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November 21, 2024 2:35 pm

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मरवाही में अब मचेगा घमासान चुनाव तिथि की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता प्रभावशील ,कॉंग्रेस व भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर तो अमित जोगी की सहानुभूति वोट पर भरोसा

बिलासपुर । आखिरकार मरवाही में उपचुनाव कराए जाने चुनाव आयोग ने तिथि का एलान कर दिया है और इसी के साथ आदर्श चुनाव आचार संहिता प्रभावशील हो गया है । मतदान 3 नवम्बर को यानि 35 दिन बाद मरवाही के मतदाता तय कर देंगे कि उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री स्व अजित जोगी के नाम पर सहानुभूति वोट उनके पुत्र अमित जोगी को देकर जीतना है या फिर पौने दो साल पहले सत्ता में लौट कर आई कांग्रेस के कामकाज को पसंद करेंगी अथवा सत्ता से बेदखल हुई भाजपा को मौका देगी । कुल मिलाकर मतदान तिथि को घोषणा के बाद मरवाही में अब चुनावी घमासान मचेगा । यह उपचुनाव प्रदेश की सत्ता धारी दल कांग्रेस और 14 सीटों में सिमट चुकी विपक्षी दल भाजपा के लिए प्रतिष्ठा पूर्ण रहेगा क्योंकि अगर सहानुभूति लहर चल गया तो दोनो दलों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विपरीत सन्देश जाएगा इसलिए अमित जोगी के साथ ही कांग्रेस व भाजपा भी इस चुनाव को जीतने पूरी ताकत झोकेगी ।

मरवाही के उपचुनाव में क्या यह मिथक टूट जाएगा कि यह इलाका जोगी परिवार का है ?यह प्रश्न इसलिए उठ रहा है कि साधन सुविधा से लैस सत्ताधारी कांग्रेस ने जिस तरह माह भर पहले राजनैतिक बिसात बिछा जोगी कांग्रेस के कई नेताओ को पाला बदल कर कांग्रेस में शामिल करवाया है उससे यह तो स्पष्ट हो गया है कांग्रेस यह चुनाव किसी भी कीमत पर जीतना चाहती है तो दूसरी ओर साधन विहीन हो चुकी भाजपा भी चुनाव को इतनी आसानी से कॉंग्रेस और अमित जोगी के पक्ष में होने नही देगी ।

भूपेश बघेल की सरकार ने गौरेला पेंड्रा मरवाही को जिला बनाकर वो काम किया जो अजीत जोगी और डॉ रमन सिंह ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल मे नही कर सके । भूपेश बघेल के इस निर्णय को मरवाही उपचुनाव जीतने के लिए भी कह सकते है मगर उन्होंने इतना ही नही पेंड्रा गौरेला को नगर पालिका और मरवाही को नगर पंचायत का दर्जा देने में कोताही नही बरती । उनके इस निर्णय को भाजपा और जोगी कॉंग्रेस राजनैतिक लाभ लेने के लिए कह सकते है मगर सत्ता में रहते हुए ऐसी घोषणाएं भाजपा भी कर चुकी है । रही बात उपचुनाव की तो कांग्रेस ने जीत हासिल करने वोटरों पर डोरे डालने का काम बहुत पहले ही शुरू कर दिया था । दूसरी ओर भाजपा ने पूर्व मन्न्त्री अमर अग्रवाल को बहुत सोच समझ कर मरवाही की कमान सौंपी है । इसके पहले भी अमर अग्रवाल को कोटा उपचुनाव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी दुर्भाग्य से तब भाजपा चुनाव हार गई थी और डॉ रेणु जोगी पहली बार कांग्रेस विधायक निर्वाचित हुई थी । अमर अग्रवाल को पुनः चुनाव प्रभारी बनाये जाने के कई मायने है और इसे भाजपा के नेता अच्छी तरह समझ रहे है । प्रत्याशी चयन को लेकर कांग्रेस भाजपा ने अभी अपने पत्ते नही खोले है मगर जोगी कॉंग्रेस से अमित जोगी का चुनाव लड़ना तय है उनकी मां डॉ रेणु जोगी ने चुनाव की कमान अपने हाथों ले मरवाही के चुनाव मैदान में कूद चुकी है । अमित जोगी भी अपने दिवंगत पिता अजीत जोगी के फोटो के साथ अपने सुपत्र की फोटो वाला पोस्टर पम्पलेट मरवाही क्षेत्र के गांव गांव में बंटवा कर सहानुभूति अर्जित करने और उसे वोट में तब्दील करने के लिए जूझ रहे है लेकिन वोटरों को पिछले कुछ चुनाव से शराब और रुपये की जो लत लग दी गई है वह भी तो चुनाव परिणाम को प्रभावित करेगा । इस बात को सभी पार्टी के नेता महसूस कर रहे है ।

मरवाही चुनाव इस बार कांग्रेस के नए नेताओ और नए चेहरों के दम पर लड़ रही है । उन नए चेहरों के लिए भी यह चुनाव अग्निपरीक्षा से कम नही है । जोगी परिवार पिछले 17 से कोटा मरवाही में काबिज रहा है जाहिर कांग्रेस के दूसरे नेताओं को यहां की जिम्मेदारी ही नही मिली या यों कहें जिम्मेदारी ही नही दी गई । अब इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से मंत्री जय सिह अग्रवाल ,पार्टी के दो विधायको शैलेष पांडेय व मोहित केरकेट्टा तथा कांग्रेस संगठन की ओर से प्रदेश उपाध्यक्ष अटल श्रीवास्तव और महामंत्री अर्जुन तिवारी को महती जिम्मेदारी सौंपी गई है । उधर भाजपा की तरफ से नेता प्रतिपक्ष धरम कौशिक पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल व भूपेंद्र सिंह समेत संगठन के पदाधिकारी चुनावी समर में जूझेंगे तो जोगी कांग्रेस में विधायक धर्मजीत सिह ठाकुर के कन्धों पर भार रहेगा ।

जैसे जैसे मतदान के दिन नजदीक आते जाएंगे चुनावी घमासान बढ़ते जाएगा । अभी तो चुनाव लड़ने वाले चेहरों का इंतजार है ।

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