बिलासपुर । पिछले कुछ दिनों से भूमाफिया शब्द की काफी चर्चा है। इतनी चर्चा तो भाजपा के 15 सालों में भी नहीं हुआ था क्योंकि उस समय बड़े ही सुनियोजित ढ़ंग से कारोबार संचालित होता था । याद करें मोपका में छोटे बड़े झाड़ के जंगल वाले सरकारी जमीन पर भाजपा संगठन के 2 बडे़ नेताओ ने कब्जा करने अधिकारियों पर किस तरह दबाव बनाकर अपना काम कराया था । शहर के बाहर चारो ओर किन किन नेताओ ने 15 साल में कितनी कितनी जमीन औने पौने दामों में खरीदी इसकी जांच हो जाए तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आएगी मगर मजाल है तत्कालीन सरकार ने किसी के भी खिलाफ कार्रवाई की हो ।अब जबकि सत्ता बदल चूंकि है ऐसे में 15 साल तक भूमाफिया का तमगा लेकर घूम रहे रसूखदार लोग सत्ताधारी दल के नेताओ के साथ भी मधुर सम्बन्ध बनाकर अपनी दुकानदारी को सुरक्षित करने में उसी समय से लग गए थे जब राज्य में नई सरकार काबिज हुई । पिछले 15 साल में किन किन भूमाफियाओं ने चांदी काटी है इसकी पूरी जानकारी राजस्व विभाग के अधिकारी अच्छी तरह जानते है क्योंकि कई अधिकारियों ने उनके साथ मिलकर बहती गंगा में खूब हाथ धोए है ।
सत्ता राजनीतिक चेहरा समय-समय पर बदल कर अपना उल्लू सीधा करने वाले भू माफिया काले गोरखधंधे में लिप्त छूट भैया नेता राजनेताओं के संरक्षण सरकारी तंत्र की मिलीभगत से गरीब नौकरी पेशा व्यापार करने वाले लोगों का भक्षण कर नेताओं की नेतागिरी चमकाने वाले लोगो की संख्या शहर व आसपास तेजी से बढ़ी है । समय बड़ा बलवान और ईश्वर के घर देर है अंधेर नहीं है ईश्वर की लाठी जब बजती है तब कोई संरक्षण काम नहीं आता बिलासपुर शहर की दुर्दशा के लिए एक न एक दिन ऐसा हो जनता जनार्दन की यही मनोकामना है ।
बिलासपुर शहर के बदहाली और शहर में बड़ी अव्यवस्था के जिम्मेदार बिलासपुर शहर की राजनीति और राजनेताओं के कारण ही स्थिति बन पाई सरकारी तंत्र का दुरुपयोग नेताओं की चमचागिरी स्वागत सत्कार नेताओं को ड्राई फूड के साथ-साथ उनकी हर व्यवस्था का हर आदेश का पालन करना सरकार के पैसे का दुरुपयोग जमीनों की अफरा-तफरी के साथ-साथ इस गोरखधंधे में लगे हुए लोग नेता और सरकारी तंत्र को खुश करने के लिए हर पैमाने पर हर नीचे स्तर तक का काम बखूबी अंजाम दिया करते हैं इस गोरखधंधे में लिप्त लोग राजनैतिक संरक्षण के बिना दो पहिया वाहन से आज बड़ी बड़ी चमचमाती गाड़ियों में घूम रहे हैं यह वही सफेदपोश लोग सफेदपोश राजनेताओं की चमचागिरी कर अपनी व्यवस्था बनाने में सफल रहते हैं।। दूसरी ओर लिप्त अधिकारी सत्ता बदलने में प्रमोशन तक पा जा रहे है ।
शहर के लिंक रोड, श्रीकांत वर्मा मार्ग ,व्यापार विहार ,नर्मदा नगर ,गौरव पथ, सरकंडा, अशोकनगर, कोनी, मो पका ,जूना बिलासपुर, विद्या विनोबा नगर, नेहरू नगर, इन सभी क्षेत्रों में हल्का और खसरा नंबर बदलकर चिड़िया बैठाने का काम विगत कई सालों से निरंतर चले आ रहा है । भू माफिया छोटे छोटे प्लाट या बड़े भूखंड अधिकारी कर्मचारी या फिर नेताओं का संरक्षण के बिना इस प्रकार का कार्य संभव नहीं है नौकरी पेशा मध्यमवर्गीय लोग इस भू माफियाओं छोटे-छोटे उगते जमीन दलालों के चक्कर में अपने जीवन की पूरी पूंजी लगाकर दर-दर भटक रहे हैं साथ ही साथ शासकीय जमीनों चाहे वह शहर के अंदर नजूल की हो चाहे शहर से लगे क्षेत्रों में इन सभी जमीनों पर भू माफियाओं नेताओं के संरक्षण के कारण शहर में छोटे-छोटे जमीन दलाल शासकीय जमीनों पर मिलीभगत से कब्जा कर दस्तावेज तैयार करा लेते हैं और फिर इनका शिकार जमीन खरीदने वाला हो जाता है पिछले 20 सालों में जिस प्रकार से बिलासपुर शहर में जमीनों की अफरा-तफरी बड़े पैमाने पर हुई है शायद ही कोई वर्ग इससे अछूता रहा होगा इसका सबसे बड़ा कारण है नेताओं और अधिकारियों के साथ छूट भैया नेता या जो लोग नेताओं और अधिकारियों के बीच चिपक कर फोटो खींचा कर उस फोटो का फायदा अपने इस काले कारनामे गोरखधंधे में करते हैं राजनीतिक संरक्षण के बिना न तो कोई भूमाफिया पनप सकता और ना कोई गुंडाराज पनप सकता इसलिए यह तो सत्य है की राजनीतिक संरक्षण ही इन सब काले कारनामों को बढ़ावा देता है ऐसे हजारों प्रकरण लंबित हैं जिसकी आवाज समय-समय पर उठती रही चाहे व राजस्व विभाग में कह लो चाहे कलेक्ट्रेट में चाहे शहर के विभिन्न पुलिस थानों में जमीन विवाद, बलात कब्जा करना इसका कोई भी निराकरण कोई अधिकारी कर्मचारी करने को तैयार नहीं रहता क्योंकि किसी न किसी नेता का फोन संरक्षण ऐसे काले कारनामे करने वालों को मिल जाता है राजनीति बड़ी या भूमाफिया बड़े यह तो समय और सोचने वाली बात है लोग एक दूसरे पर उंगली उठा कर अपना उल्लू सीधा करते हैं लेकिन क्या वास्तव में जनता वास्तविकता को पहचानती है यदि जनता वास्तविकता पहचान सके तो इस प्रकार के लोगों का शिकार भी ना हो क्योंकि किसी न किसी बड़े लोगों का संरक्षण, राजनीतिक संरक्षण ऐसे अपराध करने वालों को हमेशा बचाता रहा है ।ईमानदारी सफेदपोश यह सब बातें सिर्फ भाषण और किताबों के ज्ञान की रह गई हैं वास्तविक जीवन में या वास्तविक राजनीति में इनका कोई सरोकार नहीं है जनता जनार्दन पिसते रहे, फसते रहे, परेशान रहे तभी तो नेताओं की पूछ परख है इसी कारण नेता अपना उल्लू सीधा करते नजर आते हैं
आजकल राजनीति में नेताओं मंत्रियों विधायकों सांसदों के साथ फोटो सेल्फी का सदुपयोग गोरख धंधा में करने वाले बड़ी चतुराई से करते हैं वास्तव में यह तो नेता को पहचाना है कि सही कौन और गलत कौन लेकिन नेता जब तक 4 माला गले में पहन नहीं लेता उनको भी अपने नेता होने का एहसास नहीं होता इसलिए राजनीतिक व्यक्ति हमेशा यह भूल जाता है कि क्या सही हो रहा है क्या गलत हो रहा है लेकिन जब समय बदलता है तब सब याद आता है।
अब जबकि भूमाफियाओं और जमीन दलालों को लेकर नई सरकार में थोड़ी हलचल दिख रही है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि जनता को कुछ राहत मिलेगी अन्यथा फिर किसी तालाब में मॉल बनने देरी नहीं लगेगी या फिर सकरी जैसे क्षेत्र में छोटे बड़े झाड़ के जंगल वाली जमीन मे कालोनी बनाने कोई भूमाफिया सफल हो जाएगा ।