बिलासपुर । हरेली तिहार पर गुरुवार को गनियारी और नेवरा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अनेक कार्यक्रम में शामिल हुए और नेवरा में गौठानों का लोकार्पण किये मगर लोकार्पण पत्थर में एक दिन पहले बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय का नाम गायब कर देने पर कलेक्टर डॉ संजय अलंग ने जिला पंचायत सीईओ व अन्य अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई और गुस्से में अब आप लोगो को जो करना है कर लो कहते हुए नेवरा से लौट गए । कलेक्टर के गुस्से से कांप गए अधिकारियों ने रातोरात लोकार्पण पत्थरों को बदला और ऑनलाइन डिजिटल कम्प्यूटराइज्ड लेटर से नाम निकलवा पत्थरों पर चिपका दिया गया जिसमें शैलेश पांडेय का भी नाम शामिल था । ऐसा कृत्य किसके कहने पर किया गया या फिर कांग्रेस के गुटीय राजनीति का कोई दबाव था यह अभी स्पष्ट नही हो पाया है ।
दरअसल तखतपुर विधानसभा अंतर्गत ग्राम गनियारी और नेवरा में हरेली तिहार के अवसर पर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम और नरवा, गरुवा ,घुरवा ,बाड़ी योजना के तहत निर्मित गौठानों के लोकार्पण की तैयारी यद्धस्तर पर की जा रही थी । कार्यक्रम में मुख्यमंत्री तो मुख्य अतिथि थे ही ,क्षेत्रीय विधायक रश्मि सिंह को कार्यक्रम की अध्यक्षता करनी थी जो उन्होंने की वही गुटीय सन्तुलन बनाये रखने बिलासपुर के विधायक शैलेश पांडेय को कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि बनाया गया । प्रशासन की बैठक में यह सब तय करके लोकार्पण पत्थरों में इन अतिथियों का नाम लिखा जाना फाइनल किया गया ।
कार्यक्रम के एक दिन पहले अर्थात कल बुधवार को शाम को कलेक्टर डॉ संजय अलंग अचानक तैयारियों का जायजा लेने नेवरा पहुंच गए । कलेक्टर की नजर जैसे ही वहां रखे लोकार्पण पत्थरों पर पड़ी उसमे नाम देखकर कलेक्टर गुस्से से आगबबूला हो गए । पत्थरों में बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय का नाम गायब था । कलेक्टर ने गुस्से से अधिकारियों को तुरंत तलब किया और पूछा कि लोकार्पण पत्थरों पर किसने नाम लिखवाया है ? वहां मौजूद एसडीएम ने बताया कि जिला पंचायत के सीईओ ने लोकार्पण पत्थरो की जिम्मेदारी ली थी । कलेक्टर ने तुरंत जिला पंचायत के सीईओ रितेश अग्रवाल को तलब किया और इस गड़बड़ी के लिए जमकर नाराजगी व गुस्सा जाहिर करते हुए जिला पंचायत सीईओ को ख़रीकोटी सुनाते हुए कहा कि आप लोगों को जो करना है करिए ।इतना कहकर कलेक्टर नेवरा से तुरन्त लौट गए ।
कलेक्टर के गुस्से और नाराजगी को देख अधिकारी कांप गए और आनन फानन में लोकार्पण पत्थरों को बदलने के लिए रातोरात कर्मचारियों को दौड़ाया गया । चूंकि समय तो था नही इसलिए लोकार्पण पत्थरों पर नाम लिखवाने के बजाय ऑनलाइन डिजिटल का सहारा ले कम्प्यूटराइज्ड लेटर मंगवा कर लोकार्पण पत्थरों पर चिपकवा दिया गया । पूरे मामले को गोपनीय रखा गया । नए लोकार्पण पत्थरों में बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय का नाम भी शामिल किया गया ।
कुछ दिन पहले भी हो चुकी
है सीईओ से बहस
बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय सत्ताधारी दल के होने के बाद भी आरोप है कि वे गुटीय राजनीति के शिकार है और उनकी हर स्तर पर उपेक्षा की जा रही है मगर प्रशासनिक स्तर पर भी उनकी उपेक्षा शुरू हो गई है । अधिकारियों की हिम्मत तो नही है सम्भव है उन पर ऐसा करने राजनैतिक दबाव पड़ रहा हो मगर यह अभी स्पष्ट नही है ।
अभी कुछ दिन पहले ही अपनी समस्या लेकर एक व्यक्ति बिलासपुर विधायक के पास गया था । उसको शायद जिला पंचायत से कुछ काम था । विधायक ने जिला पंचायत सीईओ को फोन लगाया तो उन्हीने मीटिंग में होने का हवाला दिया जबकि वे जिले के प्रभारी सचिव के साथ थे । यह मालूम होने पर विधायक ने सीईओ पर भारी नाराजगी जताई थी । हो सकता है इसी नाराजगी के चलते या फिर राजनैतिक दबाव की वजह से सीईओ ने लोकार्पण पथरों में विधायक का नाम नही लिखवाया हालांकि कलेक्टर की नाराजगी के बाद विधायक के नाम को पत्थरों में एंट्री दे दी गई ।