बिलासपुर । किसानों की धान खरीदी की समस्या को लेकर और राज्य की कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए वादे को याद दिलाने के लिए भारतीय जनता पार्टी पूरे प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में 22 जनवरी को धरना प्रदर्शन के बाद कलेक्ट्रेट का घेराव करेगी राज्य सरकार की किसानों से धान खरीदी की मंशा ही नहीं है।
उक्त जानकारी भाजपा नेता पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने सांसद अरुण साव भाजपा के प्रदेश महामंत्री भूपेंद्र सावन्नी जिला भाजपा अध्यक्ष रामदेव कुमावत की उपस्थिति में जिला भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा करते हुए दी और कहा कि छत्तीसगढ़ में धान का मुद्दा राजनीतिक व आर्थिक रूप से हमेशा रहा है जबकि कांग्रेस ने किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कभी प्रयास नहीं किया क्योंकि यह कांग्रेस के एजेंडे में कभी नहीं रहा ।कांग्रेसने वर्ष 90 से अपनी राजनीतिक इच्छा पूर्ति के लिए किसानों के बारे में सोचना शुरू किया जबकि भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा किसानों के हित में सोचा है । वर्ष 2018 में भी प्रदेश के मतदाताओं और किसानों ने कांग्रेस पर विश्वास नहीं किया था लेकिन कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की उपस्थिति में गंगाजल हाथ में लेकर कसम खाई थी कि किसानों को धानका समर्थन मूल्य ₹2500 देंगे मगर सत्ता में आते ही कांग्रेस अपने वादे से पीछे हट गई ।पहला साल इस सरकार ने 25 सो रुपए न देकर केंद्र सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य दिया और बाकी राशि चार किस्तों में राजीव गांधी न्याय योजना के तहत देने की घोषणा की मगर आज भी चौथी किस्त किसानों को नहीं मिल पाया है सरकार के मंत्री श्री सिंह देव ने कहा था कि 30 सितंबर तक किसानों को राशि नहीं मिलती है तो यह मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देंगे एक मंत्री अगर ऐसी बात बोलता है तो ये माना जाता है की पूरी सरकार बोल रही है इस लिहाज से श्री सिंहदेवसहित पूरी सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए।
श्री अग्रवाल ने कहा कि इस साल सरकार की नियत धान खरीदने की नहीं थी इसीलिए धान खरीदी में 1 महीने विलंब किया। किसान अपना धान समर्थन मूल्य के बजाय बाहर बेच सके इस नियत को ध्यान में रखकर सरकार ने नवंबर के बजाय दिसंबर से धान खरीदी शुरू की लेकिन किसानों में इस बात को लेकर आक्रोश है कि उनके खेतों का रकबा कटौती कर दिया गया इसी तरह बारदाने की भी पर्याप्त मात्रा में आर्डर नहीं देने व भुगतान भी नहीं करने जैसी इस सरकार के निर्णय किसानों के लिए दुखदाई है मगर आरोप केंद्र सरकार पर लगाया गया ।इसी तरह बोरों की कमी के चलते किसानों को कह दिया गया कि से अपना बोरा ला सकते हैं किसान 30 से ₹35 मैं बोरा खरीद कर अपना धान सरकार को दे रहे हैं और किसान को सरकार बारदाने का सिर्फ ₹15 दे रही है। सरकार का यह भी आरोप है कि एफसीआई ध्यान नहीं उठा रही जबकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 22 लाख चावल सरकार द्वारा एफसीआई को दिया जाता है और अभी भी 22 लाख मैट्रिक टन का आदेश आ चुका है ।सरकार एफसीआई को चावल की आपूर्ति नहीं कर रहा है पिछले वर्ष 2 मीट्रिक टन चावल एफ सी आई को नहीं दिया गया वह चावल कहां गया इसका कोई अता पता नहीं है।
उन्होंने कहां कि भाजपा शासनकाल में किसानों को उनकी धान की कीमत तीन-चार दिन के भीतर मिल जाया करती थी लेकिन इस सरकार ने भुगतान में काफी विलंब करते हुए दोषारोपण केंद्र सरकार पर लगा दिया है ।आत्महत्या करने वाले किसानों को यह सरकार मानसिक रोगी बता रही है ।सरकार को उनके किए वादे को पूरा कराने के लिए किसानों के हित में भारतीय जनता पार्टी 22 जनवरी को धरना प्रदर्शन करेगी भाजपा का यह मानना है कि किसानों को अब धान का समर्थन मूल्य राज्य सरकार ₹2800 देना चाहिए।