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May 19, 2025 1:18 pm

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मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा ए सीबी व ई ओ डब्ल्यू के अधिकारियों के खिलाफ जुर्म दर्ज करने के आदेश से मची खलबली

जल संसाधन विभाग के प्रभारी कार्यपालन अभियंता आलोक अग्रवाल और उनके परिजन के यहां छापे का मामला ,6 साल बाद फिर उछला

बिलासपुर ।,9 नवंबर 2020। करीब 6 साल पहले जलसंसाधन विभाग के खारंग डिवीजन में तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन अभियंता आलोक अग्रवाल के यहां जो छापेमारी की गई थी उस मामले का जिन्न का भूत फिर से बाहर आ गया है और उसमे आई ए एस अधिकारी समेत कई पुलिस अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती है क्योंकि कथित तौर पर कूटरचित एफ आई आर तैयार करने और असत्य तथा अपूर्ण तथ्यों के साथ सर्च वारंट के आधार पर तलाशी लिए जाने के मसले पर पेश परिवाद पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी डमरुधर चौहान के आदेश पर धारा -120-बी , 166-, 167-, 213-, 218, 380-, 382-, 420-, 467-, 468-, 471और 472- आईपीसी के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना के निर्देश थाना सिविल साईंस को दिया गया हैं।
कल देर शाम सिविल लाईंस थाने में अज्ञात के विरुद्ध क्राईम नंबर 0791/2020 कायम कर विवेचना शुरु कर दी गई है।
जिस परिवाद पर जारी निर्देश पर यह मामला पंजीबद्ध किया गया है उसमें परिवादी पवन अग्रवाल हैं, जो कि जल संसाधन विभाग में पदस्थ रहे कार्यपालन अभियंता आलोक अग्रवाल के भाई हैं।
परिवाद में यह आरोप लगाया गया है कि,30 दिसंबर 2014 को ए सी बी के अधिकारी विजय कटरे और आलोक जोशी पहुँचे और सर्च वारंट दिखाया, सर्च वारंट में एफ आईं आर नंबर अंकित नही था,अधिका रियों ने सर्च के दौरान आवेदन की निजी संपत्ति, स्व अर्जित आय और स्त्रीधन के आभूषण को जप्त किया, और इसके लिए ए सी बी के तत्कालीन मुखिया मुकेश गुप्ता और कप्तान रजनीश सिंह के मौखिक निर्देश का हवाला दिया। इस जप्ती का कोई पत्रक न्यायालय में पेश भी नही किया गया। वहीं यह सूचना भी प्राप्त हुई कि,जिस अपराध क्रमांक 56/14 के तहत सर्च किया गया, वैसी कोई FIR थाना ऐसीबी/ईओडब्लू में दर्ज नही है ।पांच साल पहले सिंचाई अफसर आलोक अग्रवाल के यहां छापेमारी के प्रकरण में ईओडब्ल्यू-एसीबी का अमला जांच के घेरे में आ गया है। सीजेएम के आदेश पर सिविल लाइन पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ चोरी, धोखाधड़ी और दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ का प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में ईओडब्ल्यू-एसीबी ने सिंचाई विभागअंतर्गत खारंग सिंचाई संभाग के तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन यंत्री आलोक अग्रवाल के आफिस व घर में छापेमारी की थी। आलोक अग्रवाल के साथ ही उनके भाई पवन अग्रवाल के अग्रेसन चौक स्थित कालोनी के निवास में और परिवार के लोगों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था । आलोक अग्रवाल के खिलाफ आरोप था उन्होंने अपने भाई व नौकर के नाम पर विभाग के कार्यों का टेडर लेकर काम करते थे उनके नौकर के घर में भी नकद रकम मिले थे । बैंक के लाकर खुलवा कर जे वरात जब्त किए गए थे । आलोक अग्रवाल की गिरफ्तारी भी हुई थी। अग्रवाल के परिजनों ने ईओडब्ल्यू-एसीबी की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए थे, और गंभीर आरोप लगाए थे।

परिजनों का आरोप था कि आलोक अग्रवाल के साथ-साथ उनके परिवार के लोगों की संपत्ति और सामान को भी अवैध कमाई का बता जब्त किया गया जबकि उनका पुश्तैनी व्यवसाय है। कई सामान गायब हो गए, और दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की गई। फर्जी दस्तावेज तैयार कर पवन अग्रवाल और अन्य लोगों को फंसाया गया। यह सब कार्रवाई तत्कालीन आईजी मुकेश गुप्ता और एसपी रजनेश सिंह के नेतृत्व में हुई थी।

परिजनों ने इस पूरे मामले में कई जगह शिकायत की थी, और फिर कोई कार्रवाई न होने पर न्यायालय में परिवाद दायर किया था। बिलासपुर सीजेएम ने इस पूरे मामले में गंभीर माना है। कोर्ट ने कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

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