बिलासपुर । बिलासपुर जिले का एक और विभाजन करने राज्य शासन ने आखिरकार निर्णय ले लिया । भारी बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनाने वाले योद्धा और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त को इसकी घोषणा कर दी है । इच्छाशक्ति हो और सरकार भी अपनी हो तो कुछ भी किया जा सकता है । सरकार रहने के बाद भी प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने और डेढ़ दशक तक सत्ता में काबिज डॉ रमन सिंह ने शायद इच्छाशक्ति की कमी के कारण पेंड्रा , गौरेला , मरवाही को जिला बनाने में रुचि नही ली मगर वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जनता की नब्ज की बेहतर जानते है और मुख्यमंत्री बनने के सिर्फ 8 माह बाद ही वे वह करके दिखा दिए जिसे न तो अजीत जोगी कर पाए और न ही डॉ रमन सिंह ने किया । जबकि यह क्षेत्र अजीत जोगी का है । भूपेश बघेल शायद यह घोषणा कर अजीत जोगी को उसके ही क्षेत्र में कमजोर और कांग्रेस को मजबूत करना चाह रहे हो । यदि ऐसा तो इसमें बुराई ही क्या है ? जनता को सहूलियत देकर उनसे समर्थन मांगने में बुराई ही क्या है ?
बिलासपुर जिले में पहले कोरबा , जांजगीर चाम्पा और मुंगेली जिले भी आते थे मगर नए जिले के निर्माण के समय तत्कालीन भाजपा सरकार पर यह आरोप भी लगता रहा कि उस समय जानबूझ कर पेंड्रा मरवाही को जिला न बनाकर राजनैतिक कारणों से मुंगेली को जिला बना दिया गया जिसका खामियाजा मुंगेली जिले को आज तक भुगतना पड़ रहा है । जिला बनने के बाद मुंगेली में विकास अवरुद्ध है । वर्तमान कांग्रेस सरकार को यह बात ध्यान में रखनी होगी कि नवगठित जिला पेंड्रा,गौरेला,मरवाही का हश्र मुंगेली जिला जैसे न हो । मुंगेली की ही तरह नवगठित जिला भी सिर्फ 2 विधानसभा वाला है ।
अपने कार्यकाल में जिला बनाने से चूक गए अजीत जोगी ने कट्टर विरोध होने के बाद भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नए जिला बनाने की घोषणा का स्वागत करते हुए उनकी प्रशंसा की है और धन्यवाद भी दिया है । यह उनकी राजनैतिक मजबूरी हो सकती है क्योंकि मुख्यमंत्री ने उस क्षेत्र की जनता की वर्षों पुरानी मांग को पूरा कर दिया है । हो सकता है डॉ रमन सिंह भी स्वीकार करें कि जनता की पुरानी मांग को पहले ही मान लेनी चाहिए थी ।
बिलासपुर जिले से कोरबा को अलग कर जब नया जिला बनाया गया तो कहा जाने लगा था कि बिलासपुर अब सुदामा जिला हो गया है क्योंकि खनिज रॉयल्टी के रूप में बिलासपुर जिले को सर्वाधिक राशि कोरबा से ही (कोयला खदानों के कारण) मिलती थी जिससे अब विभाजित बिलासपुर जिला वंचित हो गया है । पहले अविभाजित बिलासपुर जिले में 19 विधानसभा होते थे जो अब घटकर सिर्फ 6 रह जाएंगे ।
उम्मीद की जानी चाहिए कि आदिवासी बाहुल्य नया जिला पेंड्रा ,गौरेला,मरवाही का भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में तेजी से विकास होगा ।
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बिलासपुर जिले का इतिहास
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कंहा का नक्शा लगा दिये, सरजी