बिलासपुर । प्रदेश के सारे महापौर द्वारा राज्य शासन से पार्षदों का मान देय और पार्षद निधि की राशि में बढ़ोतरी करने तथा नगर निगम आयुक्त का सी आर लिखने का अधिकार महापौर को दिए जाने की मांग की गई थी मगर राज्य सरकार द्वारा इस पर अभी तक किसी भी प्रकार का निर्णय नही लिया गया है ।
उल्लेखनीय है कि दिग्विजय सिंह की सरकार के समय मध्यप्रदेश में जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तथा तथा नगर निगम के आयुक्त का सी आर लिखने का अधिकार जिला पंचायत अध्यक्ष तथा नगर निगम की निर्वाचित परिषद को मिली हुई थी मगर दिग्विजय सिंह सरकार के द्वारा ही इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया ।छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद प्रदेश के सारे नगर निगमों में उपरोक्त मांगे लगातार उठ रही है नगर निगम सीमा क्षेत्र में वृद्धि के बाद वार्डों की जनसंख्या एवं सीमा क्षेत्र काफी ज्यादा हो गई है उसके बाद भी पार्षदों का मानदेय तो न्यूनतम है ही वही पार्षद निधि की राशि भी नाम मात्र है ।इसी तरह महापौर को उनकी निधि की राशि डेढ़ करोड रुपए मिलती है पिछले वर्ष पार्षदों और महापौर की निधि की राशि करो ना कॉल में सैनिटाइजर मास्क तथा गरीबों को दाल चावल बांटने में ही खर्च हो गएऔर सारे वार्डों में विकास कार्य ठप्प हो गए है । पार्षद खाली बैठे हुए है । सत्ताधारी दल के पार्षदों और महापौर को काफी दिक्कत हो रही है । पार्षदों और महापौर के निधि तथा मानदेय में वृद्धि तथा नगर निगम के आयुक्त का सी आर लिखने महापौर को अधिकार दिए जाने की मांग राज्य सरकार से सारे महापौर ने सम्मेलन के दौरान लिखित में किया था । सभी महापौर ने यह भी मांग किया था कि नगर निगमों में विकास कार्यों और अन्य सभी के भुगतान के लिए काटे जाने वाले चेक में निगम आयुक्त और महापौर का संयुक्त हस्ताक्षर का प्रावधान अनिवार्य होना चाहिए । राज्य सरकार द्वारा इन मांगो पर कोई निर्णय नही लिया जाने से सरकार के खिलाफ अविश्वास की भावना पनप रही है ।