चीफ़ जस्टिस डी. एन. पटेल एवं जस्टिस ज्योति सिंह की खण्ड पीठ ने स्टे लगाते हुए इस मामले में सेंट्रल रजिस्ट्रार को नोटिस भी जारी किया है।
नईदिल्ली ।सहारा क्रेडिट को-आपरेटिव सोसाइटी को दिल्ली उच्च न्यायालय से बड़ी राहत, सेंट्रल रजिस्ट्रार के आदेशों और चल रही कार्यवाहियों पर रोक भी लगा दी है ।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सहारा क्रेडिट को-आपरेटिव सोसाइटी और सहारायन यूनिवर्सल मल्टी परपज़ सोसाइटी को राहत देते हुए न केवल दोनों सोसाइटी के खि़लाफ़ सेंट्रल रजिस्ट्रार आफ़ को-आपरेटिव सोसाइटीज़ के प्रतिबंधात्मक आदेशों पर स्टे लगाया, बल्कि सेंट्रल रजिस्ट्रार के समक्ष चल रही कार्यवाही पर भी रोक लगा दी है। चीफ़ जस्टिस डी. एन. पटेल एवं जस्टिस ज्योति सिंह की खण्ड पीठ ने स्टे लगाते हुए इस मामले में सेंट्रल रजिस्ट्रार को नोटिस भी जारी किया है।
दोनों सोसाइटी ने सेंट्रल रजिस्ट्रार के दिनांक 22.07.2020, 24.09.2020 और 19.11.2020 के आदेशों को चुनौती दी थी, जिनके द्वारा दोनों सोसाइटी को नए डिपाॅज़िट लेने तथा मौजूदा सदस्यों के निवेश या जमा को नवीनीकृत करने से बाधित किया गया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में दोनांे को-आपरेटिव सोसाइटी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि मल्टी-स्टेट को-आपरेटिव सोसाइटीज़ होने के नाते वो अपने सदस्यों के हितों के लिए सोसाइटी के उपनियमों के अनुसार तथा मल्टी स्टेट को-आपरेटिव सोसाइटीज़ ऐक्ट, 2002 के तहत बने नियम क़ानूनों के अधीन काम कर रही हंै।
सेंट्रल रजिस्ट्रार द्वारा जारी किए गए आदेशों के कारण सोसाइटियों के व्यवसाय में अवरोध आया है, उनके कार्य में बाधा आई है तथा सदस्यों के हितों की क्षति हुई है, जो उक्त आदेशों को देखते हुए सबसे अधिक पीड़ित हैं। सोसाइटी के सदस्यों का हित इसके बोर्ड के लिए सर्वोपरि है तथा जो निरोधी आदेश सेंट्रल रजिस्ट्रार द्वारा पारित किए गए हैं उनका अनुपालन कंपनी के लिए ‘सिविल डेथ’ के समान क्षतिकारक हैं, जो सोसाइटी के सदस्यों के व्यापक हितों अथवा एम.एस.सी.एस. ऐक्ट 2002 के उद्देश्यों के अनुकूल नहीं हैं।
अपील की सुनवाई के उपरांत उच्च न्यायालय ने सेंट्रल रजिस्ट्रार को नोटिस जारी की और लगाए गए आदेशों के संचालन पर रोक लगा दी तथा इसके साथ ही सेंट्रल रजिस्ट्रार के समक्ष चल रही कार्यवाही पर स्टे दे दिया।