बिलासपुर । कोरोना काल में जब सारे आयोजन बंद है और विवाह जैसे महत्वपूर्ण आयोजन भी सिर्फ 10 लोगो की उपस्थिति में कराने शासन के कड़े फरमान ने तो सारे रीति रिवाज को एक झटके में दरकिनार कर दिया है वरना कहते है न कि घर बना कर देखो और घर बसा कर देखो यह हर कोई के लिए आसान नहीं होता ।सामान्य तौर पर शादी की तैयारियां एक माह पहले से शुरू होकर शादी के एक सप्ताह बाद तक ही जाकर खत्म होती है मगर कोरोना काल में विवाह अब कुछ घंटों में बिना किसी शोर शराबा के संपन्न हो रहा है नागिन डांस करते बाराती और बैंड बाजा सब नदारद है ।बिलासपुर शहर के सरकंडा कपिल नगर में शुक्रवार की शाम हो रहे एक विवाह ने समाज को एक अच्छा संदेश दिया है । डा चिरंजीव चंद्राकर और आयुषी कौशिक आज शाम परिणय सूत्र में बंध गए।सिर्फ पंडित के मंत्रोचारण के सिवाय वहां कुछ नही था ।कुल जमा 8 से 10 लोग वह भी मास्क पहने और पर्याप्त दूरी बनाए हुए विवाह के साक्षी बने । दिखावा ,आडम्बर और फिजूल खर्च से कोसों दूर पूरी सादगी के साथ हुई इस वैवाहिक गठबंधन ने समाज को एक बेहतर संदेश दिया है भले ही ऐसा कोरोना काल के चलते हुआ है ।
याद करें बेटी की शादी में माता पिता को क्या क्या करना नही पड़ता ।सैकड़ों की संख्या में मेहमान ,उनके रहने ,रुकने की व्यवस्था ,भोजन की तैयारी ,दहेज की लंबी फेहरिस्त को पूरा करने जिंदगी भर की कमाई को एक झटके में पानी की तरह खर्च करने की विवशता उसके बाद बारातियों के रहने ,रुकने खाने पीने की व्यवस्था ,टेंट,केटर्स और शादी हाल का भारी भरकम बिल की अदायगी से जूझना यह एक पिता ही समझ सकता है ।उधर वर पक्ष का भी लम्बा खर्च यथा लड़की पक्ष को दिए जाने वाले साड़ी अन्य कपड़े और अन्य सामान बारातियों के लिए बस कार का इंतजाम मेहमानो की खातिरदारी ,आतिशबाजी, लाइट बैंड बाजे का खर्च यानि कि दोनो पक्षों का लाखों का खर्च इस कोरोना ने एक झटके में दरकिनार कर दिया ।इतना ही नही बारातियों को परघाने ,समधी भेट ,घंटों विवाह के रस्म पूरा करने ,दूल्हे को राती भाजी खिलाने ,टीकावन का नेंग,समेत अन्य पारंपरिक रस्मे सब गायब । यानि कोरोना ने शादियों के बेहिसाब और फालतू तथा दिखावे के खर्च को एक झटके में सिस्टम से बाहर कर दिया इतना ही नहीं शादी के अवसर पर प्रीति भोज और आशीर्वाद समारोह जिसमे हजारों की संख्या में जान पहचान के लोग जुटते थे और सड़के जाम होती थी उस पर भी कोरोना ने बिना किसी से पूछे और राय मशविरा लिए पाबंदी लगा दी ।यह एक तरह से गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार के लिए किसी वरदान से कम नही है ।
बहरहाल डा चिरजीव चंद्राकर और आयुषी कौशिक ने बेहद सादगी पूर्वक चन्द लोगो की मौजूदगी में एक दूसरे के लिए जीवन भर साथ निभाने का वादा कर कुर्मी समाज के साथ ही अन्य समाज को भी एक अच्छा संदेश दिया है । दोनो वर वधु को बेहतर जीवनसाथी होने के लिए बधाई और ढेरों शुभकामनाएं ।