सेवा सहकारी समितियों में धान ,खाद व सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत प्रदाय किये जाने वाले खाद्यानों की अफरा तफरी नई बात नही है मगर शिकायतों के बाद कुछ ही पकड़ में आते है । घोटाले तो हर वर्ष होते है मगर वर्ष 2013 में मल्हार के सहकारी समिति में 4 करोड़ का घोटाला पकड़ में आया था । सात साल बाद भी इस घोटाले का फैसला नही आ पाया है मगर अभी हाल ही में इस घोटाले का जिन्न फिर से बाहर आ गया है ।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के बड़े घोटालों में एक नाम सेवा सहकारी समिति मल्हार का भी है। वर्ष 2013 में इस समिति में 4 करोड़ 76 लाख रुपये का घपला पाया गया था। मात्र एक आरोपी जेल गया और शेष 13 आरोपी फरार हो गए किन्तु पंजीयक सहकारी समिति की जांच हुई, जांच में पांच आरोपियों के खिलाफ प्रकरण चल रहा है जिसमे से मुख्य आरोपी जो जेल यात्रा कर चुका है बाकी लगातार अनुपस्थित है। साथ ही समिति का कम्प्यूटर ऑपरेटर भी उपस्थित नही होता है। शेष तीन आरोपी जांच कार्य मे अपना जवाब प्रस्तुत करते है, पूरा मामला मल्हार क्षेत्र के एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि की शह पर हुआ था, जिसे इस चुनाव में जनता ने नकार दिया। सहकारी समितियों की जांच तथा पंजीयक की जांच के तरीके अलग-अलग है और दोनों जांच को एक दूसरे से कोई लेना देना नही है, इस बात का लाभ आरोपियों को मिल जाता है। जांच अभी चल रही है और कब तक जांच पूरी होगी इसका जवाब जांच करने वाले अधिकारयियो को भी पता नही है ।