो आज भी नक्सल प्रभावित जिलों में कोई भी सरकारी कर्मचारी जाने से कतराता मगर मजबूरी में उसे वहां जाना ही पड़ता है । अविभाजित बिलासपुर जिले का एक युवक बेरोजगारी से तंग आकर संविदा नियुक्ति पर ही एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना विभाग में सब इंजीनियर के पद पर घोर नक्सल प्रभावित जिला सुकमा पहुंच गया और साल भर संविदा में काम करने के बाद उसे मौखिक रूप से एक साल तक फिर काम कराया गया मगर उसे वेतन नही दिया गया । साल भर के वेतन से वंचित युवक न्याय पाने कलेक्टर से लेकर अन्य अधिकारियों चक्कर लगा रहा मगर अभी तक उसे वेतन की राशि नही मिल पाई है ।
ऐसे में भला कौन बेरोजगार युवक नक्सली क्षेत्र में काम करने जाएगा ? इस सम्बंध में मिली जानकारी के मुताबिक अविभाजित बिलासपुर जिले के कुंडा थाना अंतर्गत ग्राम पेंड्रीकला निवासी बेरोजगार युवक योगेश्वर चन्द्राकर लंबे समय से नौकरी के लिए भटक रहा था इसी बीच उसने आदिवासी विकास परियोजना कोंटा मुख्यालय सुकमा में संविदा पर नियुकित के लिए सब इंजीनियर पद पर आवेदन भेजा ।उ सका चयन कर लिया गया और 25 सितंबर 17को नियुक्ति आदेश मिल गया ।उसने 29 सितंबर 2017 को ड्यूटी ज्वाइन कर लिया । यह नौकरी उसे कांट्रेक्ट आधार पर मिला था जो 28 सितंबर 2018 को खत्म हो गया मगर तत्कालीन अधिकारी पीएल रामटेके ने योगेश्वर चन्द्राकर व अन्य को फिर से यह कहते हुए नौकरी पर रख लिया कि तुम लोगो की फाइल हम आगे की सेवा जारी रखने के लिए विभागीय स्तर पर चला रहे है । योगेश्वर चन्द्राकर व अन्य इसी प्रत्याशा में काम करने लग गए । हाजरी रजिस्टर में हस्ताक्षर भी करते रहे व विभागीय तौर पर मेजरमेंट बुक भरते रहे और रिकार्ड भी रखा जाता रहा ।
इसी बीच एक साल काम करने के बाद विभाग के अधिकारी पीएल रामटेके अचानक योगेश्वर चन्द्राकर व अन्य को मौखिक रूप से कहते है कि आप लोगो का कांट्रेक्ट खत्म हो गया है आप लोग आफिस मत आओ या फिर मंत्रालय से लिखवाकर लाओ । जबकि इस अवधि में कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा योगेश्वर चन्द्राकर व अन्य की चुनाव कार्य मे डियूटी लगाई गई थी ।
योगेश्वर चन्द्राकर व अन्य को पुनः ज्वाइनिंग लेटर 3 सितंबर 2019 को मिलता है मगर पुनः संविदा की प्रत्याशा में एक वर्ष तक कराए गए कार्य का वेतन देने से मना कर दिया गया गया है और कहा गया कि वह सेवा अवधि में था ही नही जबकि उक्त अवधि में योगेश्वर चन्द्राकर न केवल दैनिक उपस्थिति पंजी में नियमित हस्ताक्षर करता रहा बल्कि विभागीय एमबी में बिल भी बनाता रहा । अब जबकि वेतन की मांग की जाने लगी तो विभागीय अधिकारी पीएल रामटेके ने स्पष्ट रूप से नकार दिया कि उन्होंने मौखिक रूप से ऐसा कोई आदेश दिया था । एक वर्ष का लंबित वेतन पाने योगेश्वर चन्द्राकर अधिकारियो के चक्कर लगा रहा है उसने सुकमा कलेक्टर से भी अपनी व्यथा बताई है ।