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May 19, 2025 3:44 pm

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प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति को लेकर उठ रहे सवाल जमीनी कार्यकर्ताओ को कब मिलेगा मौका ? मरवाही कोरबा को चुनावी महत्व ,बिलासपुर की उपेक्षा ,प्रदेश अध्यक्ष किसके दबाव में ?

बिलासपुर । डेढ़ दशक तक सत्ता का सुख भोगने के बाद भाजपा नेताओ का सत्ता से बेदखल हो जाने के बाद भी रवैया नहीं बदला है और भाजपा संगठन भी उन्हीं के रहमो करम पर चल रहा है।पण्डित दीनदयाल उपाध्याय का सूत्र वाक्य भी सब भूल चुके है और जमीनी कार्यकर्ताओ की पूछपरख को तिलांजलि दी जाने लगी है।इसका ताजा उदाहरण प्रदेश भाजपा संगठन की कार्यसमिति का दूसरी बार घोषणा करना जिसमे पुराने कार्यसमिति के लोगो को बाहर का रास्ता दिखा ऐसे लोगो को शामिल किया गया जिनके बारे में आशंका हो चली थी कि वे मरवाही चुनाव के चलते पार्टी छोड़ कांग्रेस में जा सकते है ।उन्हें रोकने प्रदेश कार्य समिति शामिल किया गया तो फिर बिलासपुर के कई पार्षद और पदाधिकारी को कैसे रोक पाएंगे जो आने वाले समय में पार्टी छोड़ने का मन बना लिए है ऐसे लोग कांग्रेस नेताओ के सतत सम्पर्क में होने की बात कही जा रही है ।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली संगठन की पहली कार्यसमिति की सूची जारी होने के बाद पार्टी के भीतर अंदरूनी घमासान शुरू हो गया था। कई सीनियर नेताओं को कार्यसमिति के सदस्य के रूप में भी शामिल नहीं किया गया था।
इसकी शिकायत पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष से भी की गई थी। प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय और अन्य नेताओं से राय शुमारी के बाद 21 और नाम जोड़े गए हैं। इन सभी को कार्यसमिति के सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।
कार्यसमिति की बैठक के ठीक एक दिन पहले सहकार्यालय प्रभारी छगनलाल मूंदड़ा ने सभी शामिल किए गए सदस्यों को फोन पर सूचना देकर बैठक में शामिल होने कहा। कार्यसमिति की वर्जुअल बैठक हो रही है।
जिन नेताओं को कार्यसमिति में जगह दी गई है, उनमें नंदकुमार साहू, देवजी पटेल, नरेश गुप्ता, रसिक परमार, डॉ. सलीम राज, अशोक पांडेय, प्रफुल्ल विश्वकर्मा सभी रायपुर से हैं। इसके अलावा कोरबा से अशोक चावलानी, जोगेश लांबा, पेंड्रा-गौरेला-मरवाही से समीरा पैकरा, जशपुर से नरेश नंदे, सरगुजा से प्रबोध मिंज, रायगढ़ जिसे से जगन्नाथ पाणिग्रही, गुरूपाल सिंह भल्ला, जांजगीर-चांपा से लीलाधर सुलतानिया, धमतरी से निरंजन सिन्हा, कोण्डागांव से मनोज जैन, बिलासपुर से राजेश त्रिवेदी, मुंगेली से ठाकुर भूपेंद्र सिंह, गिरीश शुक्ला और बालोद से प्रीतम साहू को समिति में शामिल किया गया है।

यह पहला अवसर है जब भाजपा संगठन में कार्यसमिति की सूची दूसरी बार जारी की गई । जारी सूची के नाम में बिलासपुर को कोई अहमियत नहीं दी गई । पिछली कार्यसमिति में बिलासपुर के जिन भाजपा नेताओ को शामिल किया गया था उसमे से एक को भी इस बार मौका नहीं दिया गया जाहिर है प्रदेश भाजपा संगठन में किसी ऐसे नेता का वर्चस्व है जो बिलासपुर को शायद पसंद नहीं करता मगर नया जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही और कोरबा को महत्व देता है या फिर मरवाही चुनाव के मद्देनजर इन दोनो जिले को मज़बूरी वश कार्यसमिति में स्थान देना पड़ा है क्योंकि मरवाही चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाए जाने के कारण दावेदारों में आक्रोश था । खबर तो यह भी है कि कुछ नेता पार्टी छोड़ देने के फिराक में थे इसलिए बगावत को रोकने मरवाही कोरबा से कुछ भाजपा नेताओ को पार्टी संगठन की प्रदेश कार्यसमिति में शामिल कर उनका गुस्सा ठंडा करने का प्रयास किया गया ।सरकार गंवाने के बाद भी प्रदेश के भाजपा नेताओ का व्यवहार नहीं बदलने और पार्टी संगठन को अपने हिसाब से चलाने का आरोप भाजपा के ही कई जमीनी कार्यकर्ता लगा रहे है और अब तो यह भी कहने लगे है कि भाजपा का प्रदेश, जिला और मंडल स्तर का संगठन अब भाजपा तो है मगर भारतीय जनता पार्टी नहीं बल्कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह हो गई है । विधानसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी के कर्मठ और निष्ठावान कार्यकर्ताओ की उपेक्षा हो रही है और सत्ता के दौरान परिक्रमा करने वालो को संगठन में महत्व मिल रहा है ।

अभी कोई और चुनाव नहीं हो रहा है अन्यथा पार्टी के अनेक पदाधिकारी व पार्षद पार्टी छोड़ने के फिराक में है । ऐसे लोगो को रोकने पार्टी संगठन ने यदि कोई रणनीति बना रखी हो तब तो कोई बात नहीं लेकिन प्रदेश में विपक्ष में रह के कितने लोगो को किस बूते पर रोक पाएंगे यह यक्ष प्रश्न आने वाले 3 साल तक तो निश्चित ही रहेगा ।

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