बिलासपुर ।पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने कहा है कि, राज्य सरकार के द्वारा जानबूझकर केंद्रीय योजनाओं के समुचित क्रियान्वयन में अनदेखी की जा रही है। राज्य सरकार की अनदेखी के कारण कोरोना काल की भीषण त्रासदी में आयुष्मान भारत योजना का समुचित लाभ हितग्राहियों को नहीं मिल सका।
ज्ञातव्य हो कि मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना (एबीवाई) में समाज के कमजोर वर्ग को लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा का प्रावधान है। एबीवाई को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम जय) भी कहा जाता है. इसके तहत देश के 10 करोड़ परिवारों को सालाना 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा मिल रहा है।
छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना को भी आयुष्मान भारत योजना में मिला दिया गया है.संजीवनी और एनएचएम की कुछ योजनाओं को मिलाकर के आयुष्मान पोर्टल बनाया है। पोर्टल के माध्यम से साध्य असाध्य रोगों के निदान के लिए विभिन्न चिन्हांकित अस्पतालों में चिकित्सा सुविधा का दावा किया जा रहा है। लेकिन देखने में यह आया है कि, चिन्हांकित किए गए निजी अस्पतालों में आयुष्मान योजना के तहत हितग्राहियों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। अगर कोई कार्डधारी लाभार्थी सीधे अस्पताल पहुंच भी जाता है, तो उसे योजना अंतर्गत इलाज से मना कर नगद भुगतान के लिए मजबूर किया जाता है। कोरोना काल मे आयुष्मान योजना अंतर्गत विभिन्न निजी अस्पतालों में नाम मात्र कुछ लोगों को ही इसका लाभ मिल सका है।
छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य विभाग को स्पष्ट रूप से जनता के सामने आंकड़े जारी करनी चाहिए कि, कितने कोरोना संक्रमित लोगों को आयुष्मान योजना अंतर्गत लाभ मिल सका? श्री अग्रवाल ने कहा कि, छ.ग. सरकार को समुचित मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित कर योजना का सुचारू क्रियान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि आयुष्मान योजना का वास्तविक लाभ छत्तीसगढ़ के हितग्राहियों को मिल सके। छ.ग. सरकार को चाहिए कि, समय-समय पर स्वास्थ्य कैंप लगाएं, जहाँ साध्य असाध्य बीमारियों की जांच हो, तत्पश्चात आयुष्मान योजना अंतर्गत जरूरतमंदों के ईलाज हेतु रेफरल तंत्र विकसित किया जाय, ताकि समय पर लक्षित समूह को ईलाज की सुविधा मिले अन्यथा योजना कागजों में ही दम तोड़ते रहेगी।