बिलासपुर। भारत की एकता व अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले प्रखर राष्ट्रवादी नेता, महान चिंतक एवं शिक्षाविद और जनसंघ के संस्थापक डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बलिदान दिवस दिनांक 23 जून बुधवार को केन्द्रीय नेतृत्व एवं प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की कार्य योजना अनुसार बिलासपुर जिले में राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय एवं मुंगेली विधायक पुन्नूलाल मोहले के मुख्य आतिथ्य में भाजपा कार्यालय बिलासपुर में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डेय ने कहा कि भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आज 68वीं पुण्यतिथि है। जम्मू कश्मीर के जेल में आज ही के दिन 1953 में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई थी।
देश की एकता को लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक राष्ट्र एक विधान का नारा दिया था। डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को हुआ था, वे एक संभ्रात व कुलीन परिवार के सदस्य थे। उन्होंने कहा कि उनके विचारों और लोगों के प्रति सेवा की भावना और इच्छा शक्ति हमें हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। राष्ट्र की एकता के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यो को कभी भुलाया नही जा सकता, वे अखंड भारत के समर्थक रहे। उन्होंने देश की अस्मिता व अखंडता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उनकी त्याग तपस्या व समर्पण उनके आदर्श युग युगांतर तक आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेगी। सांस्कृति राष्ट्रवाद की अवधारणा को लेकर भारत की एकता व अखंडता की रक्षा के लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया। सुश्री पाण्डेय ने कहा कि बंगाल में वित्त मंत्री के रूप में 9 माह के लिए डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने काम किया था। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार में 15 अगस्त 1947 से 6 अप्रैल 1950 तक वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री के रूप में काम किया। तत्पश्चात उन्होंने सरकार से इस्तीफा देकर भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी और इसके संस्थापक अध्यक्ष भी रहे। सन् 1952 में आम चुनाव में उनकी पार्टी को समर्थन नहीं मिला और जनसंघ के केवल 3 सांसद ही चुन कर संसद पहुॅचे। राजनैतिक तौर पर स्थिति दुर्बल होने के बाद भी डॉ.मुखर्जी ने कश्मीर प्रसंग में किसी प्रकार दुर्बलता नहीं आने दी।
मुंगेली विधायक पुन्नूलाल मोहले ने इस अवसर पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और प्रखर राष्ट्रवादी, शिक्षाविद, राजनीतिज्ञ व अखण्ड भारत के प्रणेता रहे। अपने जीवन के अल्पकाल में उन्होंने कई असंभव कार्यो को कर दिखाया। डॉ.मुखर्जी 33 वर्ष की उम्र में कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियुक्त होने का गौरव हासिल किया। भारतीय इतिहास संस्कृति व पुरातत्व से संबंधित पहले संग्रहालय की नीव भी उन्होंने रखी थी। उन्होंने भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करते हुए संस्कृति, संस्कृत के अध्ययन के लिए अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों से वहॉ के छात्रों को भारत भेजने का अनुरोध किया। डॉ.मुखर्जी घरेलु त्रासदियों के बाद भी अपने सार्वजनिक दायित्वों का निर्वहन करने में कोई कोताही नहीं बरती।
संगोष्ठी के प्रारंभ में स्वागत भाषण भाजपा जिलाध्यक्ष रामदेव कुमावत ने दिया एवं बेलतरा विधायक रजनीश सिंह ने प्रस्तावना रखा। संगोष्ठी का संचालन भाजपा जिला महामंत्री मोहित जायसवाल ने किया एवं आभार भाजपा जिला महामंत्री घनश्याम कौशिक ने किया। कार्यक्रम के शुरूवात भारत माता, डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पं.दीनदयाल उपाध्याय के छाया चित्र पर माल्यार्पण एवं दीपप्रज्वलित की गई।
इस मौके पर प्रमुख रूप से पूर्व सांसद लखनलाल साहू, भाजपा प्रदेश कार्यसमति सदस्य पूजा विधानी, अमरजीत सिंह दुआ, घनश्याम कौशिक, मोहित जायसवाल, गुलशन ऋषि, किशोर राय, तिलक साहू, अवधेश अग्रवाल, एस कुमार मनहर, राकेश चन्द्राकर, निखिल केशरवानी, जयश्री चौकसे, कृष्ण कुमार कौशिक, दुर्गा प्रसाद कश्यप, सैय्यद मकबूल अली, चन्द्रप्रकाश सूर्या, चन्द्रप्रकाश मिश्रा, जुगल अग्रवाल, निर्मल कुमार जीवनानी, राजेन्द्र राठौर, संदीप दास, विजय अंचल, हरनारायण तिवारी, त्रेतानाथ पाण्डेय, संतोष कश्यप, घनश्याम रात्रे, विक्रम सिंह, सुशांत शुक्ला, सुनीता मानिकपुरी, राजेश सूर्यवंशी, संध्या चौधरी, तामेश्वर कौशिक, राजेन्द्र अग्रहरि, राकेश मिश्रा, अरविंद गोयल, आशीष पटेल, पल्लव धर, मनीष अग्रवाल, प्रदीप शुक्ला, मनीष कौशिक, गायत्री साहू, प्रदीप कौशिक, रामचरण वस्त्रकार, राजेश मिश्रा, लोकेशधर दीवान, विजय सिंह, युगलकिशोर झा, महराज सिंह नायक, लालजी यादव, नुरीता कौशिक, पवन श्रीवास, धर्मेन्द्र कोशले, नारायण गोस्वामी, राजकुमार वर्मा, प्रकाश यादव, अमित तिवारी, हरि गुरूंग, वैंकट अग्रवाल, लक्ष्मी साहू, दिनेश देवांगन, अजय यादव, कोमल सिंह ठाकुर सहित भाजपा पदाधिकारी उपस्थित थे।